नई दिल्ली: रेल मंत्रालय ने राज्य सरकारों से अनुरोध किया है कि वे श्रमिक ट्रेनों के बारे में उचित योजना और तालमेल सुनिश्चित करें और देखें कि रेल मोड द्वारा फंसे लोगों के आवागमन की प्रस्तावित मांग की अच्छी तरह से रूपरेखा प्रस्तुत की जाए और उसे निर्धारित किया जाए।
“श्रमिक स्पेशल” कुछ सबसे घने यातायात वाले वाले गलियारों में चल रही हैं, जिनमें बिजली संयंत्रों के लिए कोयला, खाद्यान्न, उर्वरक, सीमेंट, आदि जैसे आवश्यक सामान को लाया-ले जाया जाता है। रेलवे ने आवश्यक आपूर्ति लाइन को बनाए रखना सुनिश्चित करने के लिए वस्तुओं को लादने का एक उच्च स्तर कायम रखा है। रेलवे ने इस अवधि के दौरान कृषि उपज, दवा और अन्य आवश्यक वस्तुओं को पहुंचाने के लिए समय-समय पर बड़ी संख्या में पार्सल ट्रेनें चलाईं।
हांलाकि रेलवे राज्यों की मांग पर “श्रमिक स्पेशल” ट्रेनों में रेक लगाने में सक्षम हुई है, ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां यात्रियों को स्टेशन पर नहीं लाया गया और अधिसूचित ट्रेनों को रद्द कर दिया गया। कुछ राज्य भेजने वाले राज्यों को भी सहमति नहीं दे रहे है, जिससे उन राज्यों के लिए बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिकों को भेजना रोका जा सके।
गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा दिनांक 01.05.2020 और 19.05.2020 को जारी किए गए आदेशों के तहत, भारतीय रेलवे (आईआर) राज्य सरकारों के साथ तालमेल कर फंसे हुए लोगों की आवाजाही के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चला रही है। एमएचए और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचऔरएफडब्ल्यू) द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों और प्रोटोकॉल का पालन करते हुए, भारतीय रेलवे 4000 श्रमिक स्पेशल सेवाएं चला चुका है और अब तक लगभग 54 लाख से अधिक फंसे हुए लोगों को उनके गंतव्य राज्यों तक पहुंचा चुका है।
रेलवे अब तक भेजने वाले राज्यों से प्राप्त लगभग सभी अनुरोधों को समायोजित करने में सक्षम है। कई राज्यों ने अब अपनी आवश्यकताओं को कम करते हुए संकेत दिया है कि कार्य पूरा होने वाला है। यह भी ध्यान दिया जा सकता है कि लगभग 75% ट्रेनें उत्तर प्रदेश और बिहार भेजी गईं और अधिकांश शेष ट्रेनें भी पूर्वी भारत की ओर जा रही थीं। रेलवे भी कई राज्य सरकारों के अनुरोध पर इस तरह की ट्रेनों की व्यवस्था करके लोगों को एक राज्य से दूसरे राज्य मे भेजने की आवश्यकता को पूरा करने में मदद के लिए आगे आया है।
भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय ने 28 मई 2020 के अपने आदेश में, प्रवासी श्रमिकों के सामने आने वाली कठिनाइयों को कम करने के लिए अंतरिम दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं और यह इच्छा प्रकट की कि एक अनुमानित समय अवधि और सभी फंसे श्रमिकों को पहुंचाने संबंधी योजना की जानकारी दी जाए।
मंत्रालय से राज्यों को भेजे गए एक पत्र के अनुसार, हांलाकि रेलवे के नोडल अधिकारी राज्यों के साथ इस मामले पर बातचीत कर रहे हैं और ट्रेनों की आवश्यकता के बारे में मोटा अनुमान लगा रहे हैं, यह आवश्यक है कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की जरूरतों का एक विषयाश्रित अनुमान लगाया जाए। मंत्रालय ने जोर देकर कहा है कि राज्यों को एक आधिकारिक संदेश के जरिये इन ट्रेनों की आवाजाही के लिए अस्थायी समय-सारणी के साथ-साथ शेष फंसे लोगों के लिए आवश्यक श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की प्रस्तावित संख्या का संकेत देना चाहिए। भारतीय रेलवे राज्य सरकारों /संघ शासित प्रदेशों द्वारा प्रस्तावित जरूरत के आधार पर राज्यों /संघ शासित प्रदेशों के नोडल अधिकारियों के परामर्श से तत्काल ट्रेनों की समय-सारणी बनाएगी।
भारतीय रेलवे ने यह भी आश्वासन दिया है कि वह भविष्य में किसी भी आवश्यकता के लिए अतिरिक्त श्रमिक स्पेशल ट्रेन प्रदान करेगी।