दिग्गज लेखक, फिल्मकार गुलजार का कहना है कि सिनेमा कोई बाइबल नहीं है जो इंसान को बेहतर इंसान बनाना सिखाए, यह एक आईना है जो समाज को प्रतिबिंब करता है।
इस बात को गुलजार ने मुंबई में भवानी अय्यर के पहले उपन्यास ‘अनॉन’ के विमोचन कार्यक्रम के दौरान कही। तनुश्री दत्ता द्वारा अभिनेता नाना पाटेकर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने के बाद भारत में मीटू मूवमेंट शुरू हुआ है। इस मूवमेंट पर गुलजार ने कहा कि सिनेमा समाज का प्रतिबिंब है।
उन्होंने कहा कि अगर हम कहते हैं कि महिला या बच्ची का उत्पीड़न सिनेमा में ही हो रहा है तो मुझे ऐसा नहीं लगता है, यह पूरे समाज में फैला है। एक तरफ समाज में जहां चार व आठ साल की बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न के मामले सामने आ रहे हैं, ऐसे में ईश्वर का शुक्र है कि सिनेमा ने लोगों के सामने उस दर्पण को नहीं रखा।
उन्होंने कहा कि सावधान रहें, सिनेमा ने आपके जीवन के हर हिस्से को प्रतिबिंबित करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि सिनेमा लोगों को अच्छा इंसान बनाना नहीं सिखा सकता, उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि सिनेमा हमें अच्छे मूल्य और नैतिकता सिखाएगा, सिनेमा इसके लिए नहीं है, अगर आप सोच रहे हैं कि सिनेमा एक बाइबल की तरह है जो आपको एक अच्छा इंसान बनना सिखाएगा तो आप गलत हैं। We For News