नई दिल्ली: भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने पहली बार पूरी तरह से स्वदेशी तरीके से विकसित विकसित न्यूमोकोकल पॉलीसैकराइड कंजुगेट टीके को बाजार में बेचने की मंजूरी दे दी है। यह टीका मेसर्स सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, पुणे द्वारा विकसित किया गया है। सीरम संस्थान ने देश में सबसे पहले न्यूमोकोकल पॉलीसैकराइड कंजुगेट वैक्सीन के चरण I, चरण II और चरण III के नैदानिक परीक्षणों के लिए डीसीजीआई से स्वीकृति प्राप्त की थी। स्वीकृति मिलने के बाद से ये परीक्षण देश के भीतर किए जा रहे हैं। कंपनी ने इस टीके का नैदानिक परीक्षण जांबिया में भी किया है।
परीक्षणों के बाद कंपनी ने इस टीके को बनाने की अनुमति के लिए आवेदन किया। अनुमति प्रदान करने से पहले एक विशेष विशेषज्ञ समिति (एसईसी) की मदद से भारतीय औषधि महानियंत्रक के कार्यालय द्वारा नैदानिक परीक्षणों के पूरे डेटा के साथ आवेदन की समीक्षा की गई। इसके बाद समिति ने टीके को बाजार में बेचने की अनुमति देने की सिफारिश की। मेसर्स सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को 14 जुलाई 2020 को घरेलू रूप से विकसित पहले न्यूमोकोकल पॉलीसैकराइड कंजुगेट टीके को बनाने की अनुमति दी गई। निमोनिया के इलाज के लिए स्वेदशी तकनीक से विकसित यह अपने किस्म का पहला टीका है। इससे पहले तक देश में ऐसे टीकों की मांग आयात के जरिए पूरी की जाती रही, क्योंकि ऐसा टीका बनाने वाली सभी कंपनियां विदेशों में थीं।
यह टीका शिशुओं में “स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया” के कारण होने वाले रोग और निमोनिया के खिलाफ सक्रिय टीकाकरण अभियान के लिए उपयोग किया जाता है। यह टीका इंजेक्शन के जरिए सीधे मांसपेशियों में दिया जाता है।