देहरादून: एबीपी न्यूज़ के प्रमुख चुनावी कार्यक्रम, देश का मूड के नतीजे आज जारी किये गए. यह सर्वेक्षण अक्टूबर 2018 में सीवोटर द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर 15,463 से अधिक लोगों पर किया गया था. सर्वेक्षण के नतीजे बताते हैं कि अगर आज लोक सभा के चुनाव हों तो अखिल भारतीय स्तर पर एनडीए को 38% और यूपीए को 26% वोट मिलने की संभावना है.
एबीपी न्यूज़ नेटवर्क के सीओओ, श्री अविनाश पाण्डेय ने कहा कि, “अतुलनीय और नवोन्मेषी प्रोग्रामिंग, एबीपी न्यूज़ चुनाव के मामले में अग्रणी और सबसे पसंदीदा हिंदी समाचार चैनल है. हम हमेशा ही दर्शकों को ताजा वोट और सीट शेयर के सूक्ष्म विश्लेषण के साथ चुनावों की वर्तमान स्थिति से अवगत कराने की कोशिश करते हैं.”
उन्होंने यह भी कहा कि, “उद्योग में आगे रहने के लिए एबीपी ने 2019 के चुनावों का पहला शो 1 जनवरी 2018 को ही आरम्भ कर दिया था. इस तरह, यह चुनावों के दौरान समाचार और बातचीत में सन्दर्भ में निर्णायक रुझान स्थापित करने में मानदंड बनाने वाला पहला चैनल बन गया.”
सीवोटर के संस्थापक, श्री यशवंत देशमुख ने कहा कि, “सीवोटर और एबीपी द्वारा मिलकर किया गया यह सबसे पारदर्शी और व्यापक सर्वेक्षण अनुसंधान है. इसे हमने अपने दर्शकों के लिए सारे उलट-फेर और संयोजनों के साथ प्रस्तुत किया है. हमारे दर्शक सबसे ज्यादा जानते हैं और हमें उनसे 2019 के आगामी चुनावों पर विस्तृत विश्लेषण मिलते हैं. #देशकामूड न केवल देश भर की जनता की धारणा का द्योतक है, बल्कि इसके तहत भारतीय टीवी के इतिहास में पहली बार चुनाव 2019 के विश्लेषण में जन भागीदारी की शुरुआत की गयी है, जो निर्विवाद रूप से हाल के समय में सबसे महत्वपूर्ण चुनाव होने वाले हैं .
राजनीतिक समीकरण : आज की तारीख में (अक्टूबर 2018 के आंकड़े के अनुसार)
अगर लोक सभा के चुनाव आज कराये जाएँ तो सीवोटर ट्रैकर के अनुसार एनडीए को 38% और यूपीए को 26% वोट मिल सकते हैं. संतुलन बनाने वाला बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय स्थिति में अकेले ही संख्या का उलट-फेर कर सकता है.
- अगर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी का बहुप्रचारित महागठबंधन सचमुच बन जाता है, तब भी राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए को 261 और यूपीए को 116 सीटें मिल सकती हैं. उत्तर प्रदेश में एसपी+बीएसपी गठबंधन अकेले 44 सीटें जीत सकती हैं जिससे एनडीए की मौजूदा संख्या बहुमत से नीच गिर जायेगी.
दलीय गठबंधन | दलीय गठबंधन | यूपीए | एनडीए | अन्य |
उत्तर प्रदेश में महागठबंधन नहीं होने पर | अनुमानित वोट शेयर | 26% | 38% | 36% |
अनुमानित सीट शेयर | 116 | 300 | 127 | |
दलीय गठबंधन | दलीय गठबंधन | यूपीए | एनडीए | अन्य |
उत्तर प्रदेश में महागठबंधन होने पर | अनुमानित वोट शेयर | 26% | 38% | 36% |
अनुमानित सीट शेयर | 119 | 261 | 163 |
- लेकिन अगर मायावती इस बहुचर्चित महागठबंधन से अलग रहतीं हैं तब इस बार एनडीए की एक और लहर उठ सकती है जिसे अकेले उत्तर प्रदेश में 70 सीटें मिल सकती हैं और हो सकता है कि राष्ट्रीय स्तर पर इसकी संख्या 300 सीटों तक पहुँच जाए. वहीं यूपीए को 116 और बाकी को संयुक्त रूप से 128 सीटों से संतोष करना पड़ सकता है. ऐसे परिदृश्य में एनडीए के भीतर भाजपा को 270 और एनडीए के बाकी घटकों को कुल 30 सीटें मिलने की संभावना दिखाई देती है. वहीं यूपीए में कांग्रेस को 89 और इसके सहयोगी दलों को 27 सीटें मिलने की संभावना हो सकती है.
