पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफएंडसीसी) ने आज यहां 29वां विश्व ओजोन दिवस मनाया। विश्व ओजोन दिवस हर साल 16 सितंबर को ओजोन क्षयकारी पदार्थों के उत्पादन और खपत को चरणबद्ध रूप से समाप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संधि मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करने की याद में मनाया जाता है। यह संधि 1987 में आज ही के दिन लागू हुआ था। आकाश में ओजोन परत के क्षरण और इसे संरक्षित करने के लिए किए गए/किए जाने वाले उपायों के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए विश्व ओजोन दिवस हर साल मनाया जाता है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में ओजोन सेल 1995 से राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर विश्व ओजोन दिवस मना रहा है।
विश्व ओजोन दिवस 2023 का विषय “मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल: ओजोन परत को ठीक करना और जलवायु परिवर्तन को कम करना” है।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में सचिव सुश्री लीना नंदन इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थीं। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के अनुपालन में हमेशा सक्रिय रहा है। उन्होंने इसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसी) को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में किगाली संशोधन के कार्यान्वयन की तैयारी के लिए देश में नई पहल की जा रही है। उन्होंने मंत्रालय द्वारा इस विषय पर आयोजित प्रतियोगिताओं में बड़ी संख्या में भागीदारी के लिए बच्चों की सराहना की। मुख्य अतिथि ने एलआईएफ़ई मिशन सहित एमओईएफसीसी की अन्य पहलों और पर्यावरण संरक्षण के लिए विभिन्न गतिविधियों के बीच तालमेल के बारे में भी जानकारी दी।
यूएनईपी इंडिया कार्यालय के प्रमुख श्री अतुल बगई और यूएनडीपी भारत कार्यालय की उप रेजिडेंट प्रतिनिधि सुश्री इसाबेल त्शान ने भी कार्यक्रम में शामिल लोगों को संबोधित किया।
समारोह की मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं:
जागरूकता सामग्री का प्रकाशन
- स्कूली बच्चों के लिए राष्ट्रीय स्तर की पोस्टर और स्लोगन प्रतियोगिताओं की विजेता प्रविष्टियों का प्रकाशन
ओजोन परत की सुरक्षा पर छात्रों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए, देश भर के स्कूली बच्चों के लिए पोस्टर और स्लोगन लेखन की श्रेणियों में प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इसी उद्देश्य के लिए विकसित वेब पोर्टल के माध्यम से पोस्टर प्रतियोगिता के लिए 4686 प्रविष्टियां और नारा लेखन श्रेणी में 1466 प्रविष्टियां प्राप्त हुई। विजेताओं की प्रविष्टियों को न्यायाधीशों के एक पैनल द्वारा अंतिम रूप दिया गया।
- “द मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल: इंडियाज सक्सेस स्टोरी” का 25 वां संस्करण ओजोन क्षयकारी पदार्थों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल कार्यान्वयन में अब तक की भारत की उपलब्धियों पर प्रकाश डालता है।
प्रकाशनों का विमोचन
- (क) घरेलू विनिर्माण और उत्पादन क्षेत्र – वैकल्पिक रेफ्रिजरेंट और प्रौद्योगिकियां (ख) अनुसंधान और विकास (ग) सेवा क्षेत्र के लिए इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (आईसीएपी) की सिफारिशों के कार्यान्वयन के लिए कार्य योजना। संबंधित मंत्रालयों/विभागों सहित सभी संबंधित हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद आईसीएपी में की गई सिफारिशों के साथ-साथ चल रहे सरकारी कार्यक्रमों/योजनाओं और विभिन्न एजेंसियों द्वारा प्रस्तावित कार्रवाइयों के मानचित्रण के बाद इन 3 विषयगत क्षेत्रों में से प्रत्येक के लिए कार्य योजना को अंतिम रूप दिया गया है।
