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खान एवं इस्‍पात मंत्री श्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर ने 10 क्षेत्रों की विस्‍तृत अन्वेषण रिपोर्ट झारखंड के मुख्‍यमंत्री को सौंपी

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नई दिल्ली: खान एवं इस्‍पात मंत्री श्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर ने 10 क्षेत्रों की विस्‍तृत अन्वेषण रिपोर्ट झारखंड के मुख्‍यमंत्री श्री रघुबर दास को आज यहां सौंपी। यह रिपोर्ट मिनरल एक्सप्लोरेशन कार्पोरेशन लिमिटेड (एमईसीएल) ने तैयार की है जिसमें सात तांबा ब्‍लॉक और तीन स्‍वर्ण ब्‍लॉक शामिल हैं। इस अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि झारखंड जैसे खनिज प्रधान राज्‍यों में खनन क्षमताओं का पूर्ण उपयोग करने के लिए जनवरी 2015 में एमएमडीआर अधिनियम को संशोधित किया गया था। अब यह हमारे ऊपर निर्भर है कि प्रक्रिया को तेज करें ताकि अधिकतम लाभ प्राप्‍त हो सके। श्री तोमर ने झारखंड के मुख्‍यमंत्री और आला अधिकारियों से आग्रह किया कि वे क्रियान्‍वयन पर ध्‍यान दे ताकि जनजातीय आबादी को लाभ मिल सके। श्री रघुबर दास ने मंत्री महोदय को आश्‍वस्‍त किया कि इस दिशा में जल्‍द काम किया जाएगा। बैठक में खान सचिव श्री बलविन्‍दर कुमार, झारखंड के मुख्‍यमंत्री के प्रधान सचिव श्री संजय कुमार तथा खान मंत्रालय, झारखंड सरकार और संबंधित सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के प्रतिनिधि एवं आला अधिकारी उपस्‍थित थे।

उल्‍लेखनीय है कि इस वर्ष जनवरी में श्री तोमर ने 14 क्षेत्रों की अन्‍वेषण रिपोर्ट को श्री रघुबर दास को सौंपा था जिसमें 12 बॉक्‍साइट और दो सोने की खानों के बारे में अन्‍वेषण रिपोर्ट शामिल थी। श्री तोमर ने भारतीय भूगर्भीय सर्वेक्षण और एमईसीएल जैसी अन्‍वेषण एजेंसियों की मदद उपलब्‍ध कराने का प्रस्‍ताव किया ताकि राज्‍य में अन्‍वेषण कार्य में गति आ सके। पिछले दिनों कोयला ब्‍लॉकों की सफल नीलामी का उल्‍लेख करते हुए श्री तोमर ने कहा कि झारखंड इस्‍पात मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एमएसटीसी लिमिटेड की विशेषज्ञता का इस्‍तेमाल कर सकता है। इस अवसर पर एमएसटीसी के अध्‍यक्ष एवं प्रबंध महानिदेशक श्री एस. के. त्रिपाठी ने राज्‍य का दौरा करने के लिए रजामंदी व्‍यक्‍त की ताकि अन्‍वेषण प्रक्रिया की तैयारी जल्‍द हो सके।

बैठक में स्‍टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के लिए खानों के पट्टे के नवीनीकरण के विषय पर भी चर्चा की गई। झारखंड के मुख्‍यमंत्री को 50 एमटीपीए की सेल की विस्‍तार योजना की जानकारी भी दी गई। क्षमता विस्‍तार के लिए लौह अयस्‍क की आपूर्ति बढ़ाने की आवश्‍यकता होगी, जिसके लिए गुआ और चिरिया खानों के नवीकरण और उसका विस्‍तार तुरंत किया जाना जरूरी होगा।

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