देहरादून: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने अप्रैल 2014 में मेघालय राज्य में कोयला खनन और परिवहन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था। 2014-15 में स्थिर कीमतों पर GSDP के आंकड़े बताते हैं कि, इस फैसले की वजह से खनन उद्योग को (-) 59.36% की नकारात्मक वृद्धि का सामना करना पड़ा। इसने समग्र रूप से GSDP को बुरी तरह प्रभावित किया, जिसमें (-) 2.82% की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई। GSDP में आई कमी की वजह से मेघालय के राजस्व संग्रहण लक्ष्यों को प्राप्त करने की महत्वाकांक्षा को बड़ा झटका लगा।
अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव के अलावा, इस प्रतिबंध ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से खनन क्षेत्र पर आश्रित हजारों नागरिकों की जिंदगी को बुरी तरह से तबाह कर दिया। कई लोगों का रोजगार छिन गया और उन्हें अपने परिवार का पेट पालने के लिए छोटी-मोटी नौकरी का सहारा लेना पड़ा।
माननीय मुख्यमंत्री, श्री कोनराड के. संगमा के नेतृत्व वाली एमडीए सरकार ने इन सभी बातों को ध्यान में रखकर राज्य में कोयला खनन को नया जीवन देने के लिए अपनी ओर से हर संभव प्रयास किया है। इन्हीं प्रयासों के परिणामस्वरूप 3 जुलाई, 2019 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय आया, जिसमें प्राकृतिक संसाधनों पर मेघालय के लोगों के अधिकारों को बरकरार रखा गया। इस ऐतिहासिक फैसले की वजह से नागरिकों का भारतीय न्यायपालिका पर विश्वास और मजबूत हुआ है, साथ ही इससे यह भी पता चलता है कि मेघालय सरकार अपने नागरिकों के अधिकारों, उनकी संस्कृति और पहचान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि, निजी और सामुदायिक भूस्वामियों के पास जमीन के ऊपर और सतह के नीचे, दोनों का अधिकार होता है इसलिए खनिजों का स्वामित्व निजी और सामुदायिक भूस्वामियों के पास होना चाहिए।
माननीय मुख्यमंत्री, श्री कोनराड के. संगमा की अगुवाई में वैज्ञानिक तरीके से कोयला खनन शुरू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, राज्य सरकार ने मार्च 2021 में कोयले के लिए पूर्वेक्षण लाइसेंस तथा खनन हेतु लीज प्राप्त करने के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं की मंजूरी हासिल कर ली है। इसी दिशा
में आगे बढ़ते हुए, 25 अप्रैल, 2023 को कोयला मंत्रालय, भारत सरकार ने 17 पूर्वेक्षण लाइसेंस आवेदकों में से 4 आवेदकों को खनन हेतु लीज के लिए पूर्व स्वीकृति प्रदान की है।
वैज्ञानिक तरीके से खनन की शुरुआत मेघालय के इतिहास में एक बड़ी उपलब्धि साबित होगी, क्योंकि यह स्थायी और नियमों के अनुरूप खनन प्रक्रियाओं से पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव को सुनिश्चित करता है। वैज्ञानिक खनन प्रक्रिया के तहत, कोयला खनन क्षेत्रों को नया जीवन देने के साथ-साथ रिमोट सेंसिंग, एरियल सर्वे और 3डी मॉडलिंग जैसी अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को प्राथमिकता दी जाएगी, जिससे पर्यावरण पर पड़ने वाला प्रभाव काफी हद तक कम हो जाएगा।
राज्य में वैज्ञानिक खनन की शुरुआत, माननीय मुख्यमंत्री, श्री कोनराड के. संगमा की अगुवाई वाली एमडीए सरकार के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, जो लंबे समय से नागरिकों को स्थायी रोजगार के अवसर प्रदान करने तथा राज्य के खजाने का राजस्व बढ़ाने करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। राज्य को सामाजिक-आर्थिक तौर पर समृद्ध बनाने के लिए, खनन क्षेत्र से होने वाली आय का निवेश शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में किया जाएगा।