नई दिल्ली: केंद्रीय पोत परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनसुख मंडाविया ने कोच्चि बंदरगाह के वल्लारपदम टर्मिनल की विकास गतिविधियों की समीक्षा की। इसकी परिकल्पना भारत के पहले ट्रांस-शिपमेंट पोर्ट के रूप में की गई है जिसे डीपी वर्ल्ड द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
श्री मंडाविया ने विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीति सोचने और भारत के ट्रांस-शिपमेंट हब और दक्षिण एशिया में अग्रणी हब के सपने को साकार करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए। श्री मंडाविया ने कहा, “हम भारतीय पोर्ट पर ट्रांस-शिपमेंट की सुविधा विकसित कर रहे हैं ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय कार्गो को भारतीय बंदरगाह के माध्यम से ही ट्रांस-शिप किया जा सके। वल्लारपदम टर्मिनल के विभिन्न मुद्दों को हल करना पोत परिवहन मंत्रालय की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है।”
ट्रांस-शिपमेंट हब दरअसल पोत पर वो टर्मिनल है जो कंटेनरों को संभालता है, उन्हें अस्थायी रूप से संग्रहीत करता है और उन्हें आगे के गंतव्य के लिए अन्य जहाजों में स्थानांतरित करता है। कोच्चि इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांस-शिपमेंट टर्मिनल (आईसीटीटी), जिसे स्थानीय तौर पर वल्लारपदम टर्मिनल के नाम से जाना जाता है, वो रणनीतिक रूप से भारतीय तटरेखा पर स्थित है। ट्रांस-शिपमेंट हब के रूप में इसे विकसित करने के लिए आवश्यक सभी मानदंडों को ये सफलतापूर्वक पूरा करता है, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मार्गों से निकटता के लिहाज से ये सबसे श्रेष्ठ जगह पर स्थित भारतीय बंदरगाह है;
- ये सभी भारतीय फीडर बंदरगाहों से कम से कम औसत समुद्री दूरी पर स्थित है;
- इसकी कनेक्टिविटी ऐसी है कि मुंद्रा से लेकर कोलकाता तक, भारत के पश्चिम और पूर्वी तटों पर सभी बंदरगाहों पर इसके कई साप्ताहिक फीडर कनेक्शन हैं;
- भारत के प्रमुख भीतरी इलाकों के बाजारों से इसकी निकटता है;
- इसमें आवश्यकता के अनुसार बड़े जहाजों और क्षमता को प्रबंधित करने और बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचा है।
कोच्चि पोर्ट के वल्लारपदम टर्मिनल को दक्षिण भारत के लिए सबसे पसंदीदा द्वार और दक्षिण एशिया के प्रमुख ट्रांस-शिपमेंट हब के रूप में विकसित करना प्रस्तावित है।