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जनजातीय कार्य मंत्रालय ने आभासी माध्यम से प्रवासी श्रमिकों के लिए “श्रमशक्ति” डिजिटल डेटा समाधान का शुभारंभ किया

देश-विदेश

केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आज गोवा के पंजिम में आयोजित एक कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से “श्रमशक्ति”, जोकि एक राष्ट्रीय प्रवासन सहायता पोर्टल है, का शुभारंभ किया। यह पोर्टल प्रभावी तरीके से प्रवासी श्रमिकों के लिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों के सुचारू रूप से निर्माण में मदद करेगा। उन्होंने गोवा में एक आदिवासी प्रवासन प्रकोष्ठ, एक आदिवासी संग्रहालय और प्रवासी श्रमिकों के लिए एक प्रशिक्षण पुस्तिका “श्रमसाथी” का भी शुभारंभ किया। इस अवसर पर गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने विभिन्न राज्यों से गोवा में आने वाले प्रवासियों की सुविधा और समर्थन के लिए गोवा में एक समर्पित प्रवासन प्रकोष्ठ का भी शुभारंभ किया।

केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा, राज्यमंत्री सुश्री रेणुका सिंह सरुता और जनजातीय कार्य मंत्रालय में सचिव श्री दीपक खांडेकर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इस आभासी कार्यक्रम में शामिल हुए। गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद जी सावंत,  जनजातीय कल्याण मंत्री श्री गोविंद जी गौडे और श्रम एवं रोजगार मंत्री श्रीमती जेनिफर मॉन्सेरेट गोवा के पंजिम स्थित मुख्यमंत्री निवास से इस कार्यक्रम में शामिल हुईं। जनजातीय कार्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव डॉ. नवलजीत कपूर ने गोवा राज्य के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित विभिन्न परियोजनाओं का विवरण और इस माइग्रेशन रिपॉजिटरी पोर्टल के बारे में एक प्रस्तुति के जरिए जानकारी दी।

इस अवसर पर बोलते हुए, श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि प्रवासियों से जुड़े वास्तविक आंकड़ों की कमी की वजह से स्रोत और गंतव्य, दोनों, राज्यों में प्रवासी श्रमिकों के कल्याण के लिए कारगर रणनीति और नीतिगत निर्णय तैयार करना राज्य और राष्ट्रीय सरकारों के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी। उन्होंने कहा कि “कोरोना वायरस से उपजी महामारी के कारण लॉकडाउन की घोषणा के बाद पूरे देश में प्रवासियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। जनजातीय आबादी का प्रवासन संकट से प्रेरित होता है और प्रवासियों को मुश्किल एवं असुरक्षित परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। कभी-कभी उन्हें कार्यस्थल पर कई पेशेगत बाधाओं सहित तस्करी या मजदूरी संबंधी उत्पीड़न की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।”

उन्होंने बताया कि आदिवासी प्रवासन रिपॉजिटरी, श्रमशक्ति, डेटा से संबंधित अंतर को दूर करने और उन प्रवासी श्रमिकों को सशक्त बनाने में सफल होगी जो आम तौर पर रोजगार और आय की तलाश में पलायन करते हैं। यह आत्मनिर्भर भारत के तहत मौजूदा कल्याण योजनाओं से प्रवासी आबादी को जोड़ने में सरकार की मदद भी करेगा। श्रमशक्ति के जरिए दर्ज किए जाने वाले विभिन्न डेटा में जनसांख्यिकीय खाका, आजीविका विकल्प, कौशल संबंधी चित्रण और प्रवासन के रुझान से जुड़े विवरण शामिल होंगे।

आजीविका से जुड़ी प्रवास की प्रक्रिया को सुनिश्चित रूप से सुरक्षित और उत्पादक बनाने के उद्देश्य से श्री मुंडा ने आदिवासी प्रशिक्षण मॉड्यूल- श्रमसाथी का भी शुभारंभ किया । उन्होंने कहा कि “आदिवासी प्रवासी श्रमिकों को अक्सर अपने अधिकारों एवं सुविधाओं और स्रोत एवं गंतव्य वाले क्षेत्रों में उपलब्ध सेवाओं तथा सामाजिक सुरक्षा को हासिल करने के तरीकों के बारे में कम जानकारी होती है।” उन्होंने यह भी कहा कि इस मॉड्यूल के जरिए प्रशिक्षण के बाद, आदिवासी प्रवासी श्रमिक प्रवास से पहले अपने गांव में और साथ ही पलायन के बाद गंतव्य कस्बों और शहरों में आजीविका और सामाजिक सुरक्षा से संबंधित सेवाओं, अधिकारों और सुविधाओं की मांग कर सकेंगे।

गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने बताया कि प्रवासी श्रमिकों की विभिन्न समस्याओं को हल करने के उद्देश्य से एक समर्पित प्रवासन प्रकोष्ठ स्थापित करने वाला गोवा भारत का पहला गंतव्य राज्य बनने जा रहा है।उन्होंने कहा कि ” यह प्रकोष्ठ प्रवासियों की विभिन्न जरूरतों – कानूनी सहायता, कौशल विकास, नौकरी से जुड़े संपर्क और स्वास्थ्य, बीमा एवं वित्तीय समावेशन जैसी सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच – को पूरा करेगा। “

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