नई दिल्ली: 15वें वित्त आयोग ने कल यहां केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के साथ बैठक की। बैठक की अध्यक्षता मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर और वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री एन.के.सिंह ने की। बैठक में वित्त आयोग तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
बैठक में स्कूलों के लिए आधारभूत संरचना, शिक्षकों के वेतन और प्रशिक्षण, स्कूली छात्रों के लिए करियर परामर्श, सिक्किम मॉडल के अनुरूप बच्चों के लिए प्री स्कूल शिक्षा और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर वित्त आयोग की ओर से जरूरी हस्तक्षेपों पर चर्चा की गई।
बैठक में स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में अधिक निजी पूंजी आकर्षित करने और निजी भागीदारी के उपायों पर भी विचार-विमर्श किया गया। इसके साथ ही भविष्य में दो वर्षीय बीए और बीएड पाठ्यक्रम तथा बी कॉम और बीएड पाठ्यक्रम को जोड़ने की संभावनाओं पर भी चर्चा की गई ताकि भविष्य में प्रशिक्षित शिक्षक आसानी से उपलब्ध हो सकें।
आयोग की ओर से अभिभावकों द्वारा सरकारी स्कूलों की बजाय अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने में ज्यादा रुचि लेने पर चिंता जाहिर की गई। स्कूलों का मूल्यांकन तथा परीक्षा परिणामों की जानकारी ज्यादा से ज्यादा संख्या में उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया ताकि अभिभावक स्कूलों का आसानी से चयन कर सकें।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 15वें वित्त आयोग से निम्नलिखित मुद्दों पर मदद मांगी है:
- प्रदर्शन मानक सूचकांक के आधार पर राज्यों को प्रोत्साहन आधारित अनुदान
- केंद्र की ओर से (आरटीई नियमों और अन्य जरूरी आवश्कयताओं के लिए 437994.74 करोड़ रुपये तथा 2030तक सहस्राब्दी विकास लक्ष्य हासिल करने के लिए 566087.74 करोड़ रुपये) की मदद।
- राज्यों की ओर से विकसित संसाधनों का करीब 20 प्रतिशत स्कूली शिक्षा के लिए आरक्षित रखने या राज्यों और संघ शासित प्रदेशों द्वारा आरटीई कानून 2009 लागू करने तथा 13वें वित्त आयोग के अनुरूप अन्य जरूरी आवश्यकताओं के लिए मदद।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ वित्त आयोग की दूसरी बैठक 22 फरवरी को होगी जिसमें उच्च शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।