नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने हर साल 25 सितम्बर को राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर पंडित दीन दयाल उपाध्याय के जन्मदिन पर किसानों को पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री राधा मोहन सिंह ने कालीकट, केरल में विजेता किसानों को दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय कृषि पुरस्कार प्रदान करते हुए इसकी घोषणा की। 26 सितंबर, 2016 को श्री राधा मोहन सिंह, पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्मस्थली मथुरा में भी पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित करेंगे। इस क्रम में एक राष्ट्रीयपुरस्कार और 10 जोनल पुरस्कार विजेताओं को आज देश के विभिन्नसंबंधित क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर आयोजित किए गए समारोह में सम्मानित किया गया।
महान दार्शनिक और विचारक पं. दीन दयाल उपाध्याय, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र का निर्माण करने और निर्धनतम लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए समर्पित कर दिया था, द्वारा किए गए योगदान का सम्मान करने के लिए पूरे राष्ट्र में आयोजित किए जा रहे शताब्दी समारोहों के भाग के रूप में, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने इस वर्ष (2016) से पंडित दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय कृषि पुरस्कार (राष्ट्रीय और जोनल) आरंभ किया है। इसमें राष्ट्रीय स्तर पर एक लाख रूपये का एक पुरस्कार और प्रत्येक 50 हजार रूपये के 11 जोनल पुरस्कार तथा प्रशस्ति पत्र एवं प्रमाण-पत्र प्रति वर्ष दिए जाएंगे।इस पुरस्कार का मुख्य उद्देश्य कृषि, बागवानी, पशुपालन, मछलीपालन आदि क्षेत्रों में एकीकृत तथा टिकाऊ मॉडलों को विकसित करने हेतु सीमांत, छोटे और भूमिहीन किसानों के योगदान को मान्यता प्रदान करना है।
वर्ष 2016 की राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता दिनपुर, नजफगढ़ से एक अत्यधिक उद्यमशील महिला किसान श्रीमती कृष्णा यादव रहीं हैं। उन्हें यह पुरस्कार उनकी खाद्य पदार्थों विशेषरूप से फलों और सब्जियों के प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए प्रदान किया गया है। वह नजफगढ़, नई दिल्ली की एक सफल खाद्य प्रंसस्करण उद्यमी हैं। उसकी सड़क पर‘सब्जी बेचने’से लेकर कारखाना खोलने की असाधारण उद्यमिता यात्रा महिला सशक्तिकरण का एक अनुकरणीय उदाहरण है। वे लगभग 15 क्विंटल फल एवं सब्जियों के प्रसंस्कृत उत्पादों का विनिर्माण करती हैं और अन्य लोगों को भी रोजगार मुहैया कराती हैं। उसने प्रौद्योगिकी अंगीकरण, विविधीकरण, प्रौद्योगिकी विकास,प्रौद्योगिकी परिष्करण तथा प्रौद्योगिकी प्रसारण में भी पर्याप्त प्रगति की है। वे भारत के माननीय प्रधानमंत्री के कौशल भारत स्वप्न को पूरा करने के लिए प्रशिक्षण तथा मानव संसाधन विकास में भी सक्रिय रूप से कार्य कर रही हैं। उसने प्राकृतिक पूसा पेय पदार्थों तथा सोयाबडियों की नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियों के वाणिज्यीकरण के लिए भी आईएआरआई के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए है।
जोनल पुरस्कार विजेताओं में श्री जिन्दर सिंह, जो रूपनगर,पंजाबके एक छोटे किसान हैं उन्होंने पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश के और दिल्ली के राज्यों को शामिल करते हुए जोन I से पुरस्कार प्राप्त किया है।उन्होंने ‘’चमकौर साहिब पनीरी फार्म’’के ब्रान्ड नाम के तहत सब्जी फसलों की नर्सरी तैयार करने और बेचने का कार्य आरंभ किया है। वर्ष 2011 में उन्होंने खेती से होने वाली अपनी आय को बढ़ाने के लिए मधुमक्खी पालन का कार्य आरंभ किया था। उन्होंने सब्जी की खेती करने तथा उत्पादन करने में प्रगति हेतु निकटवर्ती क्षेत्रों से अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है।
राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के राज्यों को शामिल करते हुए जोनII से पुरस्कार की विजेता श्रीमती पूजा शर्मा, हरियाणा से एक छोटी कृषक हैं जिन्होंने कृषि के अपने नवोन्मेष तरीकों के लिएसर्वतोमुखी पुरस्कारप्राप्त किया है। उन्होंने सोयाबीन उत्पादों के निर्माण के लिए आईएआरआई प्रौद्योगिकी का अनुपालन किया और राष्ट्रीय स्तर एवं राज्य स्तर पर भी उत्पाद के विपणन के लिए स्वयं सहायता समूह प्रारंभ किया। उन्होंने प्रोटीन वर्धक उत्पाद के रूप में सोयाबीन के लाभों के बारे में जागरूकता फैलाने में सहायता की है जो उनके निकटवर्ती क्षेत्रों में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के लिए उपलब्ध है और इसका परिणाम उनके स्वास्थ्य एवं पोषण में सुधार के रूप में सामने आया है।
श्री मोती सुपुत्र श्री श्यामा, जो मथुरा के सैदासोंख गांव से एक छोटे कृषक हैं जिनके पास केवल 1.5 एकड़ भूमि है,उन्होंने यह पुरस्कार जोन IIIजिसमें सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश शामिल है, कृषि के अपने नवोन्मेषी तरीकों जिनमें नई किस्मों के बीजों तथा रोपण सामग्री का उत्पादन करना और युक्तिसंगत दरों पर अपने साथी किसानों को वितरण करना शामिल है, में अपने उत्कृष्ट कौशल के लिए जीता है। विशेषरूचि की फसलों में अन्य फसलों के साथ-साथ गेहूं, बाजरा, सरसों, आलूऔर भिन्डी शामिल हैं। उसने न केवल अपनी आय को दोगुणा करने के लिए प्रयास किए हैं बल्कि क्षेत्र के अन्य किसानों की आय बढ़ाने में भी योगदान दिया है। इसके अलावा वह अपने परिवार की आय बढ़ाने के लिए अच्छे डेरी पशुओं का भी पालन पोषण कर रहा है।
बिसनपुर बांका, बिहार से श्री दीपक कुमार सिंह को जोन IV, जिसके अंतर्गत बिहार और झारखंड राज्य आते हैं, को यह पुरस्कार प्रदान किया गया है। श्री सिंह खुम्ब की खेती और उसकी बिक्री के कार्य से जुड़े हैं जिससे उन्हें काफी अच्छी आय प्राप्त होती है। अपने प्रयासों से उन्होंने अपने आस-पास के क्षेत्रों के अधिकांश छोटे और सीमांत किसानों को उनकी कृषि आय बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया है।
अंडमान ओर निकोबार द्वीपसमूह के नींबूडेरा के एक छोटे किसान, श्री अशोक कुमार सरकार को जोन V, जिसके अंतर्गत पश्चिम बंगाल, ओडिशा और अंडमान और निकोबार महाद्वीप आते हैं, को कृषि उत्पादन में उनके उत्कृष्ट उद्यमशीलता कौशल के लिए पुरस्कृत किया गया है। उन्होंने रोगों और नाशीजीवों के एकीकृत प्रबंधन के लिए देशी फील्ड एवं सब्जी फसलों, फसल चक्रों और बीजोत्पादन की उन्नत रोग प्रतिरोधी किस्मों की खेती की विधियों, जिनका क्षेत्र के अन्य साथी किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर अंगीकरण किया जा रहा है, को अपनाकर काफी लोकप्रियता हासिल की है।
जोन VI, जिसके अंतर्गत असम, अरूणाचल प्रदेशऔर सिक्किम राज्य आते हैं,से पूर्वी सिक्किम के पैकयोंग की श्रीमती अनुराधा छेत्री को पुरस्कृत किया है। उन्होंने यह प्रदर्शित किया कि आर्किड के साथ कृषि क्रियाकलापों का विविधीकरण देश के पहाड़ी क्षेत्रों में छोटी जोत वाले किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है। उन्होंने भाकृअनुप- एनआरसी-आर्किड द्वारा विकसित विभिन्न प्रौद्योगिकियों को अपनाया और आर्किडों में उत्पादन की लागत को कम करने के लिए उनका उन्नयन किया। उनकी विधियों से किसानों को धन तथा समय दोनों की बचत करने में सहायता मिली है।
