लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन ने चिकित्सा सेवाकर्मियों को क्षति और खतरा तथा चिकित्सा सेवा संस्थाओं की सम्पत्ति को हानि पहुँचाने की घटनाओं मे अधिनियम की व्यवस्था के अनुसार प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दियें है।
उल्लेखनीय है कि ऐसी घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण लगाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश चिकित्सा परिचर्या सेवाकर्मी और चिकित्सा परिचर्या सेवा संस्था (हिंसा और सम्पत्ति की क्षति का निवारण) अधिनियम, 2013 में इस प्रकार के अपराधो को संज्ञेय एवं गैरजमानती बनाया गया है। साथ ही चिकित्सा परिचर्या सेवाकर्मी के विरूद्ध हिंसात्मक कृत्य करने या चिकित्सा परिचर्या सेवा संस्थान के सम्पत्ति को क्षति पहुँचाये जाने के अपराध के लिए 3 वर्ष तक कारावास या 50 हजार रूपये तक का जुर्माना या दोनों से दण्डित किये जाने का भी अधिनियम में प्रावधान है।
मुख्य सचिव ने कहा है कि प्रदेश में चिकित्सा सेवाकर्मियों के जीवन को क्षति या खतरा अथवा चिकित्सा सेवा संस्थाओं की सम्पत्ति को हानि पहुँचाने वाले हिंसात्मक कृत्य होने से चिकित्सा परिचर्या व्यवसायों में असन्तोष उत्पन्न होने से चिकित्सा सेवाएं गम्भीर रूप से बाधित होती हैं, जिस पर कड़ाई से रोक लगाई जायें।
इस संबंध में प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि इस अधिनियम की व्यवस्था का प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन करते हुए इस प्रकार की घटनाओं को प्रभावी रूप से रोका जाये।