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राज्य के मंत्रियों और सचिवों के साथ ग्रामीण स्वच्छता और पेयजल योजनाओं की राष्ट्रीय स्तर की समीक्षा बैठक में भाग लेते हुएः मंत्री प्रसाद नैथानी

उत्तराखंड
नई दिल्ली/देहरादून: उत्तराखण्ड के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री, मंत्री प्रसाद नैथानी ने आज दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में भारत सरकार के पेयजल एवं स्वस्छता मंत्रालय की

ओर से राज्य के मंत्रियों और सचिवों के साथ ग्रामीण स्वच्छता और पेयजल योजनाओं की राष्ट्रीय स्तर की समीक्षा बैठक में भाग लिया। पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा  आयोजित इस समीक्षा बैठक में उत्तराखण्ड सहित ग्यारह राज्यों ने भाग लिया। बैठक में केंद्रीय मंत्री चैधरी बिरेंद्र सिंह की अध्यक्षता में बैठक सम्पन्न हुई। मंत्री प्रसाद नैथानी ने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार स्वच्छ उत्तराखण्ड के लिये कृत संकल्पित है।
उक्त बैठक में मंत्री प्रसाद नैथानी ने उत्तराखण्ड राज्य की एन0आर0डी0डब्लू0पी0 कार्याें की प्रगति के बारे में अवगत कराते हुये पेयजल व्यवस्था के आंकड़े प्रस्तुत किये। जिसमें उन्होंने बताया कि 39309 बस्तियों में से, 40 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन की दर से, दिनांक 1.4.2015 तक 21323 बस्तियों को पूर्ण रूप से पेयजल सुविधा उपलब्ध कराई गयी है, जो लगभग 54 प्रतिशत है, शेष 17959 आंशिक आच्छादित बस्तियों को पेयजल सुविधा उपलब्ध करायी जानी है। इसके अलावा 27 गुणवत्ता प्रभावित बस्तियों को भी शुद्व पेयजल की सुविधा से आच्छादित किया जाना है।
उन्होनंे कहा कि भारत सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य 2019 तक, समस्त ग्रामवासियों को शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराने के लिये समस्त बस्तियों में निवास कर रहे ग्रामीणों को 55 से 70 लीटर प्रति व्यक्ति, प्रति दिन की दर पर पेयजल सुविधा उपलब्ध करायी जानी है, ताकि फ्लसिंग के लिये पर्याप्त पानी मिल सके, तभी ग्रामीण क्षेत्र का प्रत्येक नागरिक शौचालयो का पूर्णरूपेण उपयोग कर स्वच्छता के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहभागी हो सकेगा।
नैथानी ने कहा कि भारत सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2015-16 में संशोधित लक्ष्य के अनुसार 473 बस्तियों को लाभान्वित करना (460 आंशिक सेवित बस्तियों एवं 13 जल गुणवत्ता प्रभावित बस्तियों, कुल 473 बस्तियांे) हंै। इसमंे से 31 मार्च, 2016 तक 460 आंशिक सेवित बस्तियों तथा 9 जल गुणवत्ता प्रभावित बस्तियों को पूर्णरूप से लाभान्वित करने हेतु उत्तराखण्ड सरकार प्रयासरत है, किन्तु भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के अन्तर्गत बजट मंे भारी कटौती कर दिये जाने के कारण भारत सरकार द्वारा निर्धारित भौतिक लक्ष्यों को शत-प्रतिशत प्राप्त करना संभव नहीं हैं। वर्ष 2014-15 में स्वीकृत परिव्यय के सापेक्ष माह जनवरी, 2016 तक भारत सरकार द्वारा लगभग 36 प्रतिशत धनराशि से उपलब्ध करायी गयी है। श्री नैथानी ने कहा कि हमारे राज्य में वर्ष 2010-11 से वर्तमान तक 352 पेयजल योजनाएं जिनकी कुल लागत लगभग रूपये 800 करोड़ है, एन0आर0डी0डब्लू0पी0 कार्यक्रम के अन्तर्गत स्वीकृत है, जिनके लिये