नई दिल्ली: तमिलनाडु राजनीति के प्रमुख पार्टी डीएमके के प्रमुख करुणानिधि के करीबी मारन बंधुओं पर एक और गाज गिरी है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में मारन बंधुओं की 740 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त कर लिया है।
जांच एजेंसी मारन बंधुओं से पिछले कुछ महीनों में कई बार पूछताछ कर चुकी है। सूत्रों ने बताया कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट के प्रावधानों के तहत कुर्की के ऑर्डर जारी किए गए हैं।गौरतलब है कि सीबीआई ने 2006 में दयानिधि मारन पर आरोप लगाया था कि केंद्रीय दूरसंचार मंत्री के रूप में, मलयेशिया की मैक्सिस समूह को दूरसंचार कंपनी एयरसेल की बिक्री करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया था। इसके एवज में एयरसेल समूह ने मारन की मीडिया कंपनी में गलत तरीके से और नीति-नियमों को ताक पर रखते हुए करीब 700 करोड़ रुपये निवेश किया था। यह निवेश मॉरिशस रूट के जरिए किया गया था। इस मीडिया कंपनी के प्रमुख दयानिधि मारन के भाई कलानिधि मारन है।
जिन संपत्तियों को कुर्क करने का आदेश दिया है, उनमें बड़ी रकम के फिक्स्ड डिपॉजिट्स और म्यूचुअल फंड भी शामिल हैं, जो उनके भाई और सन टीवी के एमडी कलानिधि मारन के हैं। कलानिधि की पत्नी कावेरी की कुछ संपत्तियां भी जब्त की गई हैं। इसके अलावा दयानिधि और बाकी लोगों से जुड़े 7.47 करोड़ के फिक्स्ड डिपॉजिट, कलानिधि से जुड़े 100 करोड़ के एफडी और 2.78 करोड़ के म्यूचुअल फंड शामिल हैं। उनकी पत्नी का 1.30 करोड़ का एफडी और 1.78 करोड़ के म्यूचुअल फंड भी जब्त किए गए हैं।
एक आदेश में कहा गया है कि सन डायरेक्ट टीवी प्राइवेट लिमिटेड (एसडीटीपीएल) और साउथ एशिया एफएम लिमिटेड (एसएफएफएल) नामक दो कंपनियों में दयानिधि मारन के लिए मॉरीशस की कंपनियों की तरफ से 742.58 करोड़ का अवैध लाभ लिया गया है। इन दोनों कंपनियों पर कलानिधि मारन का मालिकाना हक और कंट्रोल है। इस पैसे का इस्तेमाल कंपनियों ने अपने बिजनेस में किया।
आदेश के मुताबिक, ‘पीएमएलए के तहत जांच और खुलासा हुआ है कि एसडीटीपीएल के प्रमोटर्स कलानिधि और कावेरी कलानिधि हैं। इन दोनों की एसडीटीपीएल में 80 फीसदी हिस्सेदारी है। ईडी की जांच में पता चला है कि कलानिधि का सन टीवी नेटवर्क लिमिटेड में 75 फीसदी स्टेक है और कलानिधि और उनकी पत्नी दोनों की काल कम्यूनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड में क्रमश: 90 और 10 फीसदी हिस्सेदारी है।’
इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग आरोपों की जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट कर रहा है और ईडी की हेडक्वॉर्टर इनवेस्टिगेशन यूनिट (एचआईयू) के तहत काम करने वाले डेप्युटी डारेक्टर राजेश्वर सिंह को इस केस में जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है।