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महाशिवरात्रि: मंदिरों में उमड़े भोलेनाथ के भक्त, गूंजा बम-बम भोले

अध्यात्म

आज महाशिवरात्रि के पर्व पर मंदिरों में ‘हर हर महादेव’ और ‘बम बम भोले’ की गूंज है. देशभर में महाशिवरात्रि का पर्व पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के दर्शन के लिए देशभर के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है.

लोगों में अलग ही जोश और उल्लास देखने को मिल रहा है. देश में शहर-शहर और गांव-गांव में भगवान शिव के मंदिरों के बाहर आस्था से भरपूर शिवभक्तों की कतारें लगी हुईं हैं. मंदिरों का वातावरण बम-बम भोले से गूंज रहा है. महाशिवरात्रि के दिन व्रत का भी खास महत्व होता है. इस दिन हिंदू धर्म के लोग व्रत रखते हैं. भगवान शिव को बेल पत्र चढ़ाते हैं.

मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था. यही वजह है कि इस दिन कई जगहों पर शिव मंदिरों को मंडप की तरह सजाया है. साथ ही इस पर्व को विशेष धूमधाम के साथ मनाया जाता है.

शिवरात्रि के दिन को भगवान शंकर का सबसे पवित्र दिन माना जाता है. इस दिन शिवपुराण का पाठ सुनना का भी बहुत महत्व है. रात्रि को जागरण कर शिवपुराण का पाठ सुनना हरेक व्रती का धर्म माना गया है. इसके बाद अगले दिन सुबह के समय जौ, तिल, खीर और बेलपत्र का हवन करके व्रत समाप्त किया जाता है.

महाशिवरात्रि के दिन ‘जय-जय शंकर, हर-हर शंकर’ का कीर्तन करना चाहिए. इस दिन सामर्थ्य के अनुसार रात्रि जागरण अवश्य करना चाहिए. शिवालय में दर्शन करना चाहिए. कोई विशेष कामना हो तो शिवजी को रात्रि में समान अंतर काल से पांच बार शिवार्चन और अभिषेक करना चाहिए. किसी भी प्रकार की धारा लगाते समय शिवपंचाक्षर मंत्र का जप करना चाहिए.

महाशिवरात्रि के पर्व पर भगवान शिव शंकर के दर्शन करने सुबह सवेरे ही देशभर के मंदिरों के बाहर भक्तों की कतारें लगनी शुरू हो गई थीं.

महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग की खास पूजा की जाती है. शिवलिंग पर जल अर्पित किया जाता है.

गरुड़, स्कंद, अग्नि, शिव तथा पद्म पुराणों में महाशिवरात्रि का वर्णन मिलता है. यद्यपि सर्वत्र एक ही प्रकार की कथा नहीं है, परंतु सभी कथाओं की रूपरेखा लगभग एक समान है. सभी जगह इस पर्व के महत्व को रेखांकित किया गया है और यह बताया गया है कि इस दिन व्रत-उपवास रखकर बेलपत्र से शिव की पूजा-अर्चना की जानी चाहिए.

इस पर्व का महत्व सभी पुराणों में वर्णित है. इस दिन शिवलिंग पर जल अथवा दूध की धारा लगाने से भगवान की असीम कृपा सहज ही मिलती है. इनकी कृपा से कुछ भी असंभव नहीं है.

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