नई दिल्ली: रेल मंत्रालय ने ओडिशा में दो नई रेल लाइन परियोजनाओं पर लागत साझा करने के लिए ओडिशा सरकार के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर केंद्रीय रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु और ओडिशा के मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक की उपस्थिति में किए गए। इस अवसर पर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान तथा जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री और ओडिशा से सांसद श्री जुएल ओराम भी मौजूद थे। समझौता ज्ञापन पर रेल मंत्रालय की ओर से कार्यकारी निदेशक (वर्क्स) श्री एस के जैन ने और ओडिशा के प्रमुख सचिव श्री संजीव रस्तोगी ने हस्ताक्षर किये। यह समझौता ज्ञापन ओडिशा में दो नई रेल लाइनों जैपोर से मलकानगिरी तथा जैपोर से नबरंगपुर को बिछाने पर होने वाले लागत को साझा करने के लिया गया है।
ये दो नई रेल परियोजनाएं रेल विभाग द्वारा 2016-17 के रेल बजट में ओडिशा सरकार से अपेक्षित मंजूरी मिलने की स्थिति के साथ शामिल की गईं थीं।
ओडिशा सरकार इन परियोजनाओं की आंशिक लागत को वहन करने के लिए सहमत हो गई है:
• जैपोर – मलकानगिरी (130 किमी) – कुल लागत का 25%
• जैपोर – नबरंगपुर (38 किमी) – ज़मीन की कुल लागत और निर्माण की लागत का 50%
इस अवसर पर अपने संबोधन में रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने कहा कि उड़ीसा भारतीय रेलवे के लिए एक मुख्य राज्य है। परियोजनाओं की कार्यान्वयन की गति ओडिशा को रेल संपर्क में अग्रणी बनाएगी। ओडिशा में खनिज, पर्यटन आदि क्षेत्रों में अपार क्षमतायें हैं लेकिन संपर्क साधनों की कमी के कारण विकास में भी कमी है। राज्य सरकार अकेले संपर्क संसाधनों में बढ़ोत्तरी नहीं कर सकती। इसलिए भारतीय रेल ओडिशा से संपर्क बढाने के लिए अपना योगदान दे रही है। किसी भी राज्य में संपर्क के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए भारतीय रेल अब उस राज्य की सरकार के साथ संयुक्त उद्यम बनाने लगी है। स्वामित्व की साझेदारी राज्य में संपर्क संसाधन बनाने में अधिक कारगर होंगें। ओडिशा में भुवनेश्वर सहित 11 रेलवे स्टेशनों को पुनर्विकास के लिए उठाए जाने की योजना बनाई गई है। आईआरसीटीसी के माध्यम भारतीय रेल ओडिशा को एक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के तरीकों की योजना बना रही है। इसकी पीएसयू आईआरसीटीसी के माध्यम से भारतीय रेलवे ने ओडिशा के आदिवासी स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों की बिक्री की योजना बनाई है। भारतीय रेल ने कालाहांडी में एक रेल फैक्टरी खोलने की भी योजना बनाई है।
ओडिशा के मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक ने कहा कि ओडिशा भारतीय रेल के नक्शे पर एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। ये पहली बार है कि ओडिशा को अब तक के सर्वाधिक 4880 करोड़ रुपये प्रदान किये गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ओडिशा में रेल संपर्क राष्ट्रीय औसत से काफी कम है और वे इस बात से प्रसन्न हैं कि इस सरकार ने रेल संपर्क में सुधार के लिए उनके राज्य को प्राथमिकता दी है। जैपोर – मलकानगिरी और जैपोर – नबरंगपुर परियोजनायें राज्य के सबसे पिछड़े, नक्सल प्रभावित और आदिवासी क्षेत्रों के लिए उपयोगी होंगीं। ओडिशा सरकार ने इन परियोजनाओं के लिए नि:शुल्क भूमि उपलब्ध कराएगी।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि इन परियोजनाओं से पहली बार पश्चिमी ओडिशा से संपर्क स्थापित होगा। पश्चिमी ओडिशा में विकास केवल संपर्क की कमी के कारण नहीं हो पा रहा था और इस परियोजना से राज्य के इस हिस्से में विकास को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री श्री जुएल ओराम ने कहा कि यह परियोजना राज्य के सबसे पिछड़े क्षेत्रों को जोड़ने का कार्य करेगी और इस क्षेत्र के आदिवासी लोगों के विकास में मददगार होगी। ये परियोजना जनजातीय लोगों को अपने उत्पादों को दूर-दूर तक बेचने में मदद करेगी जो उनके विकास में सहायता करेगा।
जैपोर से नबरंगपुर के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर ली गई है तथा जैपोर से मलकानगिरी के लिए यह तैयार की जा रही है। रेल मंत्रालय द्वारा डीपीआर के जांच पूरी होने के पश्चात अपेक्षित मंजूरी की मांग की जाएगी।
जैपोर – मलकानगिरी (130 किमी) के बीच नई बड़ी लाइन की मुख्य विशेषताएं
जैपोर – मलकानगिरी के बीच प्रस्तावित नई रेल लाइन पश्चिमी ओडिशा के कोरापुट और मलकानगिरी जिलों के दूरदराज के क्षेत्रों में संपर्क स्थापित करेंगें जहाँ कोई भी रेल संपर्क नहीं है। पूरी लाइन पहाड़ी इलाकों और घने जंगलों के बीच से होकर जायेगी।
इस मार्ग में पड़ने वाले महत्वपूर्ण शहर बोइपरिगुडा, तन्गिनीगुडा, मैथिली और पंडरीपानी रोड हैं। कोरापुट और मलकानगिरी के जिला मुख्यालय को जोड़ने वाली प्रस्तावित नई लाइन की कुल दूरी 130 किमी है। इस 130 किमी के मार्ग में 45 किमी कोरापुट जिले में तथा 85 किमी मलकानगिरी जिले में पड़ता है। यह संरेखण 12 स्टेशनों से गुजरता है जिसमें तीन यात्री पड़ाव हैं, तन्गिनीगुडा, गोविंदापल्ली और मैथिली।
इस लाइन में उपरि-विद्युतीकरण मानक-III इंटरलॉकिंग, मल्टी अस्पेक्ट कलर लाइट सिग्नल्लिंग (एमएसीएलएस) और ऑप्टिक फाइबर संचार प्रस्तावित हैं। नई लाइन में 98 पुलों (22 प्रमुख, 61 छोटे और 15 आरयूबी) का निर्माण तथा 2600 लंबाई की कुल 4 सुरंगों का निर्माण भी इसमें शामिल हैं।
जैपोर – नबरंगपुर (38 किमी) के बीच नई बड़ी लाइन की मुख्य विशेषताएं
नबरंगपुर से जैपोर का क्षेत्र नहरों से अच्छी तरह से सिंचित है। मार्ग में मुख्य शहर बोरीगुमा है जो नबरंगपुर से लगभग 18 किमी दूर लगभग मध्य में स्थित है। इस पर अम्बागुडा रोड और लल्लागुडा के दो यात्री पडावों सहित कुल पांच रेलवे स्टेशन हैं। नई लाइन में 60 पुलों (9 प्रमुख, 40 छोटे और 11 आरयूबी) का निर्माण शामिल है।