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श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय कर्मचारियों को नकदरहित वेतन हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य कर रहा है

देश-विदेश

नई दिल्ली: डिजिटल लेनदेन (कम्प्युटर आधारित लेनदेन) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केन्द्रीय श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय कर्मचारियों को नकदरहित वेतन हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य कर रहा है। इस उद्देश्य को पूरा करने की दिशा में की जा रही पहलों का समर्थन करने के लिए मंत्रालय अभी तक कई कारगर कदम उठा चुका है। केन्द्रीय श्रम एवं रोज़गार मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री बंदारू दत्तात्रेय ने बुधवार को मीडिया से बातचीत के दौरान ये बातें पत्रकारों के साथ साझा कीं। मंत्री ने कहा कि असंगठित क्षेत्र के जिन कर्मचारियों के पास बैंक खातों की सुविधा नहीं है, उनके बैंक खाते खुलवाने के लिए मंत्रालय की ओर से 26 नवंबर 2016 को एक विशेष अभियान की शुरुआत की गई है। इन असंगठित क्षेत्रों में विशेषरूप से निर्माण, बीड़ी, आंगनवाड़ी, आशा योजनाकर्मी और सिने कर्मचारी आदि शामिल हैं। इस अभियान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी श्रमिकों को बैंकिंग व्यवस्था के दायरे में लाया जाए और उनका वेतन सीधे उनके बैंक खातों में हस्तांतरित किया जाए। यह न सिर्फ कर्मचारियों के शोषण और उनकी तनख्वाह के साथ की जाने वाली छेड़छाड़ को रोकने में मददगार साबित होगा, बल्कि कर्मचारियों में नकदरहित लेनदेन की आदत भी विकसित करेगा।

वित्त मंत्रालय और बैंकिंग विभाग के सहयोग से केन्द्रीय श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी), कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) जैसे क्षेत्रीय कार्यालयों एवं जिला प्रशासन की मदद से विभिन्न श्रम कार्यालयों के ज़रिए कर्मचारियों के बैंक खाते खोलने के लिए शिविरों का आयोजन कर रहा है। भारत सरकार का श्रम विभाग और राज्य सरकारें इस अभियान में पूरी तरह से जुड़े हुए हैं।

इस अभियान के तहत मंगलवार तक कुल 15,134 शिविर आयोजित किए जा चुके हैं। इनमें से ईपीएफओ ने 2324, ईएसआईसी ने 2878 और सीएलसी ने 9284 शिविर आयोजित किए हैं।

श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान के परिणामस्वरूप देशभर में 3,87,037 बैंक खाते खोले जा चुके हैं। वहीं दूसरी ओर, वित्त मंत्रालय से प्राप्त सूचना के अनुसार, मंगलवार तक 09 लाख से अधिक लोग बैंक खाता खुलवाने के लिए पंजीकरण करा चुके हैं। यह ध्यान देने वाली बात है कि पहले से ही 25.68 करोड़ जन धन खाते मौजूद हैं, और जिन लोगों के अब तक किसी भी योजना के तहत बैंक खाते नहीं खुले हैं, उनको इस अभियान के तहत बैंकिंग व्यवस्था के दायरे में लाया जा रहा है।

भविष्य में नकदरहित लेनदेन की दिशा में वितरण प्रणाली को और अधिक सुविधाजनक और मज़बूत बनाने के लिए श्री बंदारू दत्तात्रेय ने वित्त मंत्रालय से आग्रह किया है कि वे देशभर में जहां कहीं भी मज़दूरों की संख्या अधिक है वहां ख़ास रणनीति के तहत पैसा निकालने की सुविधा मज़दूरों को मुहैया कराने के लिए मोबाइल एटीएम सह नकद वितरण की सुविधा प्रदान करें। यह सुविधा विशेषरूप से असंगठित क्षेत्र में कार्य करने वाले मज़दूरों तक अवश्य पहुंचाई जाए। मंत्री ने यह भी कहा कि मज़दूरों को धन की अदला-बदली (money exchange) की सुविधा प्रदान करने के लिए बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट्स को श्रमिकों की अधिक संख्या वाले रिहायशी इलाकों में जाना चाहिए।

मंत्री ने पत्रकारों को यह भी बताया कि इन शिविरों में चल रही बैंक खाते खोलने की गतिविधियों के समन्वय/निगरानी के लिए श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय के अधिकारियों को नियुक्त भी किया जा रहा है।

श्रमिकों के बैंक खाते खोलने के इस अभियान के बारे में केन्द्रीय श्रम एवं रोज़गार मंत्री की ओर से राज्यों के मुख्य मंत्रियों को पत्र भी लिखा जा चुका है। उन्होंने व्यापार संघों (ट्रेड यूनियन) से आग्रह किया है कि वे इस अभियान में अपना योगदान दें। उन्होंने सभी हितधारकों से आह्वान किया कि वे भी इस कार्य में अपना सहयोग करें।

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