नई दिल्लीः महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने नई दिल्ली में बाल संरक्षण पर राष्ट्रीय परामर्श सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन में किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 तथा यौन अपराधों से बाल संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो), 2012 पर चर्चा की गई। विचार-विमर्श में विभिन्न राज्यों के पुलिस विभाग द्वारा श्रेष्ठ व्यवहारों और अनुभवों को साझा किया गया।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने राज्यों के महिला और बाल विकास विभागों, राज्य पुलिस विभागों, गृह मंत्रालय तथा एनसीपीसीआर के साथ बाल संरक्षण तथा बाल कल्याण से संबंधित विषयों पर विचार-विमर्श की पहल की है। राष्ट्रीय सम्मेलन के पहले भाग में किशोर न्याय अधिनियम, 2015 तथा पॉक्सो अधिनियम, 2012, ट्रैक चाइल्ड, चाइल्डलाइन (1098) से संबंधित विषयों पर चर्चा की गई।
राष्ट्रीय परामर्श के दूसरे भाग में सीपीएस योजना के बाल देखभाल औऱ संरक्षण पर फोकस किया गया और राज्यों में क्रियान्वयन के क्षेत्रों की पहचान की गई और इसके समाधान के प्रस्ताव पेश किए गए।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय किशोर न्याय, बाल (देखभाल तथा संरक्षण) अधिनियम, 2015, यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 (पॉक्सो) अधिनियम और बाल संरक्षण सेवाओं के विभिन्न कानूनों का (सीपीएस) को आईसीडीएस के अंतर्गत लागू कर रहा है ताकि बच्चों की दुर्व्यवहारों से सुरक्षा की जा सके और उनके हितों को सुनिश्चित किया जा सके। किशोर न्याय अधिनियम, 2015 राज्यों को बच्चों की देखभाल औऱ संरक्षण तथा कानून की चपेट में आए बच्चों को सुरक्षा कवच प्रदान करने का अधिकार देता है। यह अधिनियम इन बच्चों की संस्थागत औऱ गैर-संस्थागत देखभाल का प्रावधान कुछ निश्चित वैधानिक सेवाओँ के साथ करता है। यह अधिनियम लैंगिक रूप से तटस्थ है और 18 वर्ष तक की आयु के व्यक्ति को बालक/बालिका मानता है।
आईसीडीएस के अंतर्गत 24×7 चाइल्ड हेल्पलाइन की व्यवस्था है और खोए हुए बच्चों का पता लाने के लिए ऑनलाइन पोर्टल है। इस योजना के अंतर्गत 1508 सीसीआई को औसतन 50 बच्चों के साथ समर्थन दिया जा रहा है।
चाइल्ड लाइन का विस्तार 437 स्थानों तक किया गया है और 60 प्रमुख स्टेशनों पर रेलवे चाइल्ड लाइन कार्य कर रहा है। खोए हुए बच्चों को परिवार से मिलाने में ट्रैक चाइल्ड़ पोर्टल तथा खोयापाया ऐप्प काफी सफल हुए हैं।