लखनऊ: लखनऊ मुजद्देदुश शरीयत आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद दिलदार अली गुफ़रान मआब अलैहिर रहमा की हयात और खि़दमात पर मदरसतुल वाएज़ीन लखनऊ में एक रोज़ा इन्टरनेशनल सेमिनार का इन्ऐक़ाद अमल में आया। ये सेमिनार मकतबे कलामी व फ़िक़ही-हिन्द और लखनऊ मुजद्देदुश शरीयत आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद दिलदार अली गुफ़रान मआब अलैहिर रहमाके मौज़ू पर मुन्अक़िद हुआ। इफ़्तेताही इजलास का आग़ाज़ क़ारी मुहम्मद इजयास ने तिलावत क़ुआर्ने करीम से किया।उसके बाद हौज़ा-ए-इलमिया हज़रत दिलदार अली गुफरान मआबरह0के तुल्लाब ने तो तवाशी पेश की।
प्रोग्राम के शुरु में तक़रीर करते हुए मौलाना सय्यद कल्बे जवाद नक़वी ने कहा कि ख़ुशी की बात कि लखनऊ की सरज़मीन पर ऐसा अज़ीमुश्शान इन्टरनेशनल सेमिनार मुन्अक़िद हो रहा है जिसमें जलीलुलक़द्रओलमा, दानिशावर, मुहकि़्क़क़ हज़रात तशरीफ़ लाए हैं। ये बहुत पहले होना चाहिए था, और अब मुसलसल ऐसे सेमिनार होने चाहिए ताकि हिन्दुस्तान के बुज़ुर्ग ओलमा के आसार ज़िन्दा हो सकें। मौलाना ने कहा कि ग़ुफ़रान मआबने इल्मे दीन के हुसूल के लिए उस ज़माने में नजफ़े अशरफ़ का सफ़र किया कि जब इस क़द्र सहूलतें नहीं थीं। इस सफ़र की अपनी अज़मत है जिसके बाद उन्होंने हिन्दुस्तान वापिस आकर शिया मज़हब को नई ज़िंदगी बख़्शी। मौलाना ने कहा कि गुफरान मआबने पुरानी रस्मों का ख़ातमा किया और दीन के नाम पर जारी बिदअतों के खि़लाफ़ मुनज़्ज़म तहरीक शुरू की।मौलाना ने मुख़्तलिफ़ नये और बुज़ुर्ग ओलमा के लिखे हुए तज़किरों और किताबों की रौशनी में ग़ुफ़रान मआबकी अज़मत और फ़ज़ाएल बयान किए। खासतौर पर अल्लामा मुफ़्ती मुहम्मद क़ुली,अल्लामा ग़ुलाम हुसैन किन्तूरी,अल्लामा मीर हामिद हुसैन, मौलाना मुहम्मद हुसैन नौगानवी और मुफ़्ती मुहम्मद अब्बास शूस्तरी जैसे ओलमा की किताबों के कोटेशन्स पेश करते हुए कहा कि सबने लिखा है कि गुफरान मआबजैसा आलम और फ़ाज़िल पैदा नहीं हुआ।
मौलाना की तक़रीर के बादमकतबे कलामी-ओ-फ़िक़ही हिन्द और आयतुल्लाह सय्यद दिलदार अली गुफरान मआबके मौज़ू पर डॉक्यूमेन्टरी भी पेश की गई।उसकेबाद मौलाना जलाल हैदर नक़वी ने आयतुल्लाहिल उज़्मा साफ़ी गुलपाएगानी मद्दा ज़िल्लहुल आली का पैग़ाम पेश किया जिसे सामईन ने ग़ौर से सुना।