अनुमानित सीटों और वोट का संक्षिप्त विश्लेषण
अगर लोक सभा के चुनाव आज करायें जाएँ, तो सीवोटर ट्रैकर के मुताबिक़, एनडीए को 38% और दूसरे नम्बर पर यूपीए को 26% वोट मिलने की संभावना है.
- वर्तमान परिदृश्य
उत्तर प्रदेश में महागठबंधन नहीं बनता है (वर्तमान परिदृश्य), तो एनडीए की एक और लहर उठ सकती है जिसमे भाजपा को अकेले उत्तर प्रदेश में 70 तक सीटें मिल सकती हैं और इस तरह राष्ट्रीय स्तर पर जो स्थिति बनेगी उसमें एनडीए को 300, यूपीए को 116 और बाकी दलों को मिलाकर 128 सीटें मिलने की संभावना होगी. ऐसी स्थिति में, एनडीए के भीतर भाजपा को 270 और एनडीए के बाकी घटकों को कुल 30 सीटें मिलने की संभावना दिखाई देती है. वहीं यूपीए में कांग्रेस को 89 और इसके सहयोगी दलों को 27 सीटें मिलने की संभावना बनती है.
- वैकल्पिक परिदृश्य : अगर एसपी+बीएसपी का महागठबंधन (वैकल्पिक परिदृश्य) हो जाता है, तो उतने ही वोट शेयर पर जो राष्ट्रीय स्थिति बनेगी उसमें अभी एनडीए को 261 और यूपीए को 119 सीटें मिलने का अनुमान है.
मोदी सरकार का सबसे बढ़िया प्रदर्शन मूल्य वृद्धि, भ्रष्टाचार और सुरक्षा नीति पर केन्द्रित था. अक्टूबर-18 में इन तीनों मुद्दों पर सरकार की नकारात्मक छवि बनी है. हालांकि, प्रधानमन्त्री मोदी की व्यक्तिगत लोकप्रियता और केंद्र सरकार की लोकप्रियता अभी भी जनवरी 2014 के सर्वेक्षण में यूपीए-2 की रेटिंग से काफी आगे है. राहुल गाँधी की छवि में मामूली सुधार हुआ है, लेकिन वे अभी भी लीडरशिप की दौड़ में काफी पीछे चल रहे हैं.
यह जानना दिलचस्प होगा कि प्रधानमन्त्री पद के लिए मोदी सबसे उपयुक्त उम्मीदवार हैं (दूसरों की तुलना में वे 53.9% प्रतिशत लोगों की पसंद हैं). यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि समय के साथ उनका यह प्रतिशत घटता गया है. उन्हें सबसे उपयुक्त उम्मीदवार मानने वालों की संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है. राहुल गाँधी की संभावना जनवरी 2018 के 12.6% से बढ़कर अक्टूबर 2018 में 22.8% हो गयी है.
भारत के प्रधानमन्त्री के रूप में रागा और नमो के बीच पसंद के बारे में पूछने पर साफ़ पता चला कि मोदी जीत रहे हैं जैसा कि 57% लोगों ने उन्हें राहुल गाँधी पर वरीयता दी है. लेकिन एक बार फिर यह संख्या घट रही है, और जनवरी 2018 के 66% से घटकर अक्टूबर 2018 में 36% पर आ गयी है. राहुल को भले ही मोदी से कम पसंद किया जा रहा है लेकिन उनकी वरीयता जनवरी 2018 के 28 प्रतिशत से यह अक्टूबर 2018 में 36 प्रतिशत पर आ गई है।
अंत में, सवाल है कि क्या रेटिंग में यह गिरावट एनडीए-2 के लिए पतन या निर्णायक मोड़ का संकेत है? बेशक 2019 की दौड़ दिलचस्प होने लगी है!