नई दिल्ली: माननीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह जी, श्री सुदर्शन भगत जी, सचिव श्री देवेंद्र चौधरी जी, श्री एस. के. पटनायक जी, डॉ. टी महापात्रा जी, विशिष्ट सहभागीगण, देवियों और
सज्जनों !
2. यह मेरा सौभाग्य है कि इस राष्ट्रीय सम्मेलन के अवसर पर मैं आप सभी का स्वागत कर रहा हूं। जैसा कि आप जानते हैं कि इस वर्ष मानसून तथा वर्षा देरी से शुरू हुए किंतु अधिकतर राज्यों में खरीफ फसलों की बुआई के लिएअच्छी वर्षा हुई है। फसलों के तहत हुई कवरेज ने इस वर्ष बेहतर खरीफ उत्पादन दर्शाया है। खरीफ 2016 के दौरान 106.25 लाख हैक्टेयर सामान्य क्षेत्र (9.9.2016 की स्थिति के अनुसार) की तुलना में 105.44 लाख हैक्टेयर खाद्यान और रेशे वाली फसलें उगाई गई हैं, जो कि काफी अच्छी स्थिति है और राज्यों द्वारा वर्षा सिंचित स्थिति के तहत दलहन और तिलहन के अधीन अधिक क्षेत्र कवरेज पर काफी जोर दिया गया है। अब तक (9.9.2016 की स्थिति के अनुसार) दलहन के अधीन कवर किया गया क्षेत्र सामान्य की तुलना में लगभग 37.93% अधिक है।
3. ऐसे क्षेत्रों में जहां अधिक वर्षा दर्ज की गई है, हम काफी हद तक रबी दलहनों और तिलहनों की बुआई हेतु अनुकूलता की आशा करते हैं। वर्षा सिंचित क्षेत्र में दलहनों और शुष्क क्षेत्रों में परती चावल की बुआई में भी आशाजनक उपलब्धि होगी। इस सम्मेलन में हमारी मुख्य रणनीति यह है कि हम खरीफ 2016 की फसल की समीक्षा और मूल्यांकन करते हुए बेहतर फसल कटाई सुनिश्चित करें। इसके अलावा हमें आने वाले रबी मौसम के लिए भी सुनियोजित रणनीति बनानी होगी।
4. निवेश आपूर्ति रणनीति के तहत पहले से ही क्षेत्रीय सम्मेलनों में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा राज्यों के साथ परिचर्चा की जा चुकी है। राज्यों को बीजों, उर्वरकों और कीटनाशकों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कृषि विनियामक उपायों को कार्यान्वित करने के लिए गुणवत्ता युक्त ऊर्जा की आपूर्ति भी सुनिश्चित करनी होगी। राज्यों और केंद्र सरकार के प्रमुख कार्यों में से एक कार्य यह है कि वे किसानों को तकनीकी का हस्तांतरण सुनिश्चित करें। मैंने भारत सरकार के संबंधित कार्यक्रमों का जायजा लिया है। आवश्यकता इस बात की है कि उनका प्रभावी कार्यान्वयन किया जाए। मुझे उम्मीद है कि इस सम्मेलन में हुई सार्थक बातचीत से समस्याग्रस्त क्षेत्रों की समस्याओं का हल तलाशने में मदद मिलेगी एवं राज्यों को रबी 2016-17 में अधिक से अधिक उत्पादन करने की प्रेरणा मिलेगी।
5. जैसाकि आप जानते हैं कि हमारे देश की लगभग 58% आबादी अपने जीवनयापन के लिए कृषि पर निर्भर करती है। इसलिए सरकार ने निर्णय लिया है कि वह न केवल उत्पादकता सुधारने हेतु ध्यान केंद्रित करेगी अपितु लक्ष्य यह भी है कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दुगुनी कर दी जाए। हाल ही में सरकार ने डेयरी मत्स्य पालन और कृषि क्षेत्रों की बाबत नए कार्यक्रम शुरू किए हैं। इसके अलावा सफल ई-राष्ट्रीय मंडियों की परिचालना से 200 ई-मंडियां तैयार हो जाएंगी। इस अनुक्रम में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भी एक अच्छा कदम है। इसके तहत किसान 2016-17 से बेहतर सुरक्षा हासिल करने के साथ साथ अतिरिक्त आय भी प्राप्त कर सकेंगे।
6. इस मंत्रालय के कार्यक्रमों के तहत प्रमुख लक्षित प्रयासों में कृषि विकास के सभी पहलु शामिल हैं। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत अंगीकृत विविध प्रयासों के तहत राज्यों को कार्यान्वयन की आयोजना के कारण आधारभूत स्तर पर प्रौद्योगिकी के अंगीकरण से संबंधित अनुसंधान कार्य और राज्य स्तर पर कार्यक्रमों की संस्वीकृति की आयोजना से शुरू करके राज्यों को पर्याप्त अवसर प्राप्त होंगे। आवश्यकता इस बात की है कि परिणामोन्मुखी कार्यक्रमों को बनाया जाए। जैसा कि आप जानते हैं कि भारत सरकार ने पहले से ही किसानों के लिए वृद्धिकृत ऋण उपलब्धता का प्रावधान किया है। इस परिप्रेक्ष्य में वृद्धिकृत लक्ष्य 2016-17 में 9 लाख करोड़ रूपये हैं। इसके द्वारा कृषि क्षेत्र में नए उत्साह के साथ निवेश का सूत्रपात होगा।
7. 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए राज्यो को दी जाने वाली निधियों को 32% से बढ़ाकर 42% कर दिया गया है। सरकार चाहती है कि वह कृषि क्षेत्र में अधिक निवेश करने के लिए राज्य सरकारों को प्रोत्साहित करे। इसके तहत यह परिकल्पना की गई है कि सभी कार्यक्रमों में केंद्र सरकार का हिस्सा 60% ओर राज्यों का 40% सुनिश्चित कर दिया जाए।
8. मैं आशा करता हूं कि यह सम्मेलन खरीफ और रबी की फसलों में रिकार्ड उत्पादन प्राप्त करने के इरादे में आशानुरूप सफलता प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण मंच का कार्य करेगा।
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