सदारती तक़रीर करते हुए हुज्जतुलइस्लाम आयतुल्लाह शेख़ महदी महदवीपूर, नुमाइंदा मक़ाम मुअज़्ज़मे रहबरी दर हिंन्द,ने कहा कि ये पहली कान्फ्रेन्स है जो ख़ानदाने गुफरान मआबपर लखनऊ में मुन्अक़िद हो रही है,इस तरह की कान्फ्रेन्सों के इन्एक़ाद के लिए ख़ुद रहबरे मुअज़्ज़म आयतुल्लाह सय्यद अली खामनाई मद ज़िल्लहुल आली ने हुक्म दिया है और वो ख़ुद भी सरज़मीने हिंद और ख़ासतौर पर सरज़मीने लखनऊ से बहुत अक़ीदत रखते हैं। उन्होंने कहा कि रहबरे मुअज़्ज़म ने हमेशा बुज़ुर्ग और जय्यद ओलमा के आसार को ज़िन्दा रखने की ताकीद की है इस सिलसिले में ख़ानदाने गुफरान मआब, ख़़ानदाने अबक़ात, ख़ानदाने मुफ़्ती मुहम्मद अब्बास शुस्तरी,ख़ानदाने नजम अलमलৃ और ख़ानदान बाक़िरुलउलूम एक ही शजरा-ए-तय्यबा से हैं और इस शजरे की असल आयतुल्लाह सय्यद दिलदार अली ग़फ़रानमआबहैं।उन्होंने कहा अभी हम इन बुज़ुर्ग ओलमा की पच्चास किताबों का रस्मे इजरा कर रहे हैं,इन किताबों की तहक़ीक़ व तदवीन में बहुत मुश्किलें पेश आई हैं।इन्शाअल्लाह जल्द ही दबिस्ताने लखनऊ के दूसरे ओलमा और उनके आसार को भी छाप दिया जाएगा।
बुनियादे फ़रहनगी-ए-इमामत के मुदीर आमिल हुज्जतुल इस्लाम डाक्टर मुहम्मद तक़ी सुब्हानी ने अपनी तक़रीर में कहा कि हमने हमेशा ये कोशिश की है कि जहां भी ओलमा ने नुमायां काम अंजाम दिया है उनकोज़िन्दा किया जाएइस सिलसिले में हमने लखनऊ का इन्तेख़ाब किया क्योंकि लखनऊ में ओलमा की तारीख़ बहुत रौशन है। ख़ासतौर पर ख़ानदाने इज्तेहाद कि जिसके ओलमा और शागिर्दों ने हिन्दोस्तान में शीअईत को नई जेहतें अता की। आयतुल्लाह सय्यद दिलदार अली गुफरान मआबने जिस तरह शियत को फ़रोग़ दिया और अपने शागिर्दों की तरबीयत की उसकी मिसाल नहीं मिलती। इन्शाअल्लाह आगे भी मकतबे कलामी-ओ-फ़िक़ही लखनऊ पर तहक़ीक़ी काम जारी रहेगा।
डाक्टर अली ख़ान महमूद आबादी ने अपनी तक़रीर में कहा कि मदरसतुलवाएज़ीन की बुनियाद भी इसीलिए रखी गई थी ताकि बुज़ुर्ग ओलमा के आसार को महफ़ूज़ करने के साथ उनका ज़िन्दा भी अमल में आए। उन्होंने कहा कि नौजवान नस्ल की तरबीयत बहुत ज़रूरी है ताकि वो मज़हब,अदब बल्कि हर ज़िन्दगी के हर हिस्से में अपने कीमती खि़दमात पेश करके जिस तरह हज़रत ग़फ़रानमआबने अपनी शागिर्दों की तरबीयत की थी और उन्होंने हर ज़िंदगी के हर हिस्से में नुमायां किरदार अदा किया।
हुज्जतुल इस्लाम आक़ाई महदी इस्फंदयारी ने तक़रीर करते हुए कहा कि जिन आसार कोज़िन्दा किया गया है और जो पचास से ज़्यादा किताबों का इजराकिया गया है इस सिलसिले में जो ज़हमतें पेश आई हैं उनका बयान करना भी मुश्किल है। मौजूदा मुहक़्के़क़ीन के लिए आयतुल्लाह गुफरान मआबरह0मकतब कलामी व फ़क़ही के लिहाज़ से बेहतरीन चिरा़गे राह हैं।हमने आयतुल्लाह गुफरान मआबकी तमाम किताबों पर तहक़ीक़ी काम किया है और आईन्दा भी बहुत जल्द उनकी बहुत सी किताबें छापीजाएंगी ताकि पूरी दुनिया को लखनऊ के इस इल्मी ख़ानदान के खि़दमात का इल्म हो सके।
