नई दिल्ली: केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने नई दिल्ली में विश्व स्तनपान सप्ताह 2019 के अवसर पर एक कार्यक्रम में बताया कि स्तनपान को एक ऐसे मुद्दे के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए कि इससे केवल महिलाओं और माताओं का सरोकार है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि हम स्तनपान को एक साझा सामाजिक दायित्व बनाएं, जहां केवल माताओं का उत्तरदायित्व न हो, बल्कि उनके परिवार, समुदाय और कार्य स्थल पर भी स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए सकारात्मक वातावरण तैयार हो सके। उन्होंने कहा कि इस वर्ष विश्व स्तनपान सप्ताह का मूल विषय है- ‘वर्तमान और भविष्य में माता-पिता के सशक्तिकरण के लिए स्तनपान को बढ़ावा।’ केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में सचिव श्रीमती प्रीति सूदन, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और विकास के साझेदार अनेक एजेंसियों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों से प्राप्त आंकड़ें सहित नई संवाद सामग्री के साथ ‘स्तनपान एवं नवजात और शिशु आहार परम्परा’ पर एक रिपोर्ट कार्ड का विमोचन भी किया।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि स्तनपान सबसे किफायती तरीका है, जिससे बच्चे जीवित और स्वस्थ रह सकते हैं। यह प्रथम रोग प्रतिरक्षण है जो माता और शिशु दोनों की सुरक्षा करता है। अध्ययनों से यह पता चला है कि किस प्रकार स्तनपान से बीमारियों की रोकथाम हो सकती है और बच्चों को मौत से बचाया जा सकता है तथा माताओं को स्तन और डिम्बग्रंथियों के कैंसर से बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान की शुरूआत से नवजात की मृत्यु को रोका जा सकता है, जबकि छह माह तक विशेष रूप से स्तनपान कराने से नवजातों और बच्चों में डायरिया तथा निमोनिया के मामले में अत्यधिक कमी होती है।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि स्तनपान को बढ़ावा और समर्थन देने के प्रयासों में तेजी लाने के लिए केवल माह अगस्त के एक सप्ताह तक ही सीमित न हो। उन्होंने कहा कि स्तनपान से जुड़ी चर्चाएं पूरे वर्ष भर होनी चाहिए। इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय 2022 तक प्रत्येक महीने की 1 से 7 तारीख तक स्तनपान के अनेक लाभों के बारे में जागरूकता पैदा करते हुए इसे बढ़ावा देने के लिए अनेक क्रियाकलाप चलाएगा। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय इस पहल को शीर्ष महत्व देता है और ‘मां’ नामक एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के कार्यान्वयन में राज्यों को सहायता दे रहा है।
डॉ. हर्षवर्धन ने कृमिनाशक के महत्व के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय राष्ट्रीय कृमिनाशक दिवस (एनडीडी) का नौवां दौर चला रहा है। उन्होंने कहा कि अगस्त महीने में एनडीडी कार्यक्रम का लक्ष्य 33 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के 32.8 करोड़ बच्चों और किशोरों तक पहुंच करना है।