देहरादून: मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल देहरादून ने इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के सहयोग से स्वस्थ जोड़ों और सड़क सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए बोन एंड ज्वाइंट सप्ताह मनाया और इस पूरे सप्ताह में विभिन्न प्रकार की गतिविधियों और कार्यक्रमों का आयोजन किया। गौरतलब है कि पूरे भारत में हर साल अगस्त का पहला सप्ताह इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के तत्वावधान में हड्डी एवं जोड़ सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है दृ ’खुद को बचाओ और दूसरों को भी बचाओ’। इस हफ़्ते का विशेष महत्व है क्योंकि हड्डी और जोड़, दुर्घटनाओं से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं जो बाद में युवावस्था और बुढ़ापे में लंबे समय तक रहने वाली विकृति पैदा कर सकते हैं और ऐसे मामले वैश्विक महामारी के समय में काफी बढ़ गए हैं।
इस दौरान कई प्रकार की गतिविधियां आयोजित की गईं जिनमें निःशुल्क बोन मास डेंसिटी टेस्ट सभी गतिविधियों का मुख्य आकर्षण था। ओपीडी रोगियों, उनके परिचारकों और वरिष्ठ लोगों के लिए अस्पताल के परिसर के भीतर और बाहर डीजेनेरेटिव ज्वाइंट डिजीज, सड़क यातायात दुर्घटनाओं और महामारी के दौरान हड्डी के स्वास्थ्य पर जन जागरूकता व्याख्यान भी आयोजित किए गए। इनके अलावा विभिन्न स्थानीय संघों और वरिष्ठ नागरिक समूहों के साथ कई वेबिनार, ऑनलाइन बैठकें और व्याख्यान भी आयोजित किये गये, जिसमें 200 से अधिक दर्शकों ने भाग लिया।
कोविड-19 के दौरान सड़क सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय बन गई है, इस बारे में बात करते हुए, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के हड्डी रोग विभाग के एसोसिएट निदेशक डॉ हेमांशु कोचर ने कहा, “दुर्घटनाएं, हड्डी और जोड़ों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार होती हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान अधिकतर देशों की सरकारों ने सड़क सुरक्षा पर पर्याप्त ध्यान केंद्रित नहीं किया। हालाँकि, यह आज भी उतना ही प्रासंगिक बना हुआ है क्योंकि आवश्यक सामान, चिकित्सा आपूर्ति और खाद्य वितरण सेवाओं को सड़कों के माध्यम से ही पहुँचाया जाता है। हालांकि लॉकडाउन और कर्फ्यू के कारण यातायात की मात्रा में भारी कमी आई, सड़कों पर भारी यातायात की जगह सड़कें शांत हो गईं। लेकिन इन अत्यधिक गति वाली दुर्घटनाओं का अधिक गंभीर प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि गति गंभीर चोट और मृत्यु दर का सबसे महत्वपूर्ण निर्धारक है।“
सड़क दुर्घटनाओं का हमारी आमदनी पर भी सीधा प्रभाव पड़ता है। आकड़ो से पता चलता है कि सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतें और चोटें वयस्कों को उनके काम करने के प्रमुख सालों में होने वाली आमदनी और परिवार के पालन-पोषण को असमान रूप से प्रभावित करती हैं। सड़क दुर्घटनाएं 18-40 वर्ष की आयु के युवा वयस्कों में लंबे समय तक विकलांगता के साथ-साथ मृत्यु के प्रमुख कारणों के लिए जिम्मेदार हैं। इन दुर्घटनाओं ने स्वास्थ्य देखभाल संसाधनों पर भी अतिरिक्त बोझ डाला, जो पहले से ही वैश्विक महामारी के कारण खराब स्थिति में थे।
महामारी के कारण आर्थिक मंदी के कारण एंग्जाइटी, अधिक निष्क्रिय समय, शराब और नशीली दवाओं की खपत बढ़ने, सड़कें खाली रहने के कारण तेज गति से ड्राइविंग के लिए अधिक गुंजाइश और स्टंट ने सड़क सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव डाला है, विशेष रूप से कमजोर लोगों, सड़क का इस्तेमाल करने वालों, पैदल चलने वालों और साइकिल चालकों पर भी बहुत ही नकारात्मक प्रभाव डाला है। इसलिए, कोविड के सुरक्षित व्यवहार का पालन करना, स्वस्थ और सुरक्षित रहना सबसे अच्छा है, लेकिन सड़क पर धीमी गति से चलें। महामारी पर केंद्रित आपातकालीन प्रतिक्रिया और स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के साथ, सड़क दुर्घटनाओं पर मदद देने और पीड़ितों के इलाज की क्षमता कम हो गयी है। साथ ही, कई लोग अब आवश्यक यात्राओं या व्यायाम के लिए पैदल या साइकिल से यात्रा करते हैं, जिससे वे दुर्घटना की चपेट में आ जाते हैं।
सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुछ आसान सलाह दिये जा रहे हैं जिनका पालन किया जा सकता है, ये सलाह हैं :
- यातायात नियमों और गति सीमा का पालन करें।
- हमेशा अपनी सीट बेल्ट पहनें, खासकर पिछली सीटबेल्ट।
- दुपहिया वाहन चलाते समय और सुबह और शाम की सैर पर जाते समय हल्के रंग के कपड़े पहनें ताकि दूसरे आपको देख सके।
- दुपहिया वाहन के चालक और पिछली सीट पर बैठे दोनों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य है। हेलमेट में फ्लोरोसेंट रंग की धारियां होनी चाहिए या हेलमेट हल्के रंग के होने चाहिए।
- गैर-जरूरी यात्रा न करें।
- केवल तभी ड्राइव करें जब बहुत जरूरी हो।