नई दिल्लीः स्थायी संसदीय समिति के अवलोकन और सिविल सोसायटी समूहों एवं समान सोच रखने वाले व्यक्तियों के साथ विचार-विमर्श के आधार पर राष्ट्रीय महिला आयोग की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए महिला और बाल विकास मंत्रालय ने सोशल मीडिया जैसे संचार माध्यमों के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी प्रगति को देखते हुए महिला अशिष्ट निरूपण (निषेध) अधिनियम (आईआरडब्ल्यूए) 1986 में संशोधन का प्रस्ताव किया है। इस अधिनियम में निम्नलिखित संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है :
- विज्ञापन की परिभाषा में संशोधन में डिजिटल स्वरूप या इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप अथवा होर्डिंग या एसएमएस, एमएमएस आदि के जरिए विज्ञापन को शामिल किया जाएगा है।
- वितरण की परिभाषा में संशोधन में प्रकाशन, लाइसेंस या कम्प्यूटर संसाधन का उपयोग कर अपलोड करने अथवा संचार उपकरण शामिल किए जाएंगे।
- प्रकाशन शब्द को परिभाषित करने के लिए नई परिभाषा को जोड़ना।
- धारा-4 में संशोधन में कोई भी व्यक्ति ऐसी सामग्री प्रकाशित या वितरित अथवा या प्रकाशित अथवा वितरित करने के लिए तैयार नहीं कर सकता, जिसमें महिलाओं का किसी भी तरीके से अशिष्ट निरूपण किया गया हो।
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के अंतर्गत प्रदत्त दंड के समान दंड के प्रावधान।
- राष्ट्रीय महिला आयोग (एनडब्ल्यूसी) के तत्वावधान में केन्द्रीकृत प्राधिकरण का गठन। इस प्राधिकरण की अध्यक्ष एनसीडब्लू की सदस्य सचिव होंगी और इसमें भारतीय विज्ञापन मानक परिषद, भारतीय प्रेस परिषद, सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रतिनिधि होंगे तथा महिला मुद्दों पर कार्य करने का अनुभव रखने वाली एक सदस्य होगी।
- केन्द्रीयकृत प्राधिकरण को प्रसारित या प्रकाशित किए गए किसी भी कार्यक्रम या विज्ञापन से संबंधित शिकायत प्राप्त करने और महिलाओं के अशिष्ट निरूपण से जुड़े सभी मुद्दों की जांच करने का अधिकार होगा।