नई दिल्ली/देहरादून: नई दिल्ली स्थित श्रम शक्ति भवन में उत्तराखण्ड के पेयजल एवं शिक्षा मंत्री, मंत्री प्रसाद नैथानी ने केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा पुनरूद्धार मंत्री उमा भारती से भेंट की। उन्होंने केंद्र की सहायता से राज्यों में चलने वाली विभिन्न योजनाओं के लिए शीघ्र वित्तीय स्वीकृति प्रदान किये जाने की मांग की।
पेयजल एवं शिक्षा मंत्री श्री नैथानी ने केंद्रीय मंत्री सुश्री उमा भारती को अवगत कराते हुए कहा कि केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय द्वारा विगत 5 मई, 2015 को आयोजित ई.एस.आई.सी. की बैठक में हरिद्वार में 40 एम.एल.डी. सीवेज ट्रीटेमेन्ट प्लान्ट लागत रूपये 71.40 करोड़ के निर्माण का अनुमोदन होने तथा उत्तरकाशी नगर में क्षतिग्रस्त सीवरेज योजना लागत रूपये 4.49 करोड़ का भी अनुमोदन ई.एस.सी. में होने के बाद भी इन कार्यों की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति निर्गत नहीं हो सकी है। उन्होंने राज्य हित में शीघ्र वित्तीय स्वीकृति निर्गत किये जाने की मांग की।
पेयजल एवं शिक्षा मंत्री श्री नैथानी ने कहा कि ऋषिकेश नगर में त्रिवेणीघाट से राइजिंग तथा एस.टी.पी. कार्य हेतु रूपये 6.50 करोड़ की योजना केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा पुनरूद्वार मंत्रालय को धनावंटन एवं स्वीकृति हेतु पे्रषित की गयी है। इस कार्य निर्माण का लक्ष्य अर्द्धकुम्भ मेला-2016 से पूर्व में किया जाना प्रस्तावित किया गया है। उन्होंने इस योजना के लिए भी प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति शीघ्र निर्गत कराये जाने की मांग की।
उन्होंनंे केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री को अवगत कराते हुए कहा कि जनपद टिहरी गढ़वाल के विकासखण्ड कीर्तिनगर में स्थित अलकनन्दा नदी के दाये तट पर ग्राम देवली, घिडियाल गांव एवं जाखणी की सुरक्षा हेतु सिंचाई विभाग उत्तराखण्ड द्वारा एक कार्य योजना (लागत 1378.24 लाख रुपये) जिसे उत्तराखण्ड शासन द्वारा गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग पटना को प्रेषित की गयी थी। गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग द्वारा योजना पर आपत्ति लगायी गयी, जिसका जवाब मुख्य अभियंता एवं विभागाध्यक्ष सिंचाई विभाग, उत्तराखण्ड सरकार द्वारा भेज दिया गया है। उन्होंने कहा कि इन स्थानों पर अलकनन्दा नदी के बहाव/जलस्तर में वृद्वि होने से जानमाल का खतरा बना रहता है। उन्होंने उपरोक्त योजना पर शीघ्र धनावंटन करने का अनुरोध किया। जिससे उक्त गांवो को सम्भावित क्षति से बचाया जा सकें।
पेयजल एवं शिक्षा मंत्री श्री नैथानी ने ’’नमामि गंगे’’ कार्यक्रम के फलस्वरूप नदियों को स्वच्छ किये जाने की योजना की प्रशंसा करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड राज्य में इन पवित्र नदियों की ख्याती के फलस्वरूप ही प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में देश/विदेश से पर्यटक उत्तराखण्ड आते है। प्रदेश की पवित्र नदियों को प्रदूषण मुक्त रखना प्रत्येक नागरिक का कत्र्तव्य है, जिस हेतु राज्य में गंगा नदी के किनारो पर बसे नगर/बस्तियों में जलोत्सारण योजनाओं का क्रियान्वयन ’’नमामि गंगे’’ कार्यक्रम के अन्तर्गत किया जा रहा है। उन्होंने उत्तराखण्ड राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियांे को दृष्टिगत रखते हुये उत्तरकाशी गंगोत्री एवं देवप्रयाग शहरों हेतु स्वीकृति जलोत्सारण योजनायों के लिए धनावंटन भारत सरकार के स्तर पर कये जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि गोपेश्वर, श्रीनगर, हरिद्वार एवं ऋषिकेश शहरों हेतु रूपये 207.04 करोड़ की जलोत्सारण योजनायें प्रस्तावित है जिन्हें ई.एस.सी. की आगामी बैठक में प्रस्तुत किया जाना है।
श्री नैथानी ने गंगा नदी के पुनरोद्धार हेतु उक्त जलोत्सारण योजनाओं को भारत सरकार द्वारा संचालित कार्यक्रम ’’नमामि गंगे’’ के अन्तर्गत शीघ्र स्वीकृत कराते हुए उत्तराखण्ड राज्य के लिए धनावंटन किये जाने का अनुरोध किया।