हुज्जतुल इस्लाम आक़ाई मुहम्मद रज़ा सालेह नुमाइंदा-ए-जामिआतुलमुस्तफ़ा अल-आलमिया दर हिन्द ने तक़रीर करते हुए की इल्मी और फ़िक़ही ज़िंदगी के छः अहम नेकात पर रौशनी डालते हुए कहा कि आयतुल्लाह गुफरान मआबरह0जैसी शख्सियतें बेनज़ीर और कम मिलती हैं।जामिआतुलमुस्तफ़ा अल-आलमिया के मुतअल्लेक़ीन, टीचर्स और स्टूडेंटस के अलावा ईरान के जिन अहम इदारों ने इस पर तहक़ीक़ी कारनामा अंजाम दिया है मैं उनकी क़द्रदानी करता हूँ और हरतरह के तआवुन की यक़ीन दहानी कराता हूँ।
डाक्टर माहरुख़ मिर्ज़ा वाइस चांसलर ख़्वाजा मुईनुददीन अरबी उर्दू फ़ारसी यूनिवर्सिटी ने अपनी तक़रीर में कहा कि ऐसे सेमिनारों की सख़्त ज़रूरत है ताकि नौजवान नस्ल को मालूम हो कि उनका माज़ी किस क़द्र शानदार रहा है ताकि वो हाल और मुस्तक़बिल को बेहतर कर सकें।
तमाम तक़ारीरों के बाद मौलाना सय्यद कल्बे जवाद नक़वी ने इस कान्फ्रेन्स को मुन्अक़िद करने में भरपूर तआवुन पेश करने वाले तमाम इदारों जिनमें से मोअस्सेसा-ए-किताब शिनासी शिया,मोअस्सेसा-ए-मआरिफ़े अहलेबैतअस0बुनियादे फ़रहनगी-ए-इमामत, विलाएत फाउण्डेशन,मजलिस ओलमाहिन्द, नूर हिदायत फाउण्डेशन और हौज़ा इल्मिया गुफरान मआबरह0का शुक्रिया अदा किया। मौलाना ने तमाम मक़ाला निगार हज़रात,शरीक ओलमा और स्टुडेंट और शहर व बैरूने शहर के तमाम मदरसों और इदारों का भी शुक्रिया अदा किया।
प्रोग्राम में सूविनर का इजरा भी अमल में आया। सेमिनार के दौरानआयतुल्लाह गुफरान मआबरह0और उनके मुज्तहिद फ़रज़न्दों और शागिर्दों की पचास से ज़्यादा किताबों की रस्म इजरा मौलाना कल्बे जवाद नक़वी, आयतुल्लाह महदी महदवीपूर, डाक्टर मुहम्मद तक़ी सुब्हानी,आक़ाई महदी इस्फंदयारी और दीगर ओलमा की मौजूदगी में अदा की गई। सेमिनार के इफ़्तेताही जलसे की निज़ामत के फ़राएज़ आदिल फ़राज़ ने अन्जाम दिए। इस इफ़्तेताही जलसे में कसीर तादाद में ओलमा केराम, स्टूडेन्टस और मोमनीन ने शिरकत की ।
दोपहर के बाद सेमिनार के दूसरे सेशन का आग़ाज़ क़ारी मिक़दाद हुसैन रसूलपुरी ने तिलावते कलाम पाक से किया।इस सेशन में मुख़्तलिफ़ मक़ाला निगारों ने अपने मक़ालात पेश किए।मक़ाला ख़्वानी के पहले सेशन की सदारत मौलाना मुहसिन तकवी और दूसरे सेशन की सदारत मौलाना हुसैन महदी हुसैनी ने की। तक़रीबन15 मक़ाला निगारों ने दो सेशन में अपने मक़ालात पेश किए। इस जलसे में डाक्टर रज़ा अब्बास और डाक्टर असग़र एजाज़ ने निज़ामत के फ़राएज़ अंजाम दिए।