वर्तमान तक लगभग रूपये 445 करोड़ धनराशि (55 प्रतिशत) उपलब्ध करायी गयी है तथा इन योजनाआंे को पूर्ण कराने के लिये शेष 335 करोड़ धनराशि की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त 71 नयी पेयजल योजनाएं जिनकी लागत लगभग रूपये 400 करोड़ है, शासन में स्वीकृति हेतु विचाराधीन है एवं इन नयी योजनाओं को भारत सरकार(पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय) द्वारा स्वीकृति न किये जाने का प्रतिबन्ध लगाये जाने के कारण उत्तराखण्ड शासन से स्वीेकृति जारी नहीं हो पा रही है। अतः भारत सरकार द्वारा इन प्रतिबन्ध को समाप्त करने से उक्त योजनाओं का क्रियान्वयन संभव होगा।
उन्होनें कहा कि भारत सरकार ने एन0आर0डी0डब्लू0पी0 कार्यक्रम में प्रथम किश्त के रूप में रू0 48.95 करोड़ की धनराशि राज्य के लिये माह जून, 2015 में अवमुक्त की है। इस अवमुक्त धनराशि में प्रोग्राम फंड की धनराशि रू0 45.49 करोड़ तथा सर्पोट फंड की धनराशि रू0 3.45 करोड़ है। दिनांक 1.4.2015 को अवशेष प्रोग्राम फंड की धनराशि तथा वर्ष 2015-16 में अवमुक्त फंड की धनराशि को जोड़ते हुये कुल उपलब्ध धनराशि का 77 प्रति का उपयोगिता प्रमाण पत्र राज्य से भारत सरकार  को माह दिसम्बर, 2015 में भेजा जा चुका है। इस उपयोगिता प्रमाण पत्र के साथ प्रोग्राम फंड की द्वितीय किश्त अवमुक्त करने हेतु राज्य से भारत सरकार के लिये एक अनुरोध पत्र भी भेजा गया जिस पर केंद्रीय मंत्रालय से उन्होनंे राज्य के लिए द्वितीय किश्त एन0आर0डी0डब्लू0पी0 कार्यक्रम में शीघ्र अवमुक्त करने की मांग की।
श्री नैथानी ने अवगत कराते हुए बताया कि पेयजल विभाग के अन्तर्गत उत्तराखण्ड जल संस्थान द्वारा राज्य के 13 जनपदों मंे 263 ग्रामीण पम्पिग योजनाओं, 3995 ग्रामीण गुरूत्व योजनाओं, कुल 4528 ग्रामीण पेयजल योजनाओं का रखरखाव, संचालन एवं प्रबन्धन किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रान्तर्गत 241215 निजी जल संयोजन, 8676 हैण्ड पम्प एवं 51178 जल स्तम्भों के माध्यम से जलापूर्ति कर लगभग 5560473 जनसंख्या को पेयजल से लाभान्वित किया जा रहा है। इन योजनाओं के संचालन, रखरखाव एवं प्रबन्धन में कुल वार्षिक व्यय रू0 157.58 करोड़ (विद्युत रहित रू0 125.97 करोड़) होता है। उन्होंने कहा कि पेयजल विभाग के अधीन उत्तराखण्ड पेयजल निमग, उत्तराखण्ड जल संस्थान एवं परियोजना प्रबन्ध इकाई- स्वजल परियोजना द्वारा सुचारू पेयजल व्यवस्था उपलब्ध कराने एवं उत्पादन लागत में कमी किये जाने हेतु विभिन्न अभिनव प्रयोग/प्रयास किये गये हैं जिनमें रिवर बैंक फिल्टरेशन के द्वारा नदी जल श्रोतों से प्राप्त जल के शुद्विकरण हेतु जल शोधन संयन्त्रों का निर्माण किया जाता है, जिसके लिय अधिक भूमि तथा पंूजी की आवश्यकता होती है, इनके अनुरक्षण तथा संचालन में भी अधिक व्यय होता है, उत्तराखण्ड जल संस्थान द्वारा आधुनिकतम तकनीक अपनाकर नलकूप एवं मिनी नलकूपों का स्वचालितीकरण का कार्य गया है। इस व्यवस्था के संचालन से मानवीय भूल एवं अन्य विद्युत सम्बन्धी त्रुटियों के कारण जलापूर्ति व्यवस्था में व्यवधान को अत्यन्त न्यून किया गया है, कम्प्यूटरीकृत शिकायत निवारण केंद्र विभाग द्वारा विभागीय कार्यप्रणाली में सुधार लाये जाने एवं उपभोक्ताओं को बेहतर सुविधा प्रदान किये जाने के उद्देश्य से राज्स स्तरीय “कम्प्यूटरीकृत शिकायत निवारण केन्द्र” देहरादून