जनजातीय कार्य मंत्रालय को सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की पहल के रूप में शुरु किए गए उसके प्रदर्शन डैशबोर्ड, ‘जनजातीय सशक्तिकरण – बदलता भारत’ के लिए 18वें सीएसआई एसआईजी ई गवर्नेंस एवार्ड 2020 के प्रशंसा पुरस्कार से नवाजा गया है। मंत्रालय को भारत सरकार की इकाई के तौर पर परियोजना श्रेणी में यह पुरस्कार दिया गया है। मंत्रालय के संयुक्त सचिव डॉ. नवलजीत कपूर ने कल लखनऊ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ से यह पुरस्कार प्राप्त किया।
केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने अपने संदेश में कहा कि मंत्रालय डिजिटल प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की दिशा में कई कदम उठा रहा है। मंत्रालय यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि डिजिटलीकरण का लाभ देश के दूरदराज के हिस्सों तक पहुंचे और इसके माध्यम से जनजातीय समुदाय के जीवन में बड़ा बदलाव लाया जा सके। श्रीमती रेणुका सिंह सरुता ने सभी योजनाओं का डिजिटलीकरण करने के लिए मंत्रालय को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार मंत्रालय द्वारा इस दिशा में किए गए प्रयासों को सम्मानित करने के लिए दिया गया है।
श्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर कहा कि केंद्र सरकार डिजिटल प्रौद्योगिकी के महत्व को समझते हुए कई ऐसे कार्यक्रम लेकर आ रही है जो पूरी तरह से प्रौद्योगिकी पर आधारित हैं। उन्होंने कहा “कोविड महामारी के दौरान हुए लॉकडॉउन के चुनौतीपूर्ण समय में समाज के वंचित वर्ग तक सरकारी मदद प्रौद्योगिकी की मदद से ही आसानी से पहुंचाई जा सकी थी।”
उन्होंने अपने राज्य उत्तर प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी की मदद से उनकी सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली की खामियों को दूर करते हुए राज्य में लाखों गरीब लाभार्थियों के लिए राशन सुनिश्चित किया है। उन्होंने कहा कि तकनीक की मदद से उनकी सरकार सालाना 2500 करोड़ रुपये की बचत करने के साथ ही यह भी सुनिश्चित कर रही है कि 80,000 दुकानों के जरिए गराबों को राशन मिल सके।
जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव श्री आर. सुब्रह्मण्यम ने कहा कि यह पुरस्कार सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मंत्रालय द्वारा किए गए कार्यों को सम्मानित करने के लिए दिया गया है। यह वास्तव में एक बड़ा सम्मान है।
कंप्यूटर सोसाइटी ऑफ इंडिया (सीएसआई) देश में ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ठ योगदान को मान्यता देने के लिए कई पुरस्कार देती है। ये पुरस्कार सीएसआई-एसआई-जीईजीओवी द्वारा आयोजित किए गए हैं। ये पुरस्कार राज्य, विभाग, जिला और परियोजना स्तर पर ई-गवर्नेंस क्षेत्र में किए गए प्रयासों को सम्मानित करने के लिए दिए जाते हैं।
पुरस्कार की चयन प्रक्रिया कठिन और सख्त है। पूरी नामांकन प्रक्रिया आनलाइन है। पुरस्कार के लिए प्रविष्टियां भेजने वालों को पहले इसकी वेबसाइट पर अपना पूरा विवरण दर्ज करना होगा। इस पुरस्कार के लिए राज्य और केंद्र सरकार के प्रतिष्ठानों, विभागों, जिला अधिकारियों कई उपक्रमों और अनुसंधान प्रतिष्ठानों की ओर से प्रविष्टियां भेजी जाती हैं। चयन प्रक्रिया के पहले चरण में ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए थे। दूसरे दौर में, विभिन्न मापदंडों जैसे प्रयोज्यता और सर्वोत्तम प्रथाओं के आधार पर विभागों या नामांकितों को शॉर्टलिस्ट किया गया था। इसके बाद चयनित उम्मीदवारों को चयन समिति के समक्ष अपनी विस्तृत प्रस्तुति देने के लिए कहा गया था। अंत में विभिन्न श्रेणियों में जो सर्वश्रेष्ठ पाया गया उसे पुरस्कार दिए गए।
जनजातीय कार्य मंत्रालय ई-गवर्नेंस प्रथाओं में सबसे आगे रहा है। इसका प्रदर्शन डैशबोर्ड, ‘जनजातीय सशक्तिकरण – बदलता भारत’ परस्पर संवादात्मक और गतिशील प्लेटफॉर्म है जो इन एसडीजी को प्राप्त करने के लिए मंत्रालय की 11 योजनाओं / पहलों के अद्यतन और वास्तविक समय के विवरण को प्रदर्शित करता है। अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और विकास के लिए आवंटित राशि का कितना सदुपयोग किया जा रहा है इस मामले में जनजातीय मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं, 41 मंत्रालयों और राज्य सरकारों के प्रदर्शन को भी इस डैशबोर्ड पर देखा जा सकता है।
मंत्रालय ने हाल ही में विभिन्न परियोजनाओं के लिए प्रतिष्ठित पांच एसकेओसीएच पुरस्कार भी प्राप्त किए हैं, जिसमें “ई गवर्नेंस में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन” के लिए प्रतिष्ठित (एसकेओसीएच) चैलेंजर अवार्ड भी शामिल है। मंत्रालय ने ई-गवर्नेंस के माध्यम से डिजिटल इंडिया के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए की गई नीतिगत पहलों को लागू करने के मामले में उत्कृष्टता हासिल की है।