लखनऊः उत्तर प्रदेश सरकार ने कारागारों के जेल अधीक्षक एवं जेलर के सी0यू0जी0 नम्बर को छोड़कर
शेष सभी अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए मोबाइल का उपयोग कारागार के अंदर निषिद्ध घोषित कर दिया है। जेल अधीक्षक एवं जेल को छोड़कर जिन कारागारों में निरीक्षण के दौरान मोबाइल का उपयोग करते कर्मी पाये जायेगें, उनके विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जायेगी।
यह जानकारी कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवाओं के पुलिस महानिदेशक/ महानिरीक्षक श्री आनंद कुमार ने दी। उन्होंने बताया कि यह व्यवस्था जेलों की कार्य संस्कृति में निरंतर सुधार के तहत उठाया गया है। अब प्रदेश की कारागारों में निरूद्ध बंदियों द्वारा अवैध रूप से मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं कर सकंेगे। जो बंदी अवैध रूप से मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हुए पाये जायेगें, उसके विरूद्ध भी कठोर कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी।
श्री आनंद कुमार ने बताया कि जेल में मोबाइल फोन के अवैध उपयोग को रोकने तथा निरूद्ध बंदियों को अपने परिजनों से बात करने के लिए पी0सी0ओ0 स्थापित किये गये है। नियमानुसार बंदीगण अपने परिजनों तथा वकील से इस पी0सी0ओ0 के माध्यम से सप्ताह में 01 बार 05 मिनट तक बात कर सकते हैं। इसके लिए बंदियों को दो फोन नम्बर कारागार में उपलब्ध कराना होगा। पुलिस द्वारा इन उपलब्ध नम्बरों का सत्यापन किया जायेगा तथा नम्बरों के सत्यापन के उपरांत ही बंदी परिजनों के बात करने की सुविधा मिलेगी।
महानिदेशक ने बताया कि उनके संज्ञान में आया है कि पुलिस विभाग को सत्यापन के लिए भेजे गये बंदियों के प्रार्थना पत्र काफी विलम्ब से जेल अधीक्षकों को पुलिस विभाग द्वारा लौटाये जाते हैं जिस कारण अनेक बंदी सत्यापन से पहले ही कारागार से रिहा हो जाते है। उन्हांेने बताया कि इससे प्रदेश की किसी भी जेल में पी0सी0ओ0 स्थापित करने का वास्तविक उद्देश्य पूरा नहीं हो पाता है।
श्री आंनद कुमार ने पुलिस महानिदेशक से अनुरोध किया है कि पी0सी0ओ0 के प्रयोग के लिए इच्छुक बंदियों के प्रार्थना पत्रों का शीघ्र सत्यापन जनपद पुलिस के स्तर पर कराने का कष्ट करें। उन्होंने इस संबध में जनपद के पुलिस अधीक्षकों को भी निर्देशित करने का अनुरोध किया है। उन्होंने बताया कि सत्यापन का कार्य शीघ्र होने से कारागारों में पी0सी0ओ0 स्थापित करने का जहां उद्देश्य पूर्ण हो सकेगा, वहीं जेलों में मोबाइल के उपयोग को रोकने में भी सफलता मिल सकेगी।