नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि तेजी से बदलती दुनियाऔर बढ़ती वैश्विक आर्थिक प्रतिस्पर्धा में उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम दोहन और सर्वोत्तम प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करना जरूरी है ताकिखा़द्य की घरेलू जरूरतें पूरी की जा सके और निर्यात को बढ़ाया जा सके। कृषि मंत्री ने यह बात आज यहां ‘मेक इन इंडिया के लिए कृषि मशीनीकरण’ कॉफ़ी टेबल बुक का लोकार्पण करते हुए कही।
कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि यंत्रीकरण, फसलों के उत्पादन,प्रसंस्करण और परिवहन का एक अहम हिस्सा तो बन गया है लेकिन पूरे विश्व में इसे दोहरी चुनौती का सामना करना पड़रहा है। पहली चुनौती, बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए भोजन कीआपूर्ति में वृद्धि करना है और दूसरी, पर्यावरण की रक्षा औरसंरक्षण को लेकर है। उन्होंने कहा कि भारत में कृषिमशीनीकरण की चुनौतियां अभी भी बरकरार हैं। हमारी अधिकांश भूमि जोत छोटी है, इसलिए व्यक्तिगत तौर पर इसका व्यावसायिक उपयोग आर्थिक तौर पर फायदेमंद साबित नहीं हो रहा है, लेकिन सरकार छोटी जोत के वे किसान जो महंगी कृषि मशीन नहीं खरीद सकते, उनके लिए कस्टम हायरिंग केंद्र की स्थापना के माध्यम से कृषि मशीनों- रोटावेटर, ब्लोस्प्रेयर, कॉटन कल्टीवेटर, कटर और श्रेडर आदि की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। देश में चार क्षेत्रीय फार्म मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थानों की स्थापना की गई है जो कृषि मशीनीकरण क्षेत्र में कुशल श्रम शक्ति और स्टैंडर्ड एवं गुणवत्ता प्राप्त कृषि मशीनरी और उपकरणों की जरूरतों को पूरा करते है। इस तरह के संस्थान अन्य राज्यों में भी स्थापित करने की योजना है।
कृषि मंत्री ने जानकारी दी कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा देश मे कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्ष 2014-15 से कृषि यंत्रीकरण उपमिशन प्रारम्भ किया गया, जिसका उदेश्य छोटे और सीमान्त किसानो तथा उन क्षेत्रो मे जहां कृषि यंत्रो की उपलब्धता कम है, वहाँ कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देना है I
उन्होंने आगे कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार ने कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देने के लिए दो वर्षों 2014 – 2016 में इस मद में रुपये 342 करोड़ दिए जबकि इसके पहले की सरकार ने 2012 से 2014 के बीच महज रु. 62 करोड़ दिए थे। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने 2016-17 के लिए इस मद में रुपये 118 करोड़ जारी किए हैं।
उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा, ग्रामीण रोजगार और मृदासंरक्षण, टिकाऊ प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और जैव विविधतासंरक्षण जैसी पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ प्रौद्योगिकी,सम्पूर्ण ग्रामीण विकास के लिए बहुत जरूरी है। ग्रामीण आयमें सुधार, किसानो की आय को दोगुनी करना और भारत कीखाद्य और पोषण संबंधी जरूरतों को हासिल करने के लिए, कृषि में सतत विकास की जरुरत है और कृषि यंत्रीकरण इसमें अहम भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि आज, ब्राजील, रूस,भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका (5 ब्रिक्स देशों) के साथ-साथजापान और तुर्की बड़ी और आधुनिक कृषि मशीनों के बाजारोंकी श्रेणी में शामिल हो रहे हैं।
कृषि मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि किताब अच्छी है औरपाठक इसे पसंद करेंगे। उन्होंने कहा कि कृषि मंत्रालय केअधिकारियों एवं फिक्की के पदाधिकारियों ने इसके लिए काफी जानकारियां मुहैया करायी। उन्होंने इस किताब के प्रकाशन के लिए सामाजिक दायित्व परिषद् की तारीफ की और सहयोग के लिए फिक्की का आभार जताया।