नई दिल्ली: कोविड-19 के इलाज के बारे में बिना साक्ष्य समर्थन वाले बड़े दावों को रोकने में मदद के लिए प्रधानमंत्री द्वारा जो आह्वान किया गया था, उस दिशा में आयुष मंत्रालय ने कदम उठाने शुरू कर दिए हैं ताकि जागरूकता पैदा करके इस तरह के दावों पर अंकुश लगाया जा सके। इसके अलावा मंत्रालय ने प्रधानमंत्री की उस सलाह पर भी काम करना शुरू कर दिया है जिसमें उन्होंने इस महामारी का प्रसार रोकने के लिए आयुष प्रणालियों से साक्ष्य आधारित समाधान प्राप्त करने हेतु आयुष चिकित्सकों और आयुष संस्थानों से विभिन्न सुझावों और प्रस्तावों को सूचीबद्ध करने के लिए एक चैनल की स्थापना करके के लिए कहा था, और वैज्ञानिकों के एक समूह के माध्यम से उनकी व्यवहार्यता की जांच कराने के लिए कहा था।
मंत्रालय आयुष चिकित्सकों तक पहुंचने और झूठे एवं असमर्थित दावों को रोकने और उन्हें हतोत्साहित करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और सोशल मीडिया जैसे मंचों का उपयोग कर रहा है। 30 मार्च 2020 को आयोजित एक वीडियो कॉन्फ्रेंस में आयुष के विभिन्न विषयों के लगभग सौ विचार नेताओं ने भाग लिया। अन्य बातों के अलावा, उन्होंने इस तरह के अनुचित दावों के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए काम करने का भी संकल्प लिया। रेल और वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल और आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री श्रीपद नाइक ने 30 मार्च 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंस में आयुष उद्योग के नेताओं को संबोधित किया।
आयुष प्रणाली से वैज्ञानिक साक्ष्य-आधारित उपाय ढूंढ़ने की दिशा में काम करने के प्रधानमंत्री के आह्वान पर आयुष मंत्रालय द्वारा शुरू की जा रही कार्रवाई में से एक हैअपनी वेबसाइट पर एक ऑनलाइन चैनल स्थापित करना। ताकि उन मानक वैज्ञानिक दिशानिर्देशों के आधार पर तैयार की गई थैरेपी या प्रक्रियाओं पर वैज्ञानिक स्पष्टीकरणों और प्रस्तावों के आधार पर सुझाव प्राप्त कर सकें जो कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोक सकती हैं, या इस बीमारी का प्रबंधन कर सकती हैं। मंत्रालय ने तदनुसार आयुष चिकित्सकों और आयुष संस्थानों से इनपुट आमंत्रित किए हैं (इन संस्थानों में कॉलेज / विश्वविद्यालय, अस्पताल, अनुसंधान संस्थान, आयुष विनिर्माता, आयुष संघ आदि शामिल हो सकते हैं)। निम्नलिखित लिंक पर मंत्रालय की वेबसाइट पर इनपुट प्रस्तुत किए जा सकते हैं: http://ayush.gov.in/covid-19 (अगर क्लिक करने पर ये लिंक नहीं खुलता है तो आप कॉपी करके अपने वेब ब्राउज़र पर पेस्ट करें।)
प्राप्त किए गए इनपुट्स की जांच विशेषज्ञों की एक समिति द्वारा की जाएगी। इस जांच समिति द्वारा सुझाए गए उन प्रस्तावों को विभिन्न विशिष्टताओं के वैज्ञानिकों के एक समूह द्वारा जांचा-परखा जाएगा। जहां भी संभव हो, उन प्रस्तावों को सत्यापन अध्ययन के लिए उपयोग में लिया जा सकता है।
28 मार्च 2020 को आयुष क्षेत्र की प्रमुख हस्तियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित बातचीत में पीएम ने संबंधित विचार व्यक्ति किए थे।