नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर की जेल में बंद अलगाववादी मुस्लिम लीग नेता मसरत आलम की रिहाई पर सियासी गलियारों में घमासान मचा हुआ। इसकी गूंज जम्मू कश्मीर से लेकर दिल्ली तक है। आज संसद में भी मसरत पर हंगामा हुआ और पीएम से बयान की मांग की गई। उधर, जम्मू कश्मीर में भी बीजेपी-पीडीपी के संबंधों में इसे लेकर तनाव है। आखिर कौन है मसरत आलम, उस पर क्या आरोप हैं, किस कानून के तहत मसरत हुआ था गिरफ्तार, जानने की कोशिश करते हैं।
मसरत आलम को अलगाववादी हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी का करीबी माना जाता है। मसरत 2008-10 में राष्ट्रविरोधी प्रदर्शनों का मास्टरमाइंड रहा है। उस दौरान पत्थरबाजी की घटनाओं में 112 लोग मारे गए थे। मसरत के खिलाफ देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने समेत दर्जनों मामले दर्ज थे। उसे चार महीनों की तलाश के बाद अक्टूबर 2010 में पकड़ा गया था। मसरत पर संवेदनशील इलाकों में भड़काऊ भाषण के आरोप भी लग चुके हैं।
मसरत आलम को अक्टूबर 2010 में श्रीनगर के गुलाब बाग इलाके से 4 महीने की मशक्कत के बाद गिरफ्तार किया गया था। गिलानी के करीबी माने जाने वाले मसरत आलम पर दस लाख रुपये का इनाम भी था। मसरत 2010 से पब्लिक सेफ्टी एक्ट यानी पीएसए के तहत जेल में बंद था। उसे बारामूला जेल में रखा गया था और उसकी रिहाई रात 9 बजे शहीद गंज पुलिस थाने से की गई।
मसरत आलम की रिहाई के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा है कि पिछले चार साल से कश्मीर में शांति की एक बड़ी वजह यही थी कि मसरत आलम जेल में था। सीएम रहते मसरत आलम को जेल में डालने वाले उमर अब्दुल्ला ने भी ट्वीट कर इस फैसले पर सवाल खड़े किए। उन्होंने ट्विटर पर लिखा- आलम 2010 के विरोध प्रदर्शन का मास्टरमाइंड था। ये कोई संयोग नहीं है कि उसकी गिरफ्तारी के बाद प्रदर्शन खत्म हो गए। 2010 की गर्मियों में जो कुछ हुआ, वैसा दोबारा नहीं हुआ। अफजल गुरू की फांसी के बाद भी नहीं हुआ। क्योंकि आलम नहीं था। तो अब या तो मुफ्ती सईद से एक नए सौदे के तहत आलम बाहर आया है, या फिर वो घाटी में फिर उत्पात मचाने वाला है। वक्त ही बताएगा।