नई दिल्ली: प्रधानमंत्री के विकास पैकेज-2015 के तहत कई पर्यटन पहलों की सफलता से उत्साहित होकर जम्मू-कश्मीर सरकार ने एक और शानदार कदम उठाते हुए लद्दाख क्षेत्र में कई पर्यटन/ट्रेकिंग रूटों को खोलने का प्रस्ताव किया है। इसका उद्देश्य क्षेत्र की सुन्दरता, समृद्ध संस्कृति और गौरव को प्रदर्शित करना है।
जम्मू-कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के उद्देश्य से गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर राज्य सरकार के उस प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है, जिसमें क्षेत्र में और पर्यटन/ट्रेकिंग रूटों को खोलने की बात कही गयी है।
प्रस्तावित नए पर्यटक रूटों में: मेरक-लेमा बेंड; चुशूल-कर्तसांगला-माहे; दुरबुक-शाहीकुल-थारुक-सतो कारज्ञाम-पर्मा-इराथ- चुशूल एवं लोमा-हनले; कोर्ज़ोक-नूरबो-सुमोडो-परांगला-कज़ांड; अज्ञाम-शायोक-दुरबुक शामिल हैं।
प्रस्तावित नये ट्रेकिंग रूटों में: फ़ियांग-डोक्ला-हुंडरडोक–हुंडर; बसगो-ने-हुंडरडोक-हुंडर; तेमिसगाम-लरज्ञाप-पंचथांग-स्कुरु; सस्पोल-सस्पोची-राकुराला-स्कुरु शामिल हैं।
स्वीकृत प्रस्ताव की विशेषताएं-
- लेह जिले में पर्यटकों के आसान आवागमन को सुनिश्चित करने के लिए लद्दाख क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों को दिए जाने वाले परमिट की वैधानिकता को 7 दिनों से बढ़ाकर 15 दिन किया गया है।
- सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्यटकों/ट्रेकरों को सभी ट्रेकिंग रूटों पर रात्रि विश्राम की अनुमति नही है। दुरबुक-शाहीकुल-थारुक-सतो कारज्ञाम-पर्मा-इराथ- चुशूल एवं लोमा-हनले; कोर्ज़ोक-नूरबो-सुमोडो-परांगला-कज़ांड;अज्ञाम-शायोक-दुरबुक जैसे पर्यटन रूटों पर भी रात्रि विश्राम की अनुमति नहीं दी जाएगी।
- नये रूटों के कारगर प्रबंधन के लिए जम्मू-कश्मीर राज्य सरकार को सलाह दी गयी है कि वह लेह के उपायुक्त की अध्यक्षता में जिला स्तर पर एक समन्वय समिति का गठन करे जिसमें सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस, आईटीबीपी और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के प्रतिनिधि रखे जायें। समिति के बैठक तीन माह में एक बार होगी, ताकि मौजूदा और नये रूटों का प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सके।