में स्थापित है, जिसका टौल फ्री नं0 1800-180-4100 है। आॅनलाइन बिलिंग डिमांड एवं कलैक्शन सिस्टम विभाग द्वारा सिंगल विंडो सिस्टम के अन्तर्गत आॅनलाईन बिलिंग डिमाण्ड एवं कलैक्शन साॅफ्टवेयर तैयार किया है इसके अलावा ई-प्रोक्योरमेन्ट, इ-टेन्डरिंग, टेन्डरिंग(निविदा) की नयी पद्धति है। टैण्डरिंग/अनुबन्ध में पारदर्शिता एवं स्वच्छ प्रतिस्पद्र्धा की दृष्टि से यह प्रणाली लागू की गयी है। रू0 एक करोड़ या उससे अधिक लागत के कार्य इस प्रणाली द्वारा सम्पादित कराये जा रहे है। उत्तराखण्ड राज्य द्वारा पंचायत प्रतिनिधियों की कैपीसिटी बिल्डिंग का कार्य उत्तराखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों में माह दिसम्बर, 206 से स्वैप  पद्धति से कार्य कराये जा रहे है। इस पद्धति में ग्रामीण उपभोक्ताओं की सहभागिता के आधार पर पंचायत प्रतिनिधियों के माध्यम से कार्यो को सम्पादित कराया जाता है। पंचायत प्रतिनिधियों के माध्यम से कार्य कराने हेतु उनकी कैपीसिटी बिल्डिंग के लिए स्वजल परियोजना के अधिकारियों/ कर्मचारियों द्वारा पंचायत प्रतिनिधियों को व्यापक से प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सोलर बेस्ड डयूल यूनिट का अधिष्ठापन कार्य के माध्यम से प्रदेश मे वर्तमान मेें लगभग 200 सोलर बेस्ड डयूल हैण्डपम्प यूनिट का अधिष्ठापन का कार्य जिसकी लागत रू0 9.8 करोड़ है, पेयजल निमग द्वारा एन0आर0डी0डब्लू0पी0 कार्यक्रम के सस्टेनबिल्टी/कवरेजमद में कराया जा रहा है जिसमें से वर्तमान तक 54 सोलर डयूल हैण्डपम्प यूनिट अधिष्ठापित कर चालू कर दिये गये है तथा 146 सोलर डयूल हैण्डपम्प पम्पिग यूनिट निर्माणाधीन है।
म्ंात्री प्रसाद नैथानी ने आगामी तीन वित्तीय वर्षों में प्रतिवर्ष लगभग रू0 1200 करोड़ का परिव्यय उत्तराखण्ड राज्य के लिए एन0आर0डी0डब्लू0पी0 कार्यक्रम में निर्धारित करने का भी अनुरोध किया। जिससे वर्ष 2019 तक समस्त असेवित/आंशिक असेवित ग्रामीण बस्तियों को पेयजल सुविधा से आच्छादित करने के साथ-साथ समस्त ग्रामीण बस्तियों में निर्मित किये जाने वाले शौचालयों का सही प्रकार से उपयोग किया जाना सम्भव हो सकेगा।
उत्तराखण्ड राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक ग्राम पंचायत में महिला मंगल दल गठित है, जो कि महिलों का समूह है तथा ग्राम पंचायत में जन-जागरूकता कार्यक्रम में महिला मंगल दलों की अहम भूमिका होती है। दल में ग्राम के प्रत्येक परिवार की महिला सम्मिलित होती है। उक्त बिन्दुओं पर ध्यान रखते हुये राष्ट्रीय पेयजल आपूर्ति कार्यक्रम (एन0आर0डी0डब्लू0पी0) में महिला मंगल दलो का सूचना, शिक्षा एवं संचार के अन्तर्गत महिलाओं से ग्रामों में दीवार लेखन, स्वच्छता के प्रति जागरूकता, शौचालय के प्रयोग के प्रति ग्रामीणों को जागरूक करना, स्कूली बच्चों को स्वच्छता की जानकारी देना, स्वच्छता दिवस का आयोजन करना, ठोस एव तरल अपशिष्ट की जानकारी, संचालन एवं रखरखाव की जानकारी देना, पानी की जांच करना, खुले में शौच की प्रथा को समाप्त करना तथा खुले में शौच करने वालों पर जुर्माना आदि की जानाकारी महिला मंगल दलों को प्रशिक्षण के माध्यम से दी जानी है, ताकि ग्राम पंचायत स्तर पर गठित महिला मंगल दल के सदस्यों द्वारा पेयजल एवं स्वच्छता कार्यक्रमों में प्रभावी जन-जागरूकता कार्य किये जा सके।

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