जोन VII, जिसके अंतर्गत त्रिपुरा, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और मेघालय के पूर्वी राज्य आते हैं, से सबरूम, त्रिपुरा के एक छोटे किसान श्री विश्वजीत मजूमदIर को पुरस्कृत किया है। श्री विश्वजीत एक सफल कृषि उद्यमी हैं और उन्होंने अपने गांव में एक किसान कल्ब स्थापित किया है। उन्होंने अपने साथी किसानों को वाणिज्यिक फार्म, मछली फार्म और डेरी फार्म स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया है। वह स्थानीय किसानों तथा भाकृअनुप और केवीके वैज्ञानिकों के बीच एक महत्वपूर्ण संपर्क के रूप में कार्य कर रहे हैं।
श्री हसमभाई जुमाभाई मुसनगारा जो गिर, सोमनाथ, गुजरात के एक उद्यमी मछली किसान हैं, को जोन VIII, जिसके अंतर्गत महाराष्ट्र,गुजरात, गोवा, दमन एवं डयू तथा नागर हवेली आते हैं, से कृषि, विशेष रूप से मात्स्यिकी में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए पुरस्कृत किया है। वह गुजरात के वेरावल क्षेत्र में सी केज फार्मिंग के लिए एक मेंटर बन चुके हैं। विशेष रूप से लॉबस्टर फार्मिंग में उनके व्यावहारिक कौशल और दक्षता से अनेक फार्मिंग विधियों, जैसे कि नेट बॉटम हाइड-आउट डिजाइन, ट्रे आधारित आहार विधि, नैक्स्ट एक्सेंज आदि में सुधार लाने में सहायता मिली है।
जोन IX, जिसके अंतर्गत मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्य आते हैं, से झबुआ, मध्य प्रदेश के सारंगी के एक प्रगतिशील एवं नवोन्मेषी किसान,श्री बलराम पाटिदIर को पुरस्कृत किया है। श्री बलराम वैज्ञानिक प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल कर बागवानी और नकदी फसलों की खेती करते हैं। उन्हें जिला कृषि विभाग, झबुआ के एक संसाधन व्यक्ति के रूप में नामित किया गया है और उन्होंने अनेक कृषि औजार विकसित किये हैं, जो कि क्षेत्र के किसानों के लिए काफी उपयोगी हैं।
जोन X, जिसके अंतर्गत आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पुंडुचेरी राज्य आते हैं,से पूर्वी गोदावरी, आंध्र प्रदेश के एक छोटे किसान श्री अलूरी सूर्यनारायण मूर्ति को पुरस्कृत किया गया है। उन्होंने एक समेकित कृषि प्रणाली लागू की जिसने उनके आसपास के क्षेत्रों के किसानों को भारी लाभ अर्जित करने में सक्षम बनाया है।
कर्नाटक, केरल एवं लक्षद्वीप राज्यों से निर्मित जोन XI का पुरस्कार केरल के कोच्चिकोड के श्री ए.बाबूराज ने जीता है। वह एक पारंपरिक मछुआरा हैं जिन्होंने आजीविका विकल्प के रूप में दो दशकों से सफलतापूर्वक टिकाऊ खारा जलजीव पालन विधियों का अनुपालन किया है। वे उत्तर केरल में एक विख्यात तालाब स्थित पर्ल-स्पॉट सीड के उत्पादक हैं। उन्होंने अपनी उपज हेतु उच्च मूल्य पाने के लिए एक नए तरीके से सोशल मीडिया के साथ द्वीप एवं कृषि पर्यटन को समेकित किया है।
उपरोक्त सभी पुरस्कृत व्यक्तियों की शुरूआत निम्न और साधारण रही है और बहुत कम समय में ही उन्होंने न केवल अपने लिए नाम और शोहरत अर्जित कर ली बल्कि अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण के द्वारा अपने संबंधित क्षेत्रों में बड़े कृषक समुदायों को भी लाभ पहुंचाया है। उनकी सफलता की कहानियों ने किसानों को व्यापक रूप से उनका अनुसरण करने तथा माननीय प्रधानमंत्री जी के अगले पांच वर्षों के भीतर किसानों की आय को दोगुनी करने के स्वप्न को साकार करने का रास्ता प्रशस्त किया है।