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भारत में अपनी 10वीं सालगिरह पर यूनिचार्म फैला रहा है नमस्ते पोको चैन पहल के साथ शिशु स्वच्छता का संदेश

उत्तराखंड

देहरादून: जापान की अग्रणी शिशु से संबंधित स्वच्छता उत्पाद निर्माता कंपनी, यूनिचार्म ने घोषणा की है कि इसने अपने नमस्ते पोको चैन कार्यक्रम के माध्यम से मुंबई, दिल्ली,एनसीआर, कानपुर, वाराणसी, लखनऊ और कोलकाता में 300 से अधिक स्थानों में सक्रिय सत्रों द्वारा लोगों के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डाला है, जो कि इसके शिशु स्वच्छता उत्पाद ब्रांड- मैमीपोको द्वारा संचालित है। अपनी 10वीं सालगिरह को यादगार बनाते हुए कंपनी अब अपने इस प्रयास को देश के अन्य हिस्सों में विस्तार करने की योजना बना रही है। नमस्ते पोको चैन आयोजनों का उद्देश्य शहरों की झुग्गी-बस्तियों तथा देश के ग्रामीण इलाकों में शिशु स्वच्छता को प्रोत्साहित करना है, जहाँ मैमीपोको टीम स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ करीबी से कार्य करते हुए शिशुओं वाले घरों में घरेलू वातावरण को बेहतर बनाने के लिए कार्य करते हैं।

नमस्ते पोको चैन पहल मैमीपोको का सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य परिवारों के बीच शिशु स्वच्छता को बढ़ावा देना है, खासकर माताओं के लिए। इन आयोजनों में माता-पिता को शिशुओं की अच्छी व भरपूर नींद के बारे में शिक्षित किया जाता है साथ ही साथ बच्चे के पालन-पोषण के लिए डिस्पोसेबल डायपर का उपयोग करते हुए एक स्वच्छ वातावरण की जरूरत पर भी जोर दिया जाता है। इस मुहिम को पहले ही कई शहरों से काफी अच्छा प्रतिसाद और भागीदारी प्राप्त हुई है जिसमें शामिल हैं मुंबई, दिल्ली-एनसीआर, कानपुर, वाराणसी, लखनऊ और कोलकाता, और कंपनी इस पहल को भारत के अंदरुनी क्षेत्रों में ले जाना चाहती है। यह पहल सरकार द्वारा भारत में स्वच्छता को संवर्धित करने पर केन्द्रित प्रयासों के क्रम में है और पहले ही कई प्रतिभागियों को उनके शिशुओं हेतु सबसे बेहतर स्वच्छता अभ्यासों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया है।

मैमीपोको की मूल कंपनी, यूनिचार्म भारत में अपना 10वाँ साल आगामी 10 जुलाई को पूरा कर रही है और देश में अपने परिचालनों को और अधिक गहरा व मजबूत बनाने पर विचार कर रही है। बहुत ही छोटे अंतराल में कंपनी अपने स्वच्छता श्रेणी के उत्पादों के साथ भारत में अपनी पैठ जमाने में कामयाब रही है। मैमीपोको भारत में पैंट स्टाइल का डायपर तथा क्रिस-क्रॉस तकनीक की शुरुआत करने वाला अपनी तरह का सबसे पहला उत्पाद था। बिक्री के मामले में यूनिचार्म के लिए यह देश अग्रणी बाजारों में एक बन गया और वित्तीय वर्ष 2017 के अंत तक यह इसके लिए काफी फायदेमंद रहा।

केन्जी तकाकू, यूनिचार्म इंडिया के प्रबंध निदेशक कहते है, ‘‘भारत यूनिचार्म के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण बाजार है और हम अपने लोकप्रिय तथा सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले उत्पादों के साथ भारतीय ग्राहकों को फायदा प्रदान करने के लिए वचनबद्ध हैं। दस सालों की हमारी यात्रा काफी भव्य रही है और यूनिचार्म के एनओएलए तथा डीओएलए के कार्पोरेट दृष्टिकोण के साथ हमारे परिचालनों के केन्द्र व भारत में ग्राहकों के साथ जुड़ाव और भी अधिक मजबूत बना है।’’

उन्होंने आगे कहा, ‘‘गतिशील बाजार की पस्थितियों और उपभोक्ता भावनाओं व उनकी जरूरतों को समझने के हमारे प्रयासों ने हमें बाजार में सबसे पहले नए उत्पादों को विकसित करने में मदद की है। हम अपने उत्पादों के माध्यम से ग्राहकों को ऐसे अभूतपूर्व मूल्य प्रदान करने में गर्व महसूस करते हैं जो उनके बदलते जीवन-शैली का पूरक हैं। हम उच्च गुणवत्ता वाले दैनिक उपयोग के उत्पादों के निर्माण पर शीर्ष प्राथमिकता डालने के हमारे सिद्धांत का पालन करना जारी रखेंगे, ताकि हम ग्राहकों को उच्च मूल्यवर्धित उत्पादों को प्रदान करना जारी रख सकें।’’

यूजी इकेदा, यूनिचार्म इंडिया के मार्केटिंग निदेशक कहती हैं, ‘‘हमें नमस्ते पोको चैन प्रयास की भारत में शुरूआत करके बहुत खुशी है। हम बहुत ही आशावान है कि इस दिशा में हमारे प्रयास से देश भर के माता-पिता शिशु स्वच्छता और देखभाल के महत्व को समझ सकेंगे। मैमीपोको देश भर में अनेक माताओं के साथ मातृत्व की उनकी यात्रा में एक साझेदार रहा है, और यह प्रयास इस संबंध को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, साथ ही यूनिचार्म टीम की ओर से मैमीपोको को एक सबसे अग्रणी खिलाड़ी बनाने के लिए सभी माताओं के प्रति धन्यवाद का एक प्रतीक भी है। सही मायनों में यह मंच ‘माताओं द्वारा, माताओं के लिए’ ही है। हम उम्मीद करते हैं कि नमस्ते पोको चैन पहल पूरे देश भर के माता-पिता के जीवन में एक सकारात्मक प्रभाव सृजित करेगा।’’

नमस्ते पोको चैन शिविर की एक प्रतिभागी माँ कहती है, ‘‘मेरे जैसी युवा माँ के लिए ये सत्र काफी जानकारीप्रद और सक्रियता वाला रहा। इससे मुझे शिशु स्वच्छता से जुड़ी कई शंकाओं का समाधान करने में मदद मिली है और साथ ही मेरे शिशु के प्रारंभिक विकास में सबसे अधिक महत्वपूर्ण कुछ व्यावहारिक नुस्खों के बारे में भी मुझे सीखने का अवसर मिला।’’

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