- एचसीएफसी फेज आउट मैनेजमेंट प्लान (एचपीएमपी) के चरण-3 को 2025 और 2030 के एचसीएफसी चरणबद्ध अनुपालन दायित्वों को पूरा करने के लिए 2023 से 2030 तक लागू किया जाएगा। नए उपकरणों के निर्माण में एचसीएफसी हटाने का काम 31.12.2024 तक पूरा कर दिया जाना चाहिए और सभी नियंत्रित अनुप्रयोगों के लिए 1.1.2030 तक एचसीएफसी को पूरा किया जाना चाहिए।
- “सतत ई-कॉमर्स कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर” पर अध्ययन रिपोर्ट का उद्देश्य शीत श्रृंखला के लिए ई-कॉमर्स बुनियादी ढांचे के विकास के उपायों को बढ़ावा देना है जिसके परिणामस्वरूप शीत श्रृंखला क्षेत्र का समग्र विकास स्थायी तरीके से होगा।
- “प्रशिक्षित और प्रमाणित प्रशीतन और एयर कंडीशनिंग सेवा तकनीशियनों को काम पर रखने के लिए सार्वजनिक खरीद नीतियां” पर अध्ययन रिपोर्ट का उद्देश्य प्रशिक्षित और प्रमाणित तकनीशियनों के उपयोग से जुड़े लाभों की जांच करना है, ताकि न केवल उपकरणों के प्रदर्शन में सुधार करने में उनके विशेष ज्ञान के प्रभाव का मूल्यांकन किया जा सके, बल्कि अच्छी सर्विसिंग प्रथाओं के माध्यम से उपकरण की ऊर्जा दक्षता को भी बढ़ावा दिया जा सके।
वृत्तचित्र फिल्में
- ओजोन परत संरक्षण पर प्रकृति द्वारा संदेशों का एनीमेशन वीडियो
- मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के कार्यान्वयन पर भारत की सफलता की कहानी पर वृत्तचित्र फिल्म।
मुख्य अतिथि द्वारा समारोह में पोस्टर और स्लोगन प्रतियोगिताओं के लिए विजेता प्रविष्टियों और उपर्युक्त प्रकाशनों का भी विमोचन किया गया।
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल: एक संक्षिप्त पृष्ठभूमि
पृथ्वी की सतह से 10 किमी और 40 किमी के बीच समताप मंडल में ओजोन परत मौजूद है और यह हमें सूर्य के अल्ट्रा वायलेट विकिरण से बचाती है। समताप मंडल में बनने वाले इस ओजोन को स्ट्रैटोस्फेरिक ओजोन या अच्छा ओजोन कहा जाता है। ओजोन परत के बिना, सूर्य से विकिरण सीधे पृथ्वी पर पहुंच जाएगा, जिससे मानव स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा, यानी, आंखों का मोतियाबिंद, त्वचा कैंसर, आदि हो सकता है। इससे कृषि, वानिकी और समुद्री जीवन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। क्लोरीन और ब्रोमीन युक्त मानव निर्मित रसायन समताप मंडल में पहुंचते हैं और उत्प्रेरक प्रतिक्रियाओं की एक जटिल श्रृंखला से गुजरते हैं, जिससे ओजोन का विनाश होता है। इन रसायनों को ओजोन क्षयकारी पदार्थ कहा जाता है।
ओजोन परत के संरक्षण पर अंतरराष्ट्रीय संधि वियना कन्वेंशन 1985 में लागू हुआ था। इस कन्वेंशन के तहत, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल 1987 में लागू हुआ ताकि पृथ्वी की ओजोन परत की रक्षा के लिए ओजोन परत की मरम्मत की जा सके और ओजोन क्षयकारी पदार्थों के उत्पादन और खपत को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जा सके।
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल ओजोन-क्षयकारी पदार्थों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए व्यावहारिक और कार्रवाई योग्य कार्यों का एक समूह है। यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा किए गए सहयोग और प्रतिबद्धता के अभूतपूर्व स्तर के कारण अब तक की सबसे सफल और प्रभावी पर्यावरणीय संधियों में से एक है।
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के कार्यान्वयन में भारत की उपलब्धियां
