देहरादून: मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री आवास में पतंजलि योगपीठ के आचार्य बाल कृष्ण एवं कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक संपन्न हुई।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने कहा कि कोरोना के दृष्टिगत बहुत से लोग प्रदेश में वापस आए हैं। इन्हें स्वरोजगार से जोड़ने और शॉर्ट टर्म में आजीविका उपलब्ध कराने में कृषि क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जैव विविधता उत्तराखण्ड की विशेषता है। कृषि क्षेत्र में इसका लाभ लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि परंपरागत खेती हमारे पूर्वजों की देन है। उन्होंने अनुभवों से इसका ज्ञान हासिल किया था। कृषि क्षेत्र में विकास के लिए परंपरागत खेती और आधुनिक तकनीक की मदद से किए जाने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में खेती को व्यावसायिक सोच के साथ करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि किसानों को उद्योगों की आवश्यकता के अनुसार फसलों का चयन करना होगा। प्रदेश में गिलोय, मुलेठी, हींग, अदरक, हल्दी और नींबू जैसे उत्पादों को प्रोसेस कर इसके लिए क्लस्टर खेती को बढ़ावा देते हुए उत्पाद की मात्रा बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि इसका अच्छा मूल्य मिल सके।
आचार्य श्री बालकृष्ण ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने और किसानों के उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने में पतंजलि हर सम्भव सहायता करेगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार डॉ. के. एस. पंवार, अपर मुख्य सचिव श्री ओम प्रकाश एवं सचिव कृषि श्री आर. मीनाक्षी सुंदरम सहित अन्य विभागीय अधिकारी भी उपस्थित थे।