नई दिल्ली: महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका गांधी ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वे सभी बाल सुविधा संस्थानों का पंजीकरण सुनिश्चित करें और अगले एक माह के भीतर उन्हें केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) से जोड़ा जाए।
झारखंड में मिशनरीज ऑफ चेरेटी द्वारा गैर कानूनी रूप से बच्चों को गोद देने के हाल के मामलों के मद्देनजर श्रीमती मेनका संजय गांधी ने राज्यों को निर्देश दिया है कि देश भर में मिशनरीज ऑफ चेरेटी द्वारा चलाए जाने वाले बाल सुविधा गृहों की फौरन जांच की जाए।
बाल सुविधा संस्थानों के अनिवार्य पंजीकरण और केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) से उन्हें जोड़ने का कानून बाल न्याय (बाल सुविधा एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 के तहत लागू किया गया है। यह कानून दो वर्ष से अधिक समय पूर्व लागू कर दिया गया था, परंतु कुछ अनाथालयों ने इस प्रावधान की वैधानिकता को चुनौती दी थी। उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने याचिकाओं को रद्द कर दिया था और वैधानिकता को कायम रखा था। सर्वोच्च न्यायालय ने यह आदेश दिसंबर, 2017 में जारी किया था। आदेश आने के उपरांत लगभग 2300 बाल सुविधा संस्थान कारा से जुड़ गए थे। लगभग 4000 संस्थान अभी इस प्रक्रिया से बाहर हैं। मंत्री महोदया ने इस बात पर असंतोष प्रकट किया कि 2300 संस्थानों के कारा से जुड़ने का बाद भी इन संस्थानों के बच्चों को अभी तक दत्तक प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया है। संभावना है कि मंत्री महोदया इस मामले को 17 जुलाई, 2018 को राज्यों के महिला एवं बाल विकास मंत्रियों की बैठक में जोर-शोर से उठाएंगी।