जून 1992 से मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के एक पक्ष के रूप में भारत मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल को सफलतापूर्वक कार्यान्वित कर रहा है। भारत ओजोन क्षयकारी पदार्थ हटाने की प्रोटोकॉल की परियोजनाओं और गतिविधियों को प्रोटोकॉल के चरणबद्ध कार्यक्रम के अनुरूप लागू कर रहा है। भारत ने मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल चरणबद्ध कार्यक्रम के अनुरूप 1 जनवरी, 2010 की स्थिति के अनुसार क्लोरोफ्लोरोकार्बन, कार्बन टेट्राक्लोराइड, हैलोन, मिथाइल ब्रोमाइड और मिथाइल क्लोरोफॉर्म को नियंत्रित उपयोग के लिए चरणबद्ध रूप से हटा दिया है। वर्तमान में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की त्वरित अनुसूची के अनुसार हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (एचसीएफसी) को चरणबद्ध तरीके से हटाया जा रहा है। हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन फेज आउट मैनेजमेंट प्लान (एचपीएमपी) स्टेज-1 को 2012 से 2016 तक सफलतापूर्वक लागू किया गया है और हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन फेज आउट मैनेजमेंट प्लान (एचपीएमपी) स्टेज -2 अभी 2017 से कार्यान्वयन के अधीन है, जिसे वर्ष 2024 के अंत तक पूरा कर दिया जाएगा। एचपीएमपी चरण-II कार्यान्वयन के दौरान, भारत ने कठोर फोम के निर्माण में एचसीएफसी -141 बी के उपयोग को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। यह सफलता हासिल करने वाला भारत विकासशील देशों में सबसे पहला देश है। 1.1.2020 को बेसलाइन से 35 प्रतिशत की कमी के लक्ष्य के मुकाबले देश ने 44 प्रतिशत की कमी हासिल की जो समतापमंडलीय ओजोन परत के संरक्षण में भारत के प्रयासों को दर्शाता है।
2023-2030 से एचपीएमपी चरण-III कार्यान्वयन के भाग के रूप में नए उपकरणों के निर्माण में एचसीएफसी को 31.12.2024 तक चरणबद्ध तरीके से हटा दिया जाएगा। एचपीएमपी चरण-III के कार्यान्वयन से भारत मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत वर्ष 2025 और 2030 के लिए एचसीएफसी के नियंत्रण लक्ष्यों के अनुपालन को प्राप्त करने में सक्षम होगा। इसके अलावा, एचपीएमपी चरण-III के परिणामस्वरूप वर्ष 2030 से 19,239,929 टन CO2 के बराबर शुद्ध प्रत्यक्ष उत्सर्जन में कमी आएगी।
ओजोन क्षयकारी पदार्थों के चरणबद्ध तरीके से बाहर निकलने से हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसी) का विकास हुआ, जिसका उपयोग विशेष रूप से प्रशीतन और एयर कंडीशनिंग क्षेत्र में ओडीएस के विकल्प के रूप में किया जाता है। हालांकि एचएफसी ओजोन परत को कम नहीं करते हैं, लेकिन इनकी उच्च ग्लोबल वार्मिंग क्षमता 12 से 14000 तक है, जिसका जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वर्ष 2016 के दौरान मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत नियंत्रित पदार्थों की सूची में एचएफसी को जोड़ने के निर्णय के कारण किगाली संशोधन हुआ, जिसके तहत सभी पक्ष एचएफसी की खपत और उत्पादन को धीरे-धीरे कम करेंगे। किगाली संशोधन के अनुसार, भारत 2032 से 4 चरणों में नियंत्रित उपयोगों के लिए एचएफसी के उत्पादन और खपत को कम करेगा। इसके तहत, 2032 में 10 प्रतिशत, 2037 में 20 प्रतिशत, 2042 में 30 प्रतिशत और 2047 में 85 प्रतिशत की संचयी कमी होगी।
भारत ने सितंबर 2021 के दौरान मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में किगाली संशोधन की पुष्टि की है। उद्योग हितधारकों के साथ निकट सहयोग में एचएफसी को चरणबद्ध रूप से हटाने के लिए राष्ट्रीय रणनीति 2023 तक विकसित की जाएगी।
