देहरादून, बीएचबीसी न्यूज: अच्छे दिन के सब्जबाज व सपने दिखाकर केन्द्र की सत्ता में आयी मोदी सरकार की भी बड़ी परीक्षा चुनाव में होने जा रही है। मोदी के ढाई साल से ज्यादा के राज में अच्छे दिन आये या नहीं यह विस चुनाव में तय हो जायेगा। प्रधानमंत्री मोदी का मैजिक उत्तराखण्ड विस चुनाव मंे कितना चलेगा इस पर अभी से कयास लगने शुरू हो गये है। मोदी सरकार ढाई साल में अपनी सबसे बड़ी अग्नि परीक्षा के साथ ही देश की सबसे बड़े आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश व तीन अन्य राज्यों में चुनाव हो रहे है।
उत्तराखण्ड में भी विस चुनाव मोदी सरकार व राज्य सरकार के बीच होगा इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। भाजपा उत्तराखण्ड में मोदी मो मुख्य चेहरा बनाकर चुनाव लड़ने के मूड में दिखायी दे रही है। क्योंकि उसने अभीतक राज्य मंे अपने किसी नेता को सीएम के चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट नहीं किया है। वहीं कांग्रेस बहुत पहले ही अपने कद्दावर नेता और मुख्यमंत्री हरीश रावत की पार्टी का चेहरा बनाकर चुनाव में उतार चुकी है। ऐसे में अब उत्तराखण्ड में चुनाव को मोदी बनाम रावत के रूप में ही देखा जा रहा है। अच्छे दिनों के साथ ही नोटबंदी व कैशलैस टाªंजक्शन के मुद्दे की चुनाव में सकारात्मक व नकारात्मक रूप में जनता के सामने लाये जाने के पूरे आसार हैं। नोटबंदी को लेकर सूबे की कांग्रेस व मुख्यमंत्री रावत को हुए नुकसान को लेकर केन्द्र व भाजपा के प्रति आक्रामक रहे है। वे इसे भाजपा के खिलापफ एक बड़ा हथियार बनाकर इस्तेमाल करेंगे। यहां यह देखने वाली बात होगी कि नोटबंदी की देश में जो सर्वे सामने आये है उनमें 59 प्रतिशत ने इससे हुुई परेशानी को स्वीकार किया है। इस लिये नोटंबदी एक बड़ा फैक्टर बन सकता है। जहां तक नोटबंदी के बाद केन्द्र द्वारा चालाया जा रहे कैशलैस ट्रांजक्शन की मुहिम की बात है तो इस पर भी भाजपा व कांग्रेस में चुनाव के दौरान बड़े हमले एक दूसरे पर किये जायेंगे।
मोदी सरकार के ढाई साल के कार्यकाल के बाद उत्तराखण्ड सहित 5 राज्यों मंे हो रहे चुनावको 2019 के लोकसभा के लिये सेमीफाइनल माना जा रहा है। ऐसे में मोदी मौजिक सुबे में कितना चलेगा यह बड़ा सवाल बनकर सामने आ रहा है।
भाजपा इस समय दून के परेड ग्राउण्ड में हुई मोदी की विशाल महारैली की सफलता से फूला नहीं समाा रही है। भाजपा इसे चुनाव में भुनाने की पूरी तैयारी कर चुकी है। चुनाव से पूर्व मोदी उत्तराखण्ड को 12000 करोड का चारधाम विकास मार्ग परियोजना की सौगात अवश्य दे गये है मगर असली परीक्षा तो कि चुनाव में ही होगी।