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शहीद दिवस 2020: फिल्में देखने के शौकीन थे भगत सिंह, रसगुल्ला खाना था बेहद पसंद

देश-विदेश

आज शहीद दिवस के मौके पर पूरा देश शहीद भगत सिंह को याद कर रहा है. आज ही के दिन यानी 23 मार्च को ही शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को ब्रिटिश हुकूमत ने फांसी पर टलका दिया था. भारत में हर साल 23 मार्च का दिन शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है. आज शहीद दिवस के इस मौके पर हम आपको भगत सिंह के जीवन से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें बता रहे हैं. शहीद भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर 1907 को लायलपुर जिले के बंगा में हुआ था. ये स्थान अब पाकिस्तान में है. शहीद भगत सिंह ने भारत की आजादी के लिए कई आंदोलन किए. उन्होंने कही वीर सपूतों के साथ मिलकर अंग्रेज हुकूमत की नींव हिला दी थी.

शहीद भगत सिंह पर उनके चाचा अजीत सिंह का काफी प्रभाव पड़ा, क्योंकि उनके चाचा अजीत सिंह और श्‍वान सिंह भारत की आजादी में अपना सहयोग दे रहे थे. ये दोनों करतार सिंह सराभा की ओर से संचालित गदर पाटी के सदस्‍य थे. भगत सिंह पर इन दोनों का गहरा प्रभाव पड़ा था. इसलिए ये बचपन से ही अंग्रेजों से नफरत करते थे. भगत सिंह करतार सिंह सराभा और लाला लाजपत राय से अत्यधिक प्रभावित थे. 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह के बाल मन पर बड़ा गहरा प्रभाव डाला. उसके बाद भगत सिंह लाहौर के नेशनल कॉलेज़ की पढ़ाई छोड़ दी और साल 1920 में महात्‍मा गांधी द्वारा चलाए जा रहे अहिंसा आंदोलन में भाग लेने लगे, जिसमें गांधी जी विदेशी समानों का बहिष्कार कर रहे थे.

उस समय उनकी आयु केवल 14 साल थी इस दौरान उन्होंने सरकारी स्‍कूलों की पुस्‍तकें और कपड़े जला दिए. इसके बाद इनके पोस्‍टर गांवों में छपने लगे. भगत सिंह पहले महात्‍मा गांधी द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन और भारतीय नेशनल कॉन्फ्रेंस के सदस्‍य बने. साल 1921 में जब चौरा-चौरा हत्‍याकांड के बाद गांधीजी ने किसानों का साथ नहीं दिया तो भगत सिंह पर उसका गहरा प्रभाव पड़ा. उसके बाद चन्द्रशेखर आजाद के नेतृत्‍व में गठित हुई गदर दल के हिस्‍सा बन गए. भगत सिंह ने चंद्रशेखर आजाद के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया. 9 अगस्त, 1925 को शाहजहांपुर से लखनऊ के लिए चली 8 नंबर डाउन पैसेंजर से काकोरी नामक छोटे से स्टेशन पर सरकारी खजाने को लूट लिया गया. यह घटना काकोरी कांड नाम से इतिहास में प्रसिद्ध है. Source Catch News

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