अन्य बातों के साथ-साथ, शीतलन मांग को कम करने, रेफ्रीजेरेंट में बदलाव, ऊर्जा दक्षता बढ़ाने और प्रौद्योगिकी विकल्पों को आगे बढ़ाने की दिशा में एकीकृत दीर्घकालिक दृष्टि के साथ पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) ने मार्च 2019 के दौरान इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (आईसीएपी) विकसित और लॉन्च किया है। यह विश्व में अपनी तरह का पहला एक्शन प्लान है, जिसका उद्देश्य 20 साल में कम शीतलक उपयोग, जलवायु परिवर्तन शमन और सतत विकास लक्ष्यों से संबंधित सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ प्रदान करने की क्षमता वाले कार्यों में तालमेल की तलाश करना है।
आईसीएपी सामाजिक-आर्थिक सह-लाभों को अधिकतम करने के लिए चल रहे सरकारी कार्यक्रमों और योजनाओं के साथ तालमेल की सिफारिश करता है। भारत सरकार ने प्रत्येक विषयगत क्षेत्र के लिए की गई सिफारिशों के अध्ययन के बाद आईसीएपी में दी गई सिफारिशों को जारी सरकारी कार्यक्रमों/योजनाओं के साथ कार्यान्वित करने और अपेक्षित नीति और विनियामक हस्तक्षेपों की पहचान करने सहित उक्त लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए की जाने वाली कार्रवाइयों को सूचीबद्ध करने के लिए कदम उठाया है। विषयगत क्षेत्रों (i) भवनों में स्पेस कूलिंग (ii) शीत श्रृंखला (iii) घरेलू विनिर्माण और उत्पादन क्षेत्र – वैकल्पिक रेफ्रिजरेंट और प्रौद्योगिकियां (iv) अनुसंधान एवं विकास और (v) सेवा क्षेत्र के लिए कार्य बिन्दुओं को अंतिम रूप दे दिया गया है। संबंधित नोडल मंत्रालयों/विभागों/एजेंसियों द्वारा इनका कार्यान्वयन किया जा रहा है। (i) घरेलू विनिर्माण और उत्पादन क्षेत्र – वैकल्पिक रेफ्रिजरेंट और प्रौद्योगिकियां (ii) अनुसंधान एवं विकास और (iii) सेवा क्षेत्र के लिए कार्य बिनदुओं को आज जारी किया जा रहा है।
आईसीएपी में शामिल कार्यों के कार्यान्वयन से किगाली संशोधन के तहत एचएफसी चरण के कार्यान्वयन के दौरान जलवायु अनुकूल विकल्पों को अपनाने और ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के प्रयासों में मदद मिलेगी, जो भारत की जलवायु कार्रवाई में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
एचएफसी से कम जीडब्ल्यूपी विकल्पों को अपनाने में भारत के सामने आने वाली चुनौतियों पर विचार-विमर्श करने, कम जीडब्ल्यूपी रेफ्रिजरेंट विकसित करने में स्वदेशी क्षमताओं का निर्माण करने और कम जीडब्ल्यूपी रेफ्रिजरेंट को संभालने के लिए मानव संसाधनों को बढ़ाने के लिए एमओईएफसीसी 4 अगस्त 2023 को आयोजित आधे दिवसीय कार्यशाला के आधार पर स्वदेशी विकास के लिए एक कार्य योजना पर काम कर रहा है, जो अगली पीढ़ी के कम जीडब्ल्यूपी रेफ्रिजरेंट के घरेलू विनिर्माण़, को प्रोत्साहित करेगा।
उपर्युक्त समस्याओं के निदान के लिए एमओईएफसीसी के ओजोन सेल ने आठ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (मद्रास, रुड़की, कानपुर हैदराबाद, वाराणसी, पटना, खड़गपुर और तिरुपति) के साथ सहयोग किया है। इसका उद्देश्य अनुसंधान छात्रों की भागीदारी के माध्यम से उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप कम ग्लोबल वार्मिंग संभावित रसायनों के अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना है।
विश्व ओजोन दिवस हमें याद दिलाता है कि पृथ्वी पर जीवन के लिए ओजोन काफी महत्वपूर्ण है, लिहाजा, हमें न सिर्फ अपने लिए बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए भी ओजोन परत की रक्षा करना जारी रखना चाहिए।