लखनऊ: कृषि उत्पादन आयुक्त के समक्ष उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा प्रदेश में आम विकास की योजना का प्रस्तुतीकरण आज उनके सभाकक्ष में किया गया। प्रस्तुतीकरण में प्रमुख सचिव उद्यान, प्रमुख सचिव कृषि, निदेशक मण्डी आदि अधिकारी उपस्थित थे। कृषि उत्पादन आयुक्त ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि उत्तर प्रदेश में आम विकास प्रस्तुतीकरण में आम की गुणवत्तायुक्त पौध उत्पादन प्रदेश के प्रमुख प्रजातियों दशहरी, लंगड़ा, चैसा, रटौल एवं गौरजीत का जी0आई0 पंजीकरण कराना एवं अन्य प्रदेशों में इन प्रजातियों के आम को प्रोत्साहित करना तथा प्रदेश के आम को मूल्य सम्वर्द्धन कर उसकी पहचान बनायी जायें। उन्होंने कहा कि आम उत्पादकों को उनकी फसल का उचित मूल्य प्राप्त हो तथा ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार सृजित हो, इसके लिए विभिन्न अवस्थापना सुविधाएं जैसे कि आम से विभिन्न उत्पाद बनाने के लिए छोटी-छोटी खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना, आम पकाने के लिए राइपनिंग चेम्बर की स्थापना, निर्यात को बढ़ाने के लिए फलपट्टी क्षेत्रों में पैक हाउस का निर्माण कराया जाना सम्मिलित किया जाये।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि प्रदेश में उत्पादित आम की प्रमुख प्रजातियाॅं यथा-दशहरी, लंगड़ा, चैसा, रटौल आदि विशेष रूप से मशहूर हैं। इनका वर्गीकरण आपकी गुणवत्ता एवं स्वाद के आधार पर भी किया जाना चाहिये। आम के स्वाद के आधार पर वर्गीकरण करने के लिए आम के टेस्टिंग विशेषज्ञ नामित किये जायें जो आम को स्वाद के आधार पर वर्गीकृत कर सकें। उन्हांेने कहा कि प्रदेश में उत्पादित आम की ऐसी समस्त प्रजातियाॅं, जिनकी माॅंग विपणन के दृष्टिकोण से प्रदेश के अंदर अन्र्तप्रदेशीय यथा विदेश में हों, इसमें गुणवत्ता सुधार हेतु वर्तमान सीजन में पौधवार प्राप्त आम की फसल में अच्छी गुणवत्ता, उत्पादकता एवं स्वाद को दृष्टिगत रखते हुये मातृवृक्षों का कैटेगराइजेशन गुणवत्ता एवं स्वाद के दृष्टिगत विभिन्न श्रेणियों में करते हुये वृक्षों का चिन्हाॅंकन किया जाए। उत्तरोत्तर इन्हीं चिन्हाॅंकित वृक्षों से ही कलम निर्माण का कार्य प्राइवेट तथा सरकारी नर्सरी में तैयार कर आम बागवानी की कार्यवाही किये जाने का निर्णय लिया गया।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि आम विपणन पर मण्डी शुल्क मुक्त कर दिया गया है, अब आम उत्पादक कहीं भी आम की बिक्री कर सकता है। इसके लिये मण्डी में भीड़ करने की आवश्यकता नही है। इस सम्बन्ध में निर्देश दिये गये कि इसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए तथा आम क्रय करने वाले सीधे उत्पादकों के बाग या किसी एक निर्धारित स्थान से क्रय की कार्यवाही करें।
डा0 आर0 के0 तोमर, संयुक्त निदेशक उद्यान द्वारा 5 वर्ष की अवधि के लिए योजना का प्रस्तुतीकरण किया गया। लघु एवं सीमान्त कृषकों को आम उत्पादन से जोड़ने के लिए इजराईल द्वारा दी गयी तकनीकी को समावेषित करते हुए ड्रिप सिचाई के साथ सघन बागवानी तथा घने एवं अनुत्पादक हो गये आम के बागों को कैनोपी प्रबन्धन से उत्पादक बनाये जाने पर भी जोर दिया गया। उन्होंने अवगत कराया कि किसानों को सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से उनकी समस्याओं का हल करना, नवीन तकनीकी से प्रशिक्षित करना एवं फसल का डाटाबेस तैयार कर योजनाओं के सम्बन्ध में किसानों तक सूचना पहुचाना सम्मिलित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि कोविड-19 के संक्रमण के कारण आम उत्पादन एवं विपणन में आने वाली समस्याओं के निराकरण के लिए कृषि उत्पादन आयुक्त, उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में दिनांक 27.05.2020 को आम उत्पादन से जुड़े हुए स्टेकहोल्डर एवं विभागों के साथ बैठक की गयी, जिसमें आम उत्पादकों के आम को मण्डी में विपणन हेतु भीड़ करने की आवश्यकता नहीं है। व्यापारी सीधे उत्पादकों के बाग या किसी एक निर्धारित स्थान से क्रय कर सकते हैं। आम विपणन हेतु यदि कोई समस्या आती है तो उसके निस्तारण के लिए सम्बन्धित विभाग एवं जिला प्रशासन से मिलकर तत्काल कार्यवाही कराए। इस सम्बन्ध में उद्यान विभाग को निर्देश दियेे गये कि प्रदेश में आम के विकास की एक योजना तैयार कर प्रस्तुत की जाये, जिसमें पौध सामग्री से लेकर विपणन तक सभी विधाएं मौजूद हों।
प्रदेश में पैदा होने वाली आम का मूल्य लगभग 10000 करोड़ रूपये होता है। इसमें किसानों की आय में वृद्धि एवं दाम आधारित उद्योग की अपार सम्भावनाये हैं। इन सभी विषयों पर फोकस करने के लिए निदेशालय स्तर पर एक विशेष सेल के गठन का भी निर्णय लिया गया जो गुणवत्तापूर्वक आम के उत्पादन एवं इसके प्रसंस्करण को बढ़ाने पर कार्य करेगा।