नई दिल्ली: चीनी मिलों की नगदी की समस्या के कारण किसानों के गन्ना मूल्यों के अत्यधिक बकाया राशि की समस्या को सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लगभग 7,000 करोड़ रुपये के निम्नलिखित उपाय करने को मंजूरी दी है:
I. एक वर्ष के लिए 30 लाख मिट्रिक टन (एलएमटी) चीनी का सुरक्षित भंडार तैयार करने के लिए अनुमानित 1,175 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। हालांकि खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) बाजार मूल्य और चीनी की उपलब्धता के आधार पर किसी भी समय इसकी समीक्षा कर सकता है। इस योजना के अंतर्गत अदायगी तिमाही के आधार पर की जाएगी। किसानों के गन्ने के मूल्य का बकाया राशि मिलों की ओर से सीधे उनके खातों में जमा करवाई जाएगी।
II. मिल के द्वार पर सफेद/रिफाइंड चीनी का न्यूनतम ब्रिकी मूल्य तय करने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम 1995 के अंतर्गत चीनी मूल्य (नियंत्रण) आदेश 2018 अधिसूचित किया जाएगा, जिससे कम मूल्य पर चीनी मिल द्वारा सफेद/रिफाइंड चीनी की ब्रिकी घरेलू बाजार में नही की जा सकती है। सफेद चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य गन्ने के उचित लाभ मूल्य (एफआरपी) और सफेद/रिफाइंड चीनी की न्यूनतम परिवर्तनीय लागत के आधार पर तय होगा। सफेद/रिफाइंड चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य शुरू में 29 रुपये प्रति किलो तय किया जाएगा, जिसमें बाद में डीएफपीडी द्वारा एफआरपी आदि में परिवर्तन के आधार पर संशोधन किया जा सकता है। इससे उपभोक्ताओं के लिए उचित मूल्य पर चीनी की उपलब्धता प्रभावित नहीं होगी और सरकार ऐसी प्रक्रिया लागू करेगी जिससे चीनी के खुदरा मूल्य पर पूर्ण नियंत्रण सुनिश्चित किया जा सके। वर्तमान में चीनी मिलों में भंडारण की सीमा तय कर यह कार्य किया जाएगा। मिलों में भंडारण की सीमा को शुरू में वर्तमान चीनी अवधि के लिए लागू किया जाएगा, जिसकी डीएफपीडी किसी भी समय समीक्षा कर सकता है।
III. चीनी मिलों से संबंधित मौजूदा भट्टियों में इन्सिनरेशन बॉयलर और नई भट्टियां लगाकर उनकी सुधार कर क्षमता बढ़ाना; सरकार पांच वर्ष की अवधि के लिए 1332 करोड़ रुपये के अधिकतम आर्थिक सहायता का ब्याज वहन करेगी, जिसमें ऋण स्थगन की एक वर्ष की अवधि का लगभग 4,440 करोड़ रुपये का बैंक ऋण शामिल है जो तीन वर्ष की अवधि में बैंक द्वारा चीनी मिलों को आवंटित किया जाएगा। इस संबंध में डीएफपीडी विस्तृत योजना तैयार करेगा। इससे अतिरिक्त चीनी होने की स्थिति में चीनी को कम आयात सूची में रखने में मदद मिलेगी।
वर्तमान अवधि में चीनी का अत्यधिक उत्पादन और आगामी अवधि में उच्च उत्पादन के संकेत से चीनी का बाजार मूल्य लगातार कम हो रहा है। बाजार के माहौल और चीनी के मूल्य में कमी के कारण चीनी मिलों पर नगदी की समस्या का बुरा प्रभाव पड़ा है, जिसके कारण गन्ना मूल्य का अत्यधिक बकाया हो गया है। यह बकाया राशि 22000 करोड़ रुपये से भी अधिक हो चुकी है।
मिलों में नगदी की स्थिति में सुधार लाने के लिए चीनी उत्पादन को उचित स्तर पर स्थिर करने के वास्ते किसानोंके गन्ने के मूल्य की बकाया राशि देना आवश्यक है। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने पिछले चार महिने में निम्नलिखित कदम उठाएं हैं:
I. देश में चीनी का आयात रोकने के लिये चीनी के आयात पर सीमाशुल्क 50 प्रतिशत से बढ़ाकर शत प्रतिशत किया गया।
II. घरेलू चीनी मूल्य को स्थिर करने के लिए फरवरी और मार्च, 2018 में चीनी उत्पादकों पर भंडारण सीमा लागू की गई।
III. चीनी के निर्यात की संभावनाएं तलाशने के लिए चीनी उद्योग को बढ़ावा देने हेतु चीनी के निर्यात पर सीमा शुल्क हटा लिया गया।
IV. अवधि 2017-18 के दौरान निर्यात के लिए मील-वार 20 एलएमटी का न्यूनतम निर्देशात्मक निर्यात कोटा (एमआईक्यू) आवंटित किया गया।
V. चीनी मिलों में अतिरिक्त चीनी के निर्यात के लिए सहायता और सुविधा हेतु सीमा शुल्क मुक्त आयात प्राधिकरण (डीएफआईए) योजना दोबारा शुरू की गई।
VI. गन्ने की लागत की भरपाई के लिए अवधि 2017-18 के दौरान चीनी मिलों को 5.50 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर वित्तीय सहायता दी गई।