पंचायती राज मंत्रालय, भारतीय प्रबंधन संस्थान- अमृतसर (आईआईएम- अमृतसर) की साझेदारी में 2 से 6 सितंबर, 2024 तक पांच दिवसीय आवासीय प्रबंधन विकास कार्यक्रम (एमडीपी) आयोजित कर रहा है।
इस कार्यक्रम में दस राज्यों के पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) के निर्वाचित प्रतिनिधि और पदाधिकारी शामिल हैं। ये राज्य हैं- अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर (केंद्रशासित प्रदेश), मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड। ये प्रतिभागी आईआईएम- अमृतसर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
इस कार्यक्रम का प्राथमिक लक्ष्य पंचायत प्रतिनिधियों और पदाधिकारियों के नेतृत्व, प्रबंधन और शासन कौशल को सुदृढ़ करना है। यह पहल स्थानीय शासन में सुधार लाने और ग्रामीण समुदायों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए पंचायतों की क्षमता बढ़ाने को लेकर मंत्रालय की प्रतिबद्धता को दिखाती है।
पांच दिनों के दौरान इस कार्यक्रम में नेतृत्व, प्रबंधन, नैतिकता, ग्रामीण नवाचार, खुद के स्रोत राजस्व (ओएसआर) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स-एआई) सहित विभिन्न विषयों को शामिल किया जाएगा। इन प्रतिभागियों को विशेषज्ञों के नेतृत्व वाले सत्रों, केस स्टडीज और संवादात्मक चर्चाओं में हिस्सा लेना है, जिसका उद्देश्य उन्हें अपने समुदायों का अधिक प्रभावी ढंग से नेतृत्व करने के लिए जरूरी ज्ञान और उपकरणों से युक्त करना है। ग्रामीण भारत में स्थानीय शासन की प्रभावशीलता और दक्षता को बढ़ाने में इस कार्यक्रम की एक महत्वपूर्ण भूमिका रहने की आशा है।
जमीनी स्तर पर पंचायतें महत्वपूर्ण हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में जरूरी सेवाएं और शासन प्रदान करने के लिए जिम्मेदार हैं। उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों व अधिकारियों की भूमिका उनकी संवैधानिक जिम्मेदारियों को पूरा करने और “विकसित भारत” की सोच में योगदान देने के संबंध में महत्वपूर्ण है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य अपने समुदायों की बेहतर सेवा करने के लिए उनकी क्षमताओं में बढ़ोतरी करना है।
इस कार्यक्रम का मुख्य फोकस खुद के स्रोत राजस्व (ओएसआर) को बढ़ाने पर है, जो वित्तीय स्थिरता प्राप्त करने और पंचायतों को “सक्षम” पंचायत बनने को लेकर सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। अपनी वित्तीय स्वतंत्रता को मजबूत करने से पंचायतें स्थानीय जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करने और ग्रामीण विकास को आगे बढ़ाने में सक्षम होंगी।
इसके अलावा यह कार्यक्रम प्रतिभागियों को नवीनतम प्रबंधन सिद्धांतों, उपकरणों और कौशलों से भी परिचित कराता है। यह ग्रामीण शासन में कॉर्पोरेट स्तर की पेशेवरता लाता है। इस दृष्टिकोण का उद्देश्य संसाधनों का प्रभावी और कुशल उपयोग सुनिश्चित करना है, जिससे पंचायतें ग्रामीण समृद्धि में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकें।
व्यापक तौर पर इस कार्यक्रम से भारत में स्थानीय शासन की प्रभावशीलता और दक्षता में काफी सुधार होने की आशा है, जिसके परिणामस्वरूप ग्रामीण विकास में तेजी आएगी और ग्रामीण नागरिकों के लिए जीवन की गुणवत्ता बेहतर होगी।
पृष्ठभूमि:
पंचायती राज मंत्रालय ने पंचायत प्रतिनिधियों और अधिकारियों के नेतृत्व व प्रबंधन कौशल को बढ़ाने के लिए जनवरी, 2024 में नेतृत्व/प्रबंधन विकास कार्यक्रम शुरू किया था। इस कार्यक्रम को प्रतिभागियों, राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और प्रबंधन संस्थानों की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है, जोकि एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इसका उद्देश्य पंचायत नेताओं को उन्नत कौशल से युक्त करके जमीनी स्तर पर प्रभावी शासन को बढ़ावा देना और समग्र प्रदर्शन में सुधार करना है।
यह कार्यक्रम विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिभागियों के बीच सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों और अनुभवों के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करता है। पूरे कार्यक्रम में मंत्रालय के अधिकारियों की भागीदारी से प्रशिक्षण ढांचे में निरंतर सुधार सुनिश्चित होता है। यह पहल न केवल आईआईएम संकाय और छात्रों के बीच पंचायती राज प्रणाली के बारे में जागरूकता बढ़ाती है, बल्कि प्रबंधन विकास कार्यक्रम (एमडीपी) के उद्देश्यों की पहुंच को व्यापक बनाने में भी सहायता करती है।