नई दिल्ली: इस्पात के उपयोगकर्ताओं और विशेषकर ऑटोमोटिव सेक्टर के इस्पात उत्पादकों की बैठक सोमवार को नई दिल्ली में आयोजित की गई। इस बैठक की अध्यक्षता इस्पात सचिव ने की। उन्होंने कहा कि सरकार मूल्यवर्द्धित इस्पात का घरेलू उत्पादन बढ़ने की उम्मीद कर रही है। इस्पात सचिव ने कहा कि एकीकृत इस्पात उत्पादकों के आधुनिकीकरण एवं विस्तारीकरण, भारत में बड़े एमएसएमई सेक्टर को अब उपलब्ध समान अवसरों और विदेशी इस्पात उत्पादकों द्वारा निवेश करने की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए ही इस तरह की आशा की जा रही है। उन्होंने कहा कि एमएसएमई को समान अवसर मिलने से इस्पात के उपयोगकर्ताओं और उत्पादकों दोनों की ही विनिर्माण गतिविधियों से जुड़ी मूल्य श्रृंखला (वैल्यू चेन) का विस्तार हो जाएगा। इस्पात सचिव ने कहा कि उपयोगकर्ताओं और उत्पादकों के बीच गठबंधन मूल्यवर्द्धित इस्पात की घरेलू क्षमता के विकास का आधार है। इस बीच, इस्पात मंत्रालय ने घरेलू उद्योग से स्वदेश में उत्पादित इस्पात का उपयोग करने का अनुरोध किया।
इस्पात सचिव ने उत्पादकों और इस्पात के अंतिम उपयोगकर्ताओं के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर एक फोरम बनाने की आवश्यकता पर विशेष बल दिया, ताकि नए उत्पादों के विकास एवं घरेलू क्षमता से जुड़ी भावी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके और इसके साथ ही मौजूदा उत्पादों से जुड़ी समस्याएं सुलझायी जा सकें। उन्होंने कहा कि इस तरह की बैठक नियमित रूप से आयोजित की जाएगी। इस्पात सचिव ने यह जानकारी दी कि भारतीय इस्पात अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी मिशन (एसआरटीएमआई) से तकनीकी उन्नयन में आवश्यक सहयोग मिल सकता है।
गुणवत्तापूर्ण उत्पादों की बढ़ती मांग पूरी करने के लिए भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय ने इससे पहले गुणवत्ता नियंत्रण ऑर्डर (क्यूसीओ) के जरिए 53 उत्पादों को अधिसूचित किया था, ताकि उनके मानकों को बरकरार रखा जा सके। इन वस्तुओं या आइटमों के घरेलू निर्माताओं को बीआईएस (भारतीय मानक ब्यूरो) प्रमाणन चिन्ह लाइसेंस प्राप्त करने होंगे।