नई दिल्ली: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने नकली और बिना मानक गुणवत्ता वाली दवाइयों की समस्याओं के लिए एक सर्वेक्षण करने से संबंधित कार्य राष्ट्रीय बायोलॉजिकल्स संस्थान (एनआईबी), नोएडा को सौंपा था। एनआईबी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है।
आवश्यक दवाइयों की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) 2011 के 15 विभिन्न चिकित्सीय श्रेणियों से संबंधित 224 दवाई मोलेक्यूल्स को दवाई सर्वेक्षण के सांख्यिकीय डिजाइन में शामिल किया गया है। इस सर्वेक्षण के एक हिस्से के रूप में 23 खुराक फॉर्म्स नमूनों से संबंधित 47,954 दवा नमूनों को खुदरा ब्रिकी केंद्रों, सरकारी सूत्रों और आठ हवाई अड्डों और समुद्री बंदरगाहों सहित 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 654 जिलों की आपूर्ति श्रृंखला से लिया गया है।
1800 से अधिक नमूना लेने वाले अधिकारियों (एसडीओ) और सिविल सोसायटी / भारतीय फार्मेसी परिषद (पीसीआई) के प्रतिनिधियों को दवाई सर्वेक्षण पद्धति का राष्ट्रव्यापी प्रशिक्षण देश भर में 28 केंद्रों पर दिया गया। सिविल सोसायटी / भारतीय फार्मेसी परिषद (पीसीआई) के प्रतिनिधियों की भूमिका यह देखने की थी कि दवाओं के नमूने दवाई पद्धति के अनुसार लिए गए हैं और किसी पूर्वाग्रह को दूर करने के लिए अत्यधिक पारदर्शिता और निष्पक्षता बरती गई है।
सभी नमूनों की परीक्षण / विश्लेषण भेषज आवश्यकताओं के अनुसार एनएबीएल से मान्यता प्राप्त केन्द्र और राज्य औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं में की जाए। कुल मिलाकर 47,012 नमूनों में से 13 नमूने नकली पाए गए तथा 1,850 नमूने (एनएसक्यू) मानक गुणवत्ता के नहीं पाए गए। इस प्रकार भारत में बिना मानक क्वालिटी की दवाइयां 3.16 प्रतिशत और नकली दवाइयां 0.0245 प्रतिशत पाई गई।
दवाइयों की गुणवत्ता निर्धारित करने के लिए किया गया। यह औषधि सर्वेक्षण अभी तक का वैज्ञानिक रूप से डिजाइन किया गया सबसे बड़ा और पेशेवर रूप से निष्पादित किया गया सर्वेक्षण है। इस पूरी सर्वेक्षण रिपोर्ट को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट www.mohfw.gov.in तथा केन्द्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की वेबसाइट www.cdsco.nic.in पर अपलोड किया गया है।
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