प्रदेश के कृषि, कृषि विपणन, कृषि प्रसंस्करण, कृषि शिक्षा, उद्यान एवं फलोद्योग एवं रेशम विकास मंत्री सुबोध उनियाल ने विधान सभा स्थित सभागार कक्ष में प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में पलायन रोकने के लिए अन्तराष्ट्रीय सीमावर्ती विकास प्रोग्राम के सम्बन्ध में बैठक की।
उत्तराखण्ड के सीमावर्ती क्षेत्रों के निवासी के आजीविका और सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा की दृष्टि से स्थायी आजीविका विकल्प के रूप में कार्य योजना बनाई जायेगी। इसमें उस क्षेत्र के उपलब्ध कृषि जलवायु के परिस्थितियों और विपणन, प्रसंस्करण से सम्बन्धित पहलू को भी घ्यान में रखा जायेगा। इस कार्य योजना में उत्तराखण्ड के सीमावर्ती क्षेत्रों में कृषि, बागवानी, फसलों को बढावा देने वाली संभावना का पता लगाया जायेगा। इसके अतिरिक्त अन्य आजिविका विकल्पों से सम्बन्धित रिपोर्ट भी तैयार की जायेगी।
बैठक में निर्देश देते हुए कहा गया कि अन्तराष्ट्रीय सीमावर्ती विकास प्रोग्राम से सम्बन्धित कार्य योजना बनाकर भारत सरकार को भेजा जाय। इस सम्बन्ध में 11 ब्लाकों का चयन किया गया है। जिनमें पिथौरगढ जनपद में 04 ब्लाक, चमोली में 01, उत्तरकाशी में 03, उधमसिंह नगर में 01 चम्पावत में 02 ब्लाक है। इन क्षेत्रों में कृषि विकास का उददेश्य अन्तराष्ट्रीय सीमावर्ती क्षेत्र में समृद्धि लाकर पलायन को रोकना है।
बैठक में कहा गया पलायन को रोकना सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। अन्तराष्ट्रीय सीमावर्ती विकास प्रोग्राम से सम्बन्धित कार्य योजना के अन्तर्गत सम्बन्धित क्षेत्र में 01 से लेकर 10 किमी. के क्षेत्रफल को शामिल किया जायेगा। इस क्षेत्र में कृषि और कृषि से सम्बन्धित व्यवसायों का विकास किया जायेगा। इस योजना को एकीकृत आदर्श कृषि ग्राम योजना से जोडा जायेगा। इसमें मत्स्य पालन, पशु पालन, डेरी पालन, मधुमखी पालन योजना का अन्य उददेश्य कृषको के आय में वृद्धि लाना है।