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मनोज आहूजा, सचिव (कृषि) ने एक दिवसीय इंडिया कोल्ड चेन कॉन्क्लेव का उद्घाटन किया

देश-विदेश

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) के साथ मिलकर ज्ञान भागीदार के रूप में नेशनल सेंटर फॉर कोल्ड चेन डेवलपमेंट (एनसीसीडी) के सहयोग से आज नई दिल्ली में “इंडिया कोल्ड चेन कॉन्क्लेव” के रूप में एक दिवसीय प्रदर्शनी और सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन का आयोजन सभी हितधारकों को साझा मंच पर एक साथ लाने के उद्देश्य से किया गया, ताकि वे टिकाऊ तरीके से उद्योग के विकास के बारे में अपनी राय और विचारों का योगदान दे सकें और फसल कटाई के बाद के नुकसान को उपयुक्‍त तकनीकों के साथ कम करने के तरीकों का पता लगाया सकें। इस सम्‍मेलन के साथ ही साथ कोल्ड चेन क्षेत्र में नवाचारों और उत्कृष्टता को प्रदर्शित करने के लिए इस क्षेत्र के प्रमुख उद्यमियों द्वारा एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई।

कॉन्क्लेव और प्रदर्शनी का उद्घाटन सचिव, कृषि और किसान कल्याण विभाग, श्री मनोज आहूजा ने किया। उन्होंने कहा कि कृषि मंत्रालय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, खाद्य पदार्थों की बर्बादी में कमी लाने और जल्‍दी खराब होने वाले उत्पादों का जीवन बढ़ाने की दिशा में कोल्‍ड चेन उद्योग के महत्व को पहचानता है और मंत्रालय ने इस क्षेत्र को बल देने के लिए नीतियों और कार्यक्रमों का व्यापक परिव्यय स्थापित किया है। भारतीय कोल्ड चेन उद्योग की प्रगति और विकास के लिए तकनीकी नवाचार महत्वपूर्ण है। उन्नत रेफ्रिजरेशन और कूलिंग सिस्टम के आगमन के साथ उद्योग अब बहुत कम तापमान पर वस्‍तुओं का भंडारण और ढुलाई  करने में सक्षम है, जो जल्‍दी खराब होने वाले उत्पादों के जीवन को बढ़ाने में मदद करता है। इससे जल्‍द खराब होने वाली वस्‍तुओं के निर्यात में वृद्धि हुई है, क्योंकि उत्पाद अब बेहतर स्थिति में अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहुंच सकते हैं।

कॉन्क्लेव के दौरान कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के बागवानी क्लस्टर विकास कार्यक्रम के तहत देश के विभिन्न हिस्सों में उत्पाद विशिष्ट बागवानी क्‍लस्‍टरों को मंजूरी दी गई। इस अवसर पर श्री आहूजा ने पायलट चरण के लिए 12 चयनित समूहों में से पांच क्लस्टर विकास एजेंसियों और कार्यान्वयन एजेंसियों को संबंधित क्लस्टरों अर्थात शोपियां (जम्मू और कश्मीर) में सेब, अनंतपुर (आंध्र प्रदेश) में केला, नासिक (महाराष्ट्र) में अंगूर, महबूबनगर (तेलंगाना) में आम और पश्चिम जयंतिया हिल्स (मेघालय) में हल्दी के लिए स्वीकृति पत्र सौंपा। संबंधित कार्यान्वयन एजेंसियों में अपनी क्लस्टर विकास एजेंसियों नामतः जेके एचपीएमसी, आंध्र प्रदेश बागवानी विकास एजेंसी, महाराष्ट्र राज्य बागवानी और औषधीय बोर्ड, तेलंगाना राज्य बागवानी विकास निगम लिमिटेड और मेघालय राज्य कृषि विपणन बोर्ड के माध्यम से एफआईएल इंडस्‍ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, देसाई एग्रीफूड्स प्राइवेट लिमिटेड, सह्याद्री फार्म पोस्ट-हार्वेस्ट केयर लिमिटेड, प्रसाद सीड्स प्राइवेट लिमिटेड और मेघालय बेसिन मैनेजमेंट एजेंसी शामिल हैं। यह भी घोषणा की गई कि कच्छ और लखनऊ के लिए आम, सोलापुर और चित्रदुर्ग के लिए अनार, थेनी के लिए केला, किन्नौर के लिए सेब और सिपाहीजाला के लिए अनानास जैसे 7 अन्य पायलट क्लस्टरों के लिए आवेदन प्रक्रियाधीन हैं।

अपर सचिव (डीए एंड एफडब्ल्यू) डॉ. अभिलक्ष लिखी ने कहा कि आने वाले वर्षों में भारतीय कोल्ड चेन उद्योग में महत्वपूर्ण वृद्धि होने की आशा है। इस वृद्धि का कारण फलों, सब्जियों और मांस उत्पादों जैसी जल्‍दी खराब होने वाली वस्‍तुओं की बढ़ती मांग के साथ-साथ ई-कॉमर्स और ऑनलाइन किराना बिक्री में बढ़ोत्‍तरी है। जिस तरह भारत में इन वस्‍तुओं की मांग निरंतर बढ़ती जा रही है, सरकार ने खाद्य सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए कोल्ड चेन उद्योग के विकास में सहायता देने की आवश्यकता को पहचाना है ।

श्री प्रिय रंजन, संयुक्त सचिव (बागवानी) ने कहा कि कृषि मंत्री के ओजस्‍वी नेतृत्व में कृषि मंत्रालय कोल्ड चेन के मोर्चे पर उभर रही नई जरूरतों को समझने के लिए तेजी से काम कर रहा है और हम कोल्ड चेन क्षेत्र में नवीन विकास के लिए विभिन्न कार्यक्रमों के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

तकनीकी सत्रों के दौरान कोल्ड-चेन उद्योग के निरंतर विकास को बेहतर बनाने के उद्देश्‍य से  कोल्ड चेन विकास की संभावनाओं का पता लगाने के लिए लॉजिस्टिक्स और क्लस्टर विकास, कोल्ड चेन ऊर्जा दक्षता, रेफ्रिजरेशन तकनीक और कोल्ड-चेन में इंटरनेट ऑफ थिंग्स के महत्व आदि से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई।

इस सम्मेलन में कृषि मंत्रालय, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, एपीडा, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो आदि के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में विभिन्न सरकारी विभागों, कॉरपोरेट्स, प्रौद्योगिकी प्रदाताओं, व्यापारियों, निर्यातकों, शोधकर्ताओं और देश के विभिन्न हिस्सों के अन्य हितधारकों से संबंधित 250 से अधिक प्रतिभागियों/प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। ।

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