राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत परिवर्तनकारी सुधारों के एक वर्ष के पूरा होने के अवसर पर, शिक्षा मंत्रालय (एमओई) राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के विभिन्न पहलुओं के बारे में विषय-आधारित वेबिनारों की एक श्रृंखला का आयोजन कर रहा है। प्रौद्योगिकी संचालित शिक्षा पर रचनात्मक जोर राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रमुख पहलुओं में से एक है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए शिक्षा मंत्रालय (एमओई) और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने आज शिक्षा में प्रौद्योगिकी के उपयोग पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। केन्द्रीय रेल, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने इस वेबिनार में देश के विभिन्न हिस्सों से शामिल हुए गणमान्य व्यक्तियों को संबोधित किया।
अपने उद्घाटन भाषण में, केन्द्रीय रेल, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने सभी को शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने शिक्षा की प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए प्रौद्योगिकी के अनुकूलन पर जोर दिया। अंत्योदय के भारतीय संस्कृति में निहित प्रमुख दर्शनों में से एक होने के नाते उन्होंने प्रौद्योगिकी को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने में मदद करने के उद्देश्य से किए गए विभिन्न पहलों का उल्लेख किया। आजीवन सीखते रहने की हिमायत करते हुए, उन्होंने कॉलेज परिसरों को शिक्षार्थियों की दहलीज पर लाने पर जोर दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में सरकार द्वारा उन्नत प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ – साथ कनेक्टिविटी, हाई स्पीड इंटरनेट और संचार के साधनों के व्यापक प्रसार की दिशा में किए गए विभिन्न उपायों के बारे में बताया।
अपने संबोधन में, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर डी.पी. सिंह ने पाठ्यक्रमों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराने से जुड़े विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला। प्रोफेसर सिंह ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की पहल के एक हिस्से के रूप में शिक्षार्थियों को ऑनलाइन शिक्षा की मुख्यधारा में लाने वाले स्वयं, स्वयं प्रभा, एनएडी और अन्य डिजिटल प्लेटफार्मों पर प्रकाश डाला।
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव, श्रीमती अनीता करवाल ने कहा कि स्कूली शिक्षा से जुड़ा राष्ट्रीय डिजिटल प्रणाली का खाका, जिसके जरिए बच्चा पंजीकरण कर सकता है और सीखने की प्रक्रिया से जुड़ सकता है, बच्चे के प्रमाण – पत्र, शैक्षणिक ट्रैक का एक डिजिटल रिकॉर्ड होगा।
नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम से जुड़े प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता करते हुए इंफोसिस के पूर्व सीईओ और एमडी श्री एस.डी. शिबूलाल ने प्रौद्योगिकी और नियमित शिक्षा के बीच की खाई को पाटने के बारे में प्रतिभागियों को संबोधित किया।
इस सत्र के एक वक्ता के तौर पर केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के अध्यक्ष श्री मनोज आहूजा ने वर्चुअल लैब, एआर/वीआर, गैमिफिकेशन के जरिए शिक्षा को डिजिटल बनाने के तरीकों के बारे में बात की। संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित एमआईटी के प्रोफेसर श्री संजय सरमा ने प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए खुलेपन को विकसित करने की जरूरत को सामने रखा। आईआईटी खड़गपुर के कंप्यूटर विज्ञान विभाग के प्रोफेसर पार्थ प्रतिम चक्रवर्ती ने राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय की मदद से एआई द्वारा पाठ्यपुस्तकों के निर्माण, डिजिटल जुड़वां, रोबोट नागरिकों पर केंद्रित अपने संबोधन के साथ इस सत्र का समापन किया।
“एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स के संचालन के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग” विषय पर वेबिनार के दूसरे सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के भूतपूर्व उपाध्यक्ष प्रोफेसर भूषण पटवर्धन ने की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट का प्रावधान कैसे एक लचीला, क्रांतिकारी और दूरंदेशी नवाचार है।
माईगव के सीईओ श्री अभिषेक सिंह ने बताया कि कैसे डिजिलॉकर अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट के भंडारण और हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करेगा। पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आर.पी. तिवारी ने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति कैसे डिजिटल आधार पर उपजी खाई (डिजिटल डिवाइड) को पाटकर डिजिटल आधार पर प्रदान करने (डिजिटल प्रोवाइड) की ओर बढ़ेगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सचिव प्रोफेसर रजनीश जैन ने बताया कि कैसे विश्वविद्यालय एबीसी और मल्टीपल एंट्री एवं एक्जिट के बारे में प्राध्यापकों और विद्यार्थियों के बीच जागरूकता फैला रहे हैं।
एमओओसीएस/वर्चुअल यूनिवर्सिटी पर अंतिम सत्र की अध्यक्षता एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धे ने की। उन्होंने खासतौर पर स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल खिलौनों की मदद से सीखने के लिए एआई के उपयोग के बारे में बात की।
एनआईओएस के अध्यक्ष प्रोफेसर सरोज शर्मा ने बताया कि कैसे सरकार की डिजिटल पहल से ग्रामीण इलाकों के लगभग 1 करोड़ लोग लाभान्वित हुए हैं। आईआईटी मद्रास के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर एंड्रयू थंगराज ने पाठ्यक्रमों के वर्चुअल + फिजिकल हाइब्रिड मॉडल विकसित करने के बारे में वेबिनार को संबोधित किया। आईआईएम बैंगलोर के स्ट्रेटेजी एरिया विभाग के प्रोफेसर पी.डी. जोस ने दुनियाभर के छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली किफायती शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने वाले विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय के निर्माण पर जोर दिया। आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर श्रीधर अय्यर ने शिक्षार्थी केन्द्रित एमओओसी के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करके इस सत्र का समापन किया।
इस वेबिनार में देशभर के कई शिक्षाविदों, उच्च शिक्षा संस्थानों, छात्रों, उद्योग जगत और तकनीकी क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने भाग लिया। इस वेबिनार में विभिन्न मंत्रालयों, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, एआईसीटीई और अन्य प्रमुख संस्थानों के अधिकारी भी मौजूद थे।
इस वेबिनार की मुख्य उद्देश्य आभासी और शारीरिक शिक्षा के मिश्रण के साथ शिक्षा के एक हाइब्रिड मॉडल को स्थापित करना था। प्रौद्योगिकी के उपयोग से लैस राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 सकल नामांकन अनुपात में वृद्धि करेगी, बीच में पढ़ाई छोड़ने (ड्रॉप-आउट) की दर में कमी लाएगी, छात्रों की गतिशीलता, छात्रों के साथ-साथ प्राध्यापकों के लिए भी शिक्षा की न्यायपूर्णता और गुणवत्ता में सुधार लाएगी।
शिक्षा में प्रौद्योगिकी के उपयोग के बारे में आयोजित इस वेबिनार ने भारत में शिक्षा के क्षेत्र में तकनीकी सहायता बढ़ाने के तरीकों के बारे में चर्चा के लिए देशभर के शिक्षाविदों, विद्वानों और उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए एक अवसर उपलब्ध कराया।