नई दिल्ली: इस्पात मंत्रालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय सतर्कता सम्मेलन का आज यहां समापन हो गया। सम्मेलन का उद्देश्य सार्वजनिक खरीद, निविदा प्रक्रियाओं तथा वित्तीय मामलों से जुड़ी अन्य गतिविधियों के संबंध में महत्वपूर्ण प्रशासनिक और वाणिज्यिक फैसले लेते समय मूलभूत सिद्धांतों और प्रक्रियाओं के अनुपालन के बारे में इस्पात मंत्रालय के सार्वजनिक उपक्रमों के अधिकारियों को जागरूक बनाना था।
सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त श्री के.वी. चौधरी ने कहा कि पारदर्शिता और जवाबदेही किसी भी नीतिगत फैसले का आधारभूत सिद्धांत है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक संगठन में एक ऐसी मजबूत प्रणाली होनी चाहिए, जो किसी भी तरह के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा सके। उन्होंने कहा कि ईमानदार अधिकारियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कानून में पर्याप्त प्रावधान हैं।
इस्पात मंत्रालय में सचिव श्री बिनॉय कुमार ने कहा कि कई बार सही बातों की जानकारी के अभाव में नियमों और प्रक्रियाओं की अनदेखी हो जाती है, जिससे बचा जा सकता है। उन्होंने बैठक में भाग लेने वाले अधिकारियों को सतर्कता आयोग की कार्य शैली की बारीकियों को समझने का आग्रह करते हुए कहा कि इससे उन्हें अपना काम करने में सुविधा होगी।
इस्पात मंत्रालय में संयुक्त सचिव और मुख्य सतर्कता अधिकारी सुश्री रूचिका चौधरी गोविल ने कहा कि किसी भी संगठन के आंतरिक प्रबंधन का सतर्कता अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने कहा कि सम्मेलन आयोजित करने का खास मकसद सतर्कता से जुड़े मामलों को निपटाने में होने वाली देरी तथा अन्य बाधाओं को दूर करने के उपाय तलाशना है।
दो दिवसीय सम्मेलन में सतर्कता, सार्वजनिक खरीद से संबंधित नियमों और विनियमों, निविदा प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, ई-खरीद, जीईएम, जीएफआर, ई-नीलामी, शासन में नैतिकता, शिकायत प्रबंधन प्रणाली और ऐसे ही कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार विमर्श किया गया।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में भारतीय इस्पात प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री अनिल कुमार चौधरी, मैकॉन के अध्यक्ष सह-प्रबंध निदेशक श्री अतुल भट्ट और आरआईएनएल के अध्यक्ष सह-प्रबंध निदेशक ए.के. रथ भी उपस्थित थे।
इनके अलावा सम्मेलन में इस्पात मंत्रालय के सार्वजनिक उपक्रमों के करीब 100 वरिष्ठ अधिकारी और प्रबंध निदेशक तथा तथा कई कंपनियों के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशकों ने भी हिस्सा लिया।