नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज 1670 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से ई-अदालत मिशन मोड परियोजना के दूसरे चरण को मंजूरी दे दी।
इस फैसले से यूनिवर्सल कंप्यूटरीकरण, क्लाऊड कम्प्यूटिंग के इस्तेमाल, केस रिकार्डों के डिजीटीकरण और ई-फाईलिंग, ई-भुगतान के जरिए ई-सेवाओं की अधिक उपलब्धता और मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए अदालतें अधिक आईसीटी सक्षम होंगी।
पृष्ठभूमि :
सरकार की ई-अदालत परियोजना का उद्देश्य अदालतों को आवश्यक हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन प्रदान करना है ताकि वे नागरिकों को ई-सेवाएं दे सकें और न्यायपालिका को अदालतों की बेहतर निगरानी और प्रबंध के योग्य बना सकें। परियोजना के पहले चरण में 13000 से अधिक जिला और अधीनस्थ अदालतों और संबद्ध जिला अदालतों से जुड़े मामले की जानकारी का कम्प्यूटरीकरण किया जा चुका है। ये अदालतें ई-अदालत पोर्टल (http://www.ecourts.gov.in) के जरिए वादी और जनता को अब ऑनलाइन ई-सेवाएं जैसे कार्य सूचियां, मामले की स्थिति और फैसले की जानकारी प्रदान कर रही हैं। 5 करोड़ लम्बित और निर्णय हो चुके मामलों के सम्बन्ध में मामले की स्थिति की जानकारी तथा एक करोड़ आदेशों/ फैसलों की सूचना ऑनलाइन उपलब्ध है। वादी और वकीलों को अदालत परिसरों में न्यायिक सेवा केन्द्रों के जरिए सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। अदालत सम्बन्धी जानकारी की ऑनलाइन पहुंच के सम्बन्ध में 24 करोड़ से ज्यादा मामलों को रिकार्ड किया जा चुका है।
ई-अदालत परियोजना के दूसरे चरण से अदालतों के काम के प्रबंध में मदद मिलेगी जिससे अदालतों को बेहतर बनाने और मामले के व्यवस्थापन में मदद मिलेगी। सभी अदालत परिसरों और जेलों में टच स्क्रीन आधारित टेलीफोन बूथ और विडियो कांफ्रेंसिंग सुविधाएं स्थापित की जाएंगी। अदालतों के नोटिसों और सम्मनों में पारदर्शिता और उन्हें निर्धारित समय पर पहुंचाने के लिए हस्त संसाधित सेवा उपकरण प्रदान किए जाएंगे। साथ ही अदालत परिसरों में पांच प्रतिशत सौर ऊर्जा के इस्तेमाल का प्रस्ताव है।
सरकार के डिजीटल इंडिया कार्यक्रम के परिप्रेक्ष्य में यह परियोजना डिजीटल बुनियादी ढांचे पर विशेष ध्यान केन्द्रित करेगी जिससे प्रत्येक नागरिक डिजीटली मजबूत होगा।