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आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) ने स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 का क्षेत्र में जाकर मूल्यांकन शुरू किया

देश-विदेश

आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) के सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने नई दिल्ली में आज एक वेब कार्यक्रम में, भारत सरकार द्वारा आयोजित वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण के छठे संस्करण, स्वच्छ सर्वेक्षण (एसएस) 2021 का क्षेत्र में जाकर मूल्यांकन का शुभारंभ किया। आवास और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा वर्ष 2016 में बड़े पैमाने पर नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करते हुए शहरी स्वच्छता की स्थिति में सुधार लाने के लिए प्रतिस्पर्धा के माध्यम से शहरों को प्रोत्साहित करने के लिए स्वच्छ सर्वेक्षण प्रस्तुत किया गया था।

      वेबिनार को संबोधित करते हुए, श्री मिश्रा ने कहा, “एसएस ने भारत के शहरों और कस्बों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना शुरू की है। उन्होने कहा कि 2016 में जो यात्रा शुरू हुई थी, उसमें दस लाख से अधिक आबादी वाले केवल 73 शहर शामिल थे, लेकिन 2017 में 434 शहरों के साथ, 2018 में 4,203 शहरों, 2019 में 4,237 शहरों और स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में 62 छावनी बोर्डों सहित 4,242 शहरों के शामिल होने के साथ इसमें कई गुना वृद्धि हुई है। एसएस 2021 की तैयारी में विभिन्न शहर नियमित रूप से अपने डेटा को भरते रहते हैं, कई नागरिक केंद्रित अभियान चलाने के साथ एमआईएस पोर्टल में अपनी प्रगति को अपडेट कर रहे हैं। आज, हमें इस सर्वेक्षण को औपचारिक रूप से शुरू करते हुए खुशी हो रही है क्योंकि 2,000 से अधिक मूल्यांकनकर्ता शहरों के प्रदर्शन का मैदानी आकलन करने के लिए तैयार हैं। ”

प्रति वर्ष, स्वच्छ सर्वेक्षण के लिए मैदानी मूल्यांकन 4 जनवरी से 31 जनवरी के बीच होता है। हालाँकि, कोविड महामारी के कारण इस की शुरूआत दो महीने की देरी हुई है और अब यह पहली मार्च से 28 मार्च 2021 के बीच आयोजित किया जाएगा। यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रत्येक वर्ष स्वच्छ सर्वेक्षण ढांचे को नया रूप दिया जाता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि प्रक्रिया अधिक मजबूत है। स्वच्छता मूल्य श्रृंखला की स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में मंत्रालय के प्रयासों को ध्यान में रखते हुए, स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 संकेतकों का विशेष ध्यान अपशिष्ट जल उपचार और उसके पुन: उपयोग करने से संबंधित मापदंडों और मल की गंदगी के निपटान पर केंद्रित है। इसी तरह, अपशिष्ट प्रबंधन और लैंडफिल के उपचार के महत्वपूर्ण मुद्दों को भी स्वच्छ सर्वेक्षण के इस संस्करण में सामने लाया गया है।

श्री मिश्रा ने यह भी बताया कि कैसे  स्वच्छ सर्वेक्षण एक सच्चे ‘जन आन्दोलन ’की भावना में नागरिकों के शामिल होने के लिए एक उपकरण बन गया है। श्री मिश्रा ने कहा, “मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि  स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 पहले ही विभिन्न प्रकार के प्लेटफॉर्म जैसे वोट फॉर योर सिटी ऐप, स्वच्छता ऐप और स्वच्छ सर्वेक्षण पोर्टल, आदि के माध्यम से 3 करोड़ से अधिक नागरिक फीडबैक प्राप्त कर चुका है। ” मंत्रालय ने घोषणा की है कि इस वर्ष शहरों और राज्यों की  रैंकिंग के अलावा, जिलों की भी एसएस रैंकिंग भी (उनके शहरों के प्रदर्शन के आधार पर) जारी की जायेगी।

2014 में इसके शुरुआत के बाद से, स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (एसबीएम-यू) ने स्वच्छता और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन दोनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है। 4360 शहरी यूएलबी को खुले में शौच से मुक्त-ओडीएफ घोषित किया जा चुका है, 2158 शहरों को ओडीएफ + और 551 शहरों को ओडीएफ++ प्रमाणित घोषित किया गया है। इसके अलावा, 66 लाख व्यक्तिगत घरेलू शौचालय और 6 लाख से अधिक सामुदायिक / सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है या निर्माणाधीन हैं। इसके अतिरिक्त, 2900 से अधिक शहरों में लगभग 60,000 शौचालयों को गूगल मानचित्र पर सजीव प्रेषित किया गया है। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में, 97 प्रतिशत वार्डों में 100 प्रतिशत घरों से कचरे का डोर-टू-डोर एकत्रीकरण हो रहा है, जबकि एकत्र किये गये कुल कचरे का 68 प्रतिशत कचरा प्रसंस्कृत किया जा रहा है। कचरा मुक्त शहरों के लिए स्टार रेटिंग व्यवस्था के तहत कुल छह शहरों को फाइव स्टार, 86 को थ्री स्टार और 65 को वन स्टार के रूप में प्रमाणित किया गया है।

वर्ष 2021 से 2026 की पांच वर्ष की अवधि के लिए एसबीएम-यू का दूसरा चरण हाल ही में संसद में प्रस्तुत किये गये 2021 के केंद्रीय बजट में घोषित किया गया था। मिशन का अगला चरण स्थायी स्वच्छता के पहलुओं पर व्यापक रूप से ध्यान केंद्रित करेगा, जिसमें मल की गंदगी के प्रबंधन और अपशिष्ट जल का प्रबंधन शामिल हैं। इसके अलावा समग्र ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के साथ-साथ एक बार उपयोग होने वाली प्लास्टिक के उपयोग पर अंकुश लगाने और अंततः इसके उपयोग को समाप्त करने, निर्माण और विध्वंस द्वारा उत्पन्न हुए कचरे के प्रभावी प्रबंधन के माध्यम से वायु प्रदूषण को कम करने, और मलबा डालने वाले मैदान को हटाने के माध्यम से मिट्टी के प्रदूषण को कम करने के साथ एक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था का प्रावधान भी इसमें शामिल है।

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