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स्वास्थ्य और पोषण पर महात्मा गांधी के विचारों को फिर से रोशन करने के लिए वेबिनार्स की मेगा सीरीज आयोजित होगी

देश-विदेश

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ नेचुरोपैथी (एनआईएन) पुणे, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के रीजनल आउटरीच ब्यूरो महाराष्ट्र एंड गोवा के साथ मिल 48 दिन लंबी वेबिनार्स की श्रृंखला का आयोजन करने जा रहा है, जिसकी शुरुआत गांधी जयंती (2 अक्टूबर, 2020) से होगी और इसका समापन नेचुरोपैथी दिवस (18 नवंबर, 2020) को होगा। वेबिनार प्रति दिन पूर्वाह्न 11 बजे से दोपहर 12 बजे तक होगी और इसे इस लिंक https://www.facebook.com/punenin के माध्यम से फेसबुक पर भी देखा जा सकता है। इसमें शामिल होने के लिए किसी प्रकार के पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है। कुछ कार्यक्रम आयुष वर्चुअल कन्वेंशन सेंटर (एवीसीसी) पर भी होंगे, जिसके लिए आयुष मंत्रालय द्वारा अलग से लिंक जारी किया जाएगा।

वेबिनार की विषय वस्तु “महात्मा गांधी- द हीलर” होगी और इसका उद्देश्य जीवन के हर क्षेत्र के लोगों के बीच 21वीं सदी में स्वास्थ्य एवं पोषण पर गांधीजी के विचारों की प्रासंगिकता का प्रचार करना है। इनका उद्देश्य विशेष रूप से नेचुरोपैथी के लाभों को प्रोत्साहन देना है। सेमिनारों का समापन 18 नवंबर, 2020 को फिनाले के साथ होगा, जो एक वर्चुअल कार्यक्रम ही होगा।

शिक्षाविद, चिकित्सक, गांधीवादी विचारों के विशेषज्ञ और नेचुरोपैथ्स का एक समूह इन सत्रों का प्रबंधन करेंगे। इसमें अमेरिका से डॉ. मार्क लिंडले, ऑस्ट्रेलिया से डॉ. गंभी वाट्स, जानी मानी गांधीवादी इतिहासकार डॉ. गीता धर्मपाल, प्रबंधन गुरु प्रो. शम्भू प्रसाद, पब्लिक हैल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएचएफआई) के निदेशक प्रो. श्रीनाथ रेड्डी, जाने माने ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अरविंद कुलकर्णी और आईएएस श्रीमती लीना मेहंडेल जैसी प्रमुख शख्सियत शामिल होंगी। इसमें गांधी वेबिनार के साथ ही गांधी कथा का भी आयोजन होगा, महात्मा गांधी और गांधी भजनों पर दुर्लभ फिल्म अंशों का प्रसारण होगा।

वेबिनार्स की इस मेगा सीरीज के माध्यम से 21वीं सदी के दर्शकों के लिए अपने स्वास्थ्य के लिए आवश्यक महात्मा गांधी का संदेश दिए जाने का अनुमान है।

खानपान और पोषण के अध्ययन के प्रति महात्मा गांधी के जुनून की चर्चा कम ही होती है। आयुष मंत्रालय को 2 अक्टूबर, 2020 को गांधी जयंती के मौके पर शुरू होने जा रही 48 वेबिनार्स की श्रृंखला से इन विषयों पर उनके विचारों के प्रति लोगों की दिलचस्पी फिर से जगने की उम्मीद है, जो आज के दौर में भी उतने ही औचित्यपूर्ण हैं जितना उनके दौर में थे।

जैसे-जैसे गांधी जी की 150वीं जयंती के समारोह अपने समापन की ओर बढ़ रहे हैं, देश उन्हें कृतज्ञता और प्रेरणा की भावना के साथ याद करता है। उत्साह, सार्वभौमिक प्यार, अहिंसा, प्राकृतिक उपचार, स्वच्छता और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी मानवीय मूल्य हमेशा ही प्रासंगिक रहे हैं।

भारत सरकार द्वारा भारत में प्राकृतिक उपचार के आंदोलन को अपनाने और मजबूत बनाने के लिए वर्ष 1986 में स्थापित एनआईएन, पुणे ने ‘स्व स्वास्थ्य निर्भरता के माध्यम से आत्म निर्भरता’ विषय वस्तु पर एक साल तक गतिविधियों की श्रृंखला के आयोजन के माध्यम से इसमें भागीदारी की है। एनआईएन स्वास्थ्य एवं पोषण के क्षेत्र में खुद को महात्मा गांधी की विरासत का संस्थागत उत्तराधिकारी मानता है, क्योंकि पुणे (उस समय यहां पर नेचर क्योर क्लीनिक और सैनेटोरियम था) में इसी परिसर में उन्होंने 18 नवंबर, 1945 को ऑल इंडिया नेचर क्योर फाउंडेशन ट्रस्ट की स्थापना की थी। यह उन संस्थानों में से एक था जहां वह औपचारिक रूप से पद संभालते थे, नेचर क्योर ट्रस्ट की डीड पर गांधी जी द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे। ट्रस्ट डीड में इस धर्मार्थ संगठन के उद्देश्यों में उसके सभी पहलुओं में प्राकृतिक उपचार के विज्ञान के प्रसार और प्राकृतिक चिकित्सा उपचार की गतिविधि को बढ़ावा देने को शामिल किया गया था, जिससे इसके लाभ हर वर्ग के लोगों और विशेष रूप से गरीबों को उपलब्ध कराए जा सकें। इसके साथ ही एक प्राकृतिक उपचार महाविद्यालय का निर्माण भी इसका अंतिम लक्ष्य है। आयुष मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्था एनआईएन अपनी शैक्षणिक और स्वास्थ्य गतिविधियों के माध्यम से इन उद्देश्यों को जिंदा रखे हुए है।

भारत सरकार ने 1945 में 18 नवंबर को प्राकृतिक उपचार के प्रति महात्मा गांधी द्वारा जाहिर की गई प्रतिबद्धता की याद में इसी दिन को प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के रूप में घोषित किया है। देश और दुनिया भर में प्राकृतिक चिकित्सा और प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति उत्साही लोगों द्वारा इस दिवस को पूरे जोश से मनाया जाता है।

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