नई दिल्ली: 10 फरवरी को राष्ट्रीय कृमिनाशक (डी-वॉर्मिंग) दिवस पहल के एक हिस्से के रूप में लगभग 34 करोड़ बच्चों को कृमिनाशक गोलियां खिलाई जायेंगी। यह जानकारी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव श्री सी के मिश्रा ने आज यहां दी। श्री मिश्रा 10 फरवरी, 2017 को मनाये जाने वाले तृतीय वार्षिक राष्ट्रीय कृमिनाशक (डी-वॉर्मिंग) दिवस (एनडीडी) के बारे में मीडिया को जानकारी दे रहे थे। राष्ट्रीय कृमिनाशक दिवस वर्तमान में एकल दिवस वाला दुनिया का सबसे बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष राष्ट्रीय कृमिनाशक दिवस के तहत 34 राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के सरकारी एवं सरकार से सहायता प्राप्त स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और निजी स्कूलों में पढ़ रहे 1-19 वर्ष के आयु वर्ग के तकरीबन 34 करोड़ बच्चों को कृमिनाशक गोलियां खिलाई जायेंगी।
सचिव (स्वास्थ्य) ने कहा कि ऐसे सभी बच्चों में कृमिनाश सुनिश्चित करने के लिए 15 फरवरी को बच्चों को साफ-सुथरा रखने का दिवस मनाया जायेगा जो राष्ट्रीय कृमिनाशक दिवस को कृमिनाश की प्रक्रिया से लाभान्वित नहीं हो पायेंगे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीनस्थ स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के संयुक्त प्रयासों के जरिये राष्ट्रीय कृमिनाशक दिवस मनाया जा रहा है। सभी हितधारक राष्ट्रीय कृमिनाशक दिवस के उन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय कृमिनाशक दिवस के लिए हस्ताक्षरित किये गये संयुक्त निर्देशों में परिलक्षित होते हैं। स्वास्थ्य सचिव ने यह भी जानकारी दी कि केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जे. पी. नड्डा ने भी राष्ट्रीय कृमिनाशक दिवस से संबंधित महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों में आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए सभी राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और लोकसभा एवं राज्यसभा के सभी सदस्यों को पत्र लिखे हैं। शिशु विद्यालय एवं स्कूल आधारित कृमिनाशक कार्यक्रमों को विश्व भर में ‘विकास के लिए सर्वश्रेष्ठ खरीद’ के रूप में जाना जाता है। 400 एमजी की सुरक्षित एवं लाभप्रद एलबेन्डाजोल गोली को घोल के रूप में शिशुओं को पिलाया जाता है, जो कृमि संक्रमण को नियंत्रण में रखने में अत्यंत कारगर साबित होता है। विश्व भर में कृमि संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित बच्चे भारत में ही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने वर्ष 2014 में यह अनुमान लगाया था कि भारत में 1-14 वर्ष के आयु वर्ग वाले 22 करोड़ से भी अधिक बच्चों को इससे खतरा है। आंतों में कृमि संक्रमण से बच्चों का शारीरिक विकास बाधित हो सकता है और इस वजह से स्कूलों में उनके प्रदर्शन के साथ-साथ भविष्य में उनकी आजीविका भी बुरी तरह प्रभावित होने का अंदेशा रहता है।
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