लखनऊ: प्रदेश के मातृ एवं शिशु तथा परिवार कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री रविदास मेहरोत्रा ने अधिकारियोें को सख्त हिदायत दी है कि पूर्वांचल के जनपदों में दिमागी बुखार जैसी घटनाओं से हो रही क्षति के प्रभावी नियंत्रण की तत्काल व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। सरकार ने इस बीमारी से बचाव के लिए बेहतर चिकित्सा व्यवस्थाएं की हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में अभी भी लोग इसका समुचित लाभ नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बीमारी की रोकथाम के लिए किये गये प्रयासों में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए।
श्री मेहरोत्रा आज यहां बापू भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष में प्रदेश में एक्यूट इन्सेफ्लाईटिस सिण्ड्रोम (ए0ई0एस0) तथा जापानी इन्सेफ्लाईटिस(जे.ई.) रोग की अद्यतन स्थिति की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा संचालिए 108 और 102 एम्बुलेंस द्वारा दिमागी बुखार से पीड़ित रोगियों को चिकित्सालयों में उपचार हेतु भर्ती कराने की व्यवस्था की जाए। इसमें किसी भी प्रकार की कोताही नहीं बरती जानी चाहिए, यदि कोई शिकायत उनके संज्ञान में आती है तो संबंधित के विरूद्ध कठोरतम कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने दिमागी बुखार से बचाव के लिए गांव-गांव में शतप्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित करने के निर्देश देते हुए कहा कि इस पर कड़ी निगरानी रखी जाए। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल के अस्पतालों को 60 हजार मेडीकेटेड मच्छरदानी उपलब्ध कराने की कार्यवाही की जा रही है। इससे जे0ई0 की रोकथाम में काफी मदद मिलेगी।
श्री मेहरोत्रा ने चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे पूर्वांचल के ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में सघन भ्रमण कर मालूम करें कि किन क्षेत्रों में दिमागी बुखार के रोगी अधिक हैं, उन्हें समुचित उपचार की व्यवस्था करवाएं। उन्होंने कहा कि इस कार्य में ग्राम प्रधानों, जनप्रतिनिधियों, गणमान्य नागरिकों और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों तथा आशा बहुओं की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाए। सरकार ने दिमागी बुखार से मृत्यु होने पर उनके परिवार को 50 हजार रुपये तथा विकलांग होने पर उन्हें एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का प्राविधान किया है।
राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने कहा कि इस गम्भीर बीमारी के निदान का मुख्य आधार स्वच्छता, शुद्ध जल, टीकाकरण, मच्छरों से बचाव है। गम्बूजिया मछली इस मच्छर के लार्वा को खाती है। इसलिए इस मछली की अधिक से अधिक संख्या को पोखरांे एवं तालाबों में डाला जाए। उन्होंने वर्ष 2013 से पोखरों एवं तालाबों में गम्बूजिया मछली नहीं डाले जाने पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने पोखरों एवं तालाबों में गम्बूजिया मछली को तत्काल डलवाने के निर्देश दिए।
श्री मेहरोत्रा ने कहा कि आकड़ों के अनुसार सरकारी अस्पतालों में 456 दिमागी बुखार के मरीज भर्ती हुए। इनमें से 73 लोगों की मृत्यु हुई, यह बहुत ही चिन्ता का विषय है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि किसी भी दशा में दिमागी बुखार से पीड़ितों की मृत्यु न होने पाये और इसके बचाव के समुचित प्रबंध किए जाएं। उन्होंने कहा कि दिमागी बुखार से प्रभावित जनपदों में मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। उन्हें अधिकाधिक संवेदनशीलता का परिचय देना होगा। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि सी0एम0ओं नियमित तौर पर समीक्षा करें और जन-जागरूकता कार्यक्रम चलाएं।
राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने कहा कि प्रदेश सरकार के अनुरोध पर सेंटर फाॅर डिजीज कन्ट्रोल, अटलान्टा/इण्डिया एवं नेशनल इंस्टीट्यूट फार मेंटल हेल्थ एण्ड न्यूरो साइंस बंगलूरू के सहयोग से महराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, सिद्धार्थनगर, लखीमपुर-खीरी एवं सीतापुर में जे0ई0 के अलावा इन्सेफ्लाईटिस के अन्य कारकों की पहचान हेतु शोधकार्य तथा हास्पिटल वेड सर्विलांस के कार्य में सहयोग उपलब्ध कराया जा रहा है। रोगियों के जांच के नमूनों में जे0ई0 के अलावा अन्य कारकों की पहचान हेतु प्रयोगशाला जांच का कार्य इन संस्थाओं के साथ ही के0जी0एम0यू0, एस0जी0पी0जी0आई0 की प्रयोगशाला में किया जा रहा है।
श्री मेहरोत्रा ने कहा कि बी.आर.डी. मेडिकल कालेज गोरखपुर में 100 शैय्या एवं वेंटीलेटर सुविधायुक्त इन्सेफ्लाईटिस वार्ड क्रियाशील हैं। इसके अतिरिक्त मेडिसिन तथा एपेडेमिक वार्ड में अतिरिक्त 108 शैय्याएं ए0ई0एस0/जे0ई रोगियों के उपचार हेतु उपलब्ध कराई गई हैं। उन्होंने कहा कि के0जी0एम0यू0 लखनऊ में भी ए0ई0एस0/जे0ई0 रोग के कारण हुए विकलांग व्यक्तियों/बच्चों के पुनर्वासन के लिए पी0एम0आर0 इकाई के उपकरणों की स्थापना करके इनका सुदृढ़ीकरण किया गया है, इसमें विकलांगजनों के उपचार की उच्चकोटि की व्यवस्था उपलब्ध कराई जा रही है।
राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने कहा कि अभी तक गोरखपुर, बस्ती, आजमगढ एवं देवीपाटन मण्डल के जनपदों में ही ए0ई0एस0/जे0ई0 रोग का प्रकोप था, किन्तु इधर कुछ वर्षों में लखनऊ मण्डल में भी इस रोग के रोगी पाये गये हैं। अब सरकार ने इस रोग पर अंकुश लगाने के लिए बरेली और फैजाबाद मण्डल को भी शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि 10 अस्पतालों में दिमागी बुखार के रोगियों के लिए आई0सी0यू0 संचालित है। प्रदेश सरकार द्वारा छः जनपदों आजमढ़, गोण्डा, सीतापुर, हरदोई, मऊ तथा रायबरेली के अस्पतालों में आई0सी0यू0 के स्थापना की कार्यवाही की जा रही है। इस वर्ष गोरखपुर तथा बस्ती मण्डल के बालरोग विशेषज्ञों और एनेसथेटिस्ट की पी0जी0आई0 में टेªनिंग कराने की योजना बनाई जा रही हैं।
महानिदेशक श्री एम0आर0 मलिक ने परिवार कल्याण राज्य मंत्री को अवगत कराया कि सर्वाधिक प्रभावित गोखपुर मण्डल के जनपदों में वर्ष 2014 की तुलना में वर्ष 2015 में 31.44 प्रतिशत की ए0ई0एस0/जे0ई0 के रोगियों में कमी आई है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में 1 जनवरी से 8 जुलाई के मध्य जे0ई0 रोग के 13 रोगी चिन्हित हुए हैं, परन्तु इनमें से किसी की भी मृत्यु नहीं हुई है और इनका समुचित उपचार जारी है। उन्होंने यह भी अवगत कराया कि जे0ई प्रभावित गोरखपुर तथा बस्ती मण्डलों में 18295 इंडिया मार्का हैण्डपम्प स्थापित कराए गए हैं। साथ ही इन जनपदों में 5,55,000 शौंचालयों का निर्माण कराया गया है। उन्होंने कहा कि परिवार कल्याण विभाग द्वारा दिमागी बुखार के विषय को शिक्षा के पाठ्यक्रमों में शामिल करने की कार्यवाही की जा रही है।
बैठक में डा0 सत्यव्रत, निदेशक, संक्रामक रोग, डा0 गीता यादव अपर निदेशक, क्रिमि रोग नियंत्रण कार्यक्रम, डा0 के0 राम संयुक्त निदेशक, परिवार कल्याण सहित राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं स्वास्थ्य संगठन के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।