सेमिनार का आख़िरी सेशन रात में 8 बजे शुरू हुआ जिसमें हुज्जतुलइस्लाम आयतुल्लाह मेहदी महदवीपूर,हुज्जतुल इस्लाम आक़ाई रज़ा मुख़्तारी और मौलाना कल्बे जव्वाद नक़वी ने मकतब कलामी व फ़िक़ही लखनऊ और आयतुल्लाह सय्यद दिलदार अली गुफरान मआबरह0के मौज़ू पर तक़रीर करते हुए कहा कि इन्शाअल्लाह अब ऐसे इल्मी सेमिनार मुन्अक़िद होते रहेंगे और आईन्दा इससे बड़े पैमाने पर ओलमा के आसार ज़िन्दा करने की कोशिश को अमल में लाया जाएगा।आखि़र में नूरे हिदायत फाउण्डेशन की जानिब से मौलाना असीफ़ जाएसी ने मेहमानों का शुक्रिया अदा किया।
सेमिनार में हुज्जतुल इस्लाम आक़ाई डाक्टर फ़रीद अंसारी, हुज्जतुल इस्लाम आक़ाई रूहल्लाह काज़मी, हुज्जतुल इस्लाम आक़ाई नजफ़ आबिदी, हुज्जतुल इस्लाम आक़ाई वलीपूर,हुज्जतुल इस्लाम आक़ाई फरजपूर,हुज्जतुल इस्लाम आक़ाई रज़ा मुख़्तारी,मौलाना मुहम्मद जाबिर जौरासी मुदीर माहनामा इस्लाह,हुज्जतुल इस्लाम मौलाना पैग़म्बर अब्बास,मौलाना शहवार हुसैन नक़वी अमरोहवी,मौलाना शमअे मुहम्मद बिहार,मौलाना आलिम मेहदी जै़दपुरी,मौलाना सफ़ी हैदर,मौलाना मुहम्मद मियां आबिदी, मौलाना तय्यब रज़ा,मौलाना अहमद मजलिसी,मौलाना कौसर मुज्तबा,मौलाना सईदुल हसन नक़वी,मौलाना वसी इमाम,मौलाना अनवारुलहसन इटावा,मौलाना रज़ा हुसैन,मौलाना तसनीम मेहदी,डाक्टर अली असग़र ग़ाज़ी,डाक्टर फ़ैज़ान जाफ़र,मौलाना रज़ा हैदर,मौलाना निसार अहमद ज़ैनपुरी,मौलाना एजाज़ हैदर,मौलाना मुस्तफ़ा हुसैन नक़वी असीफ़ जाएसी, मौलाना सिराज हुसैन,मौलानामन्ज़र अब्बास,मौलाना मुम्ताज़ जाफ़र,मौलाना मुनव्वर अब्बास,मौलाना शमसुल हसन,डाक्टर हैदर मेहदी, मौलाना मन्ज़र सादिक़,तक़ी हैदर नक़वी दिल्ली,डाक्टर हैदर रज़ा ज़ाबित दिल्ली,मौलाना सय्यद क़मर हसनैन दिल्ली,मौलाना अफ़रोज़ मुज्तबा दिल्ली,मौलाना हैदर अब्बास,मौलाना मुहम्मद इस्हाक़, मौलाना मन्ज़र अली आरफ़ी और दीगर ओलमा केराम ने बड़ी तादाद में शिरकत की। ख़ासतौर पर जामिया इमामिया जामिआतुज़ ज़हरा, मदरसा अल-ज़हरा गुफरान मआबरह0, मदरसा-ए-जै़नबिया, जामिआ अल ज़हरा, मुफ़्तीगंज, जामिया इमामिया तनज़ीमुल मकातिब,जामिआ-ए-नाज़मिया,जामिआ-ए-सुल्तानुल मदारिस,हौज़ा इल्मिया जामिअतुत तबलीग़,हौज़ा इल्मिया हज़रत ग़ुफ़रान मआबऔर दीगर मदारसों और इदारों के स्टूडेन्टस और उनसे जुडे अफ़राद ने शिरकत की ।