नई दिल्ली: केंद्रीय कपड़ा मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी ने अधिक कारगर कार्यक्रम क्रियान्वयन तथा क्षेत्रवार परिणामों के लिए एक सु-समन्वित संसक्त शासन दृष्टिकोण की अपील की है। यह दर्ज करते हुए कि कई राज्यों के पास समर्पित कपड़ा मंत्री नहीं हैं, मंत्री महोदया ने राज्यों के भीतर, अंतःराज्यीय एवं केंद्र-राज्य स्तरों पर अधिक बातचीत एवं संमिलन करने की आवश्यकता बताई। सहकारी संघवाद की भावना के अनुरूप मंत्री महोदया ने सुनिश्चित किया है कि नई कपड़ा नीति में सभी राज्यों के विचारों एवं योगदान को परिलक्षित किया जाएगा जिससे कि भारत विश्व का कपड़ा गंतव्य बन सके। कपड़ा मंत्री आज नई दिल्ली में डीआरडीओ भवन में राज्य कपड़ा मंत्रियों के एक दिवसीय वार्षिक सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित कर रही थी।
इससे पूर्व, मुख्य भाषण देते हुए केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री श्री अजय टमटा ने कपड़ा क्षेत्र के सामने आ रही बाधाओं एवं चुनौतियों को दूर करने एवं क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों को रेखांकित किया।
इसकी जानकारी देते हुए कि भारत सरकार ने एक विशाल अपैरल पैकेज प्रदान किया है, श्रीमती ईरानी ने गौर किया कि विनिर्माण क्षमता को विस्तारित करने एवं रोजगार सृजन क्षमता को बढ़ाने के लिए राज्य सरकारों के समर्थन की आवश्यकता है। मंत्री महोदया ने देश में कपड़ा मशीनरी के उत्पादन में क्षमता संवर्द्धन की अपील की।
श्रीमती ईरानी ने कपड़ा क्षेत्र में ब्रांडिंग के महत्व पर बोलते हुए जिक्र किया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की पोजीशनिंग भारतीय कपड़ा उत्पादों की ब्रांडिंग पर निर्भर करती है। उन्होंने स्मरण किया कि किस प्रकार देश में शीर्ष डिजायनरों एवं रिटेल क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों को शामिल करने के द्वारा कपड़ा उत्पादों की ब्रांडिंग कपड़ा क्षेत्र में एक अहम एवं बड़े बदलाव का कारण बनी है।
श्रीमती ईरानी ने बताया कि बुनकरों एवं कारीगरों की मुख्य चिंता बच्चों की शिक्षा है, इसके साथ साथ उन्होंने बच्चों के लिए निशुल्क, हर समय एवं हर जगह शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए इग्नू एवं नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ ओपेन स्कूलिंग (एनआईओएस) के बीच एमओयू की जानकारी भी दी। मंत्री महोदया ने इस कार्यक्रम की खासकर, जरुरतमंद कारीगरों एवं बुनकरों की पहचान करने में इसकी सफलता के लिए राज्य सरकारों से समर्थन की इच्छा जताई।
कपड़ा सचिव श्रीमती रश्मि वर्मा ने कपड़ा क्षेत्र के सामने, विशेष रुप से निर्यात बाजार में विषम टैरिफ एवं गैर-टैरिफ बाधाओं के कारण आने वाली चुनौतियों को रेखांकित किया और उम्मीद जताई कि जीएसटी के लागू होने से इनपुट लागत में कमी आएगी, कपड़ा निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और इस क्षेत्र में अधिक पूंजीगत निवेश आकर्षित होगा।
इस सम्मेलन ने राज्यों को भारत सरकार द्वारा क्रियान्वित विभिन्न नीतियों एवं कार्यक्रमों तथा उनके क्रियान्वयन में राज्य सरकारों के सामने आने वाली विशिष्ट चुनौतियों पर अपने विचारों का आदान प्रदान करने का एक मंच प्रदान किया। कुल मिलाकर, 18 राज्यों के मंत्रियों एवं कपड़ा विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने सम्मेलन में भाग लिया। इस सम्मेलन में जिन मंत्रियों ने भाग लिया, उनमें शामिल हैं-श्री तमियो तागा (अरुणाचल प्रदेश); श्री रणजीत दत्ता (असम); श्री एच रोहलुना (मिजोरम);श्री पुन्नुलाल मोहले (छत्तीसगढ़); श्री ई पेंगटिएंग (नागालैंड); श्री रोहितभाई पटेल (गुजरात); श्री चंदर प्रकाश (जम्मू कश्मीर); श्री महबूब अली (उत्तर प्रदेश); श्री के टी रामा राव (तेलंगाना); श्री किंजारपु अतछननायडू (आंध्र प्रदेश) एवं झारखंड के खादी ग्रामोद्योग के अध्यक्ष श्री